29-01-2019, 11:27 PM
करुणा ने अपना आखिरी पत्ता फेंकते हुए कहा- “मैं एक दफा फिल्म में एक सेक्स सीन देखकर गरम हो गई थी और उतेजेना में मैंने एक छोटी सी पेन्सिल अपनी चूत में डालने लगी, मुझे इतना दर्द हुआ के मेरी जान निकल गई और मेरी चूत से खून भी बहा। उसके बाद मैंने आज तक अपनी चूत को हाथ भी नहीं लगाया..."
मनीष ने करुणा की बात सुनते हुए कहा- “तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा...” और करुणा के ऊपर से उठते हुए करुणा से कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चिकना कर दो तो यह तुम्हारी चूत में आराम से चला जाएगा, और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी...”
करुणा ने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मगर मैं इसे कैसे चिकना करूं?”
मनीष ने कहा- “जैसे मैंने तुम्हारी चूत को चाटा था, ऐसे ही तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर चिकना करो..."
करुणा मनीष की बात सुनकर उसके लण्ड की तरफ देखने लगी। मनीष ने करुणा के मन की मुराद पूरी कर दी, वो खुद मनीष का गुलाबी लण्ड अपने मुँह में लेना चाहती थी।
मनीष ने करुणा को अपने लण्ड की तरफ घूरते हुए देखकर कहा- “तुम इसे अपनी जीभ लगाकर देखो अगर तुम्हें अच्छा ना लगे तो मत करना..."
करुणा ने अपने नाजुक हाथ को आगे बढ़कर मनीष का लण्ड अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और अपनी जीभ निकालकर मनीष के लण्ड के गुलाबी टोपे पर फिराने लगी।
मनीष करुणा की जीभ अपने लण्ड पर महसूस करके कॉप गया- “आह्ह..."
करुणा ने अपनी जीभ से मनीष के लण्ड के टोपे को चाटते हुए अपनी जीभ उसके टोपे के छेद में घुसाकर उसके वीर्य का स्वाद चखने लगी। मनीष अपने लण्ड के छेद पर करुणा की जीभ को महसूस करके सिहर उठा और उसका पूरा शरीर काँपने लगा। करुणा ने कुछ देर तक मनीष के लण्ड के छेद को चाटने के बाद अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को चाटते हुए गीला कर दिया, क्योंकी वो मनीष को ऐसे ही नहीं झड़ाना चाहती थी।
मनीष अपने लण्ड पर से करुणा की जीभ के हटते ही होश में आया और नीचे होते हुए करुणा की दोनों टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी और एक तकिया उठाकर करुणा के चूतड़ों के नीचे रख दिया। करुणा की चूत उठकर ऊपर हो गई, और उसकी चूत के छेद में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगी। मनीष ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ते हुए करुणा की चूत के छेद पर रखते हुए उसे उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
करुणा का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था वो अपने चूतड़ मनीष के लण्ड पर उछालने लगी और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकलकर मनीष के लण्ड को और ज्यादा चिकना कर दिया। मनीष ने अपना लण्ड का टोपा करुणा की चूत के छेद में फँसाते हुए उसकी टाँगों में हाथ डाल दिया और करुणा से कहा- “डार्लिंग चीखना मत, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लेना...”
करुणा ने अपने चूतड़ों को हिलाकर मनीष से कहा- “प्लीज घुसा दो अब तड़पाओ मत...”
मनीष ने करुणा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक धक्का मारा। मनीष का आधा लण्ड करुणा की चूत में घुस गया।
मनीष ने करुणा की बात सुनते हुए कहा- “तुम चिंता मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा...” और करुणा के ऊपर से उठते हुए करुणा से कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चिकना कर दो तो यह तुम्हारी चूत में आराम से चला जाएगा, और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी...”
करुणा ने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मगर मैं इसे कैसे चिकना करूं?”
मनीष ने कहा- “जैसे मैंने तुम्हारी चूत को चाटा था, ऐसे ही तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर चिकना करो..."
करुणा मनीष की बात सुनकर उसके लण्ड की तरफ देखने लगी। मनीष ने करुणा के मन की मुराद पूरी कर दी, वो खुद मनीष का गुलाबी लण्ड अपने मुँह में लेना चाहती थी।
मनीष ने करुणा को अपने लण्ड की तरफ घूरते हुए देखकर कहा- “तुम इसे अपनी जीभ लगाकर देखो अगर तुम्हें अच्छा ना लगे तो मत करना..."
करुणा ने अपने नाजुक हाथ को आगे बढ़कर मनीष का लण्ड अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और अपनी जीभ निकालकर मनीष के लण्ड के गुलाबी टोपे पर फिराने लगी।
मनीष करुणा की जीभ अपने लण्ड पर महसूस करके कॉप गया- “आह्ह..."
करुणा ने अपनी जीभ से मनीष के लण्ड के टोपे को चाटते हुए अपनी जीभ उसके टोपे के छेद में घुसाकर उसके वीर्य का स्वाद चखने लगी। मनीष अपने लण्ड के छेद पर करुणा की जीभ को महसूस करके सिहर उठा और उसका पूरा शरीर काँपने लगा। करुणा ने कुछ देर तक मनीष के लण्ड के छेद को चाटने के बाद अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को चाटते हुए गीला कर दिया, क्योंकी वो मनीष को ऐसे ही नहीं झड़ाना चाहती थी।
मनीष अपने लण्ड पर से करुणा की जीभ के हटते ही होश में आया और नीचे होते हुए करुणा की दोनों टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी और एक तकिया उठाकर करुणा के चूतड़ों के नीचे रख दिया। करुणा की चूत उठकर ऊपर हो गई, और उसकी चूत के छेद में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगी। मनीष ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ते हुए करुणा की चूत के छेद पर रखते हुए उसे उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
करुणा का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था वो अपने चूतड़ मनीष के लण्ड पर उछालने लगी और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकलकर मनीष के लण्ड को और ज्यादा चिकना कर दिया। मनीष ने अपना लण्ड का टोपा करुणा की चूत के छेद में फँसाते हुए उसकी टाँगों में हाथ डाल दिया और करुणा से कहा- “डार्लिंग चीखना मत, थोड़ा सा बर्दाश्त कर लेना...”
करुणा ने अपने चूतड़ों को हिलाकर मनीष से कहा- “प्लीज घुसा दो अब तड़पाओ मत...”
मनीष ने करुणा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक धक्का मारा। मनीष का आधा लण्ड करुणा की चूत में घुस गया।