27-12-2019, 02:51 PM
“ऐसा कुछ नही होगा…पहले धीरे से डालना गान्ड में…फिर धीरे-धीरे मारना…धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा…और उसे मज़ा आने लगेगा. हां बस जल्दबाज़ी मत करना”
“क्या तुमने ऐसे ही ली थी उसकी गान्ड?”
“हां किसी की भी गान्ड लेने का यही तरीका है. थोड़ा संयम से काम लेना होता है. पता है ना संयम का मतलब.”
“समझ गया.”
“क्या समझे बताओ तो.”
“धीरे से गान्ड में डालना है.”
“हां ठीक समझे…जाओ अब फ़तेह करलो श्रद्धा की गान्ड.”
“अब तो फ़तेह ही समझो.”
“हां…और ज़बरदस्ती मत करना बेचारी की गान्ड के साथ. अगर ना जाए तो रहने देना… अगली बार में कर के दिखाउन्गा… ओके.”
“पहले फ़तेह करने को कहते हो फिर मायूस करते हो.”
“मेरा कहने का मटकलब है कि आराम से शांति से काम लेना. ठीक है.”
“ओके गुरु… तुम सच में गुरु हो.”
“हां-हां ठीक है जाओ अब.”
“अगर मन करे तो आ जाना मेरे कमरे पे ठीक है गुरु.”
“ठीक है…बाय”
आशु के जाने के बाद. अपर्णा गुस्से में आग-बाबूला हो कर बोली, “तुम्हे शरम नही आई मेरे सामने ऐसी बाते करते हुए.”
“इसमें शरम की क्या बात है…तुम कोई बच्ची तो हो नही. शादी-शुदा हो.”
“मुझे ये सब अच्छा नही लगा. तुम मुझसे अभी भी कोई बदला ले रहे हो है ना.”
“ऐसा कुछ नही है…देखो वो अचानक आ गया…मैं तो बस नॅचुरली बात कर रहा था उसके साथ.”
“इसे तुम नॅचुरल कहते हो.”
“हम तो रोज ऐसे ही बात करते हैं.”
“छी…शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसी गंदी बाते करते हुए. उस बेचारी श्रद्धा का शोषण कर रहे हो तुम.”
“क्या तुमने ऐसे ही ली थी उसकी गान्ड?”
“हां किसी की भी गान्ड लेने का यही तरीका है. थोड़ा संयम से काम लेना होता है. पता है ना संयम का मतलब.”
“समझ गया.”
“क्या समझे बताओ तो.”
“धीरे से गान्ड में डालना है.”
“हां ठीक समझे…जाओ अब फ़तेह करलो श्रद्धा की गान्ड.”
“अब तो फ़तेह ही समझो.”
“हां…और ज़बरदस्ती मत करना बेचारी की गान्ड के साथ. अगर ना जाए तो रहने देना… अगली बार में कर के दिखाउन्गा… ओके.”
“पहले फ़तेह करने को कहते हो फिर मायूस करते हो.”
“मेरा कहने का मटकलब है कि आराम से शांति से काम लेना. ठीक है.”
“ओके गुरु… तुम सच में गुरु हो.”
“हां-हां ठीक है जाओ अब.”
“अगर मन करे तो आ जाना मेरे कमरे पे ठीक है गुरु.”
“ठीक है…बाय”
आशु के जाने के बाद. अपर्णा गुस्से में आग-बाबूला हो कर बोली, “तुम्हे शरम नही आई मेरे सामने ऐसी बाते करते हुए.”
“इसमें शरम की क्या बात है…तुम कोई बच्ची तो हो नही. शादी-शुदा हो.”
“मुझे ये सब अच्छा नही लगा. तुम मुझसे अभी भी कोई बदला ले रहे हो है ना.”
“ऐसा कुछ नही है…देखो वो अचानक आ गया…मैं तो बस नॅचुरली बात कर रहा था उसके साथ.”
“इसे तुम नॅचुरल कहते हो.”
“हम तो रोज ऐसे ही बात करते हैं.”
“छी…शरम आनी चाहिए तुम्हे ऐसी गंदी बाते करते हुए. उस बेचारी श्रद्धा का शोषण कर रहे हो तुम.”