27-12-2019, 02:49 PM
Update 4
सौरभ ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सरपट एक लड़का अंदर आ गया.
“कहा चले गये थे तुम गुरु…मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ.” उस लड़के ने कहा
“कुछ काम से गया था” सौरभ ने जवाब दिया
“हां बहुत ज़रूरी काम था इसे आज…” अपर्णा ने मन ही मन कहा.
“क्या तुम भी गुरु…जब भी मैं जुगाड़ लगाता हूँ तुम गायब हो जाते हो. और ये अंधेरा क्यों कर रखा है… लाइट जला ना.”
“आशु अभी नींद आ रही है…कल बात करेंगे.”
“अरे मैं कब से तुम्हारी वेट कर रहा हूँ गुरु… और तुम कह रहे हो नींद आ रही है.”
“हाँ यार बहुत थक गया हूँ…तू अभी जा कल बात करेंगे.”
“गुरु श्रद्धा है साथ मेरे.”
“श्रद्धा! कौन श्रद्धा?”
“वही मोटू पान्वाले की लड़की जिसकी गान्ड मारी थी तुमने हा…याद आया.”
“हे भगवान ये कैसी-कैसी बाते सुन-नी पड़ रही है मुझे.” अपर्णा ने मन ही मन खुद से कहा
“अच्छा वो….यार तू भी ना हमेशा ग़लत वक्त पर प्लान बनाता है. मैं आज बहुत थका हुआ हूँ. जा तू मौज कर उसके साथ.”
“अरे गुरु कैसी बाते करते हो…आज क्या हो गया है तुम्हे…रोज मुझे कहते थे कब दिलाओगे दुबारा उसकी…आज वो आई है तो…”
“आशु तू नही समझेगा… ये सब फिर कभी देखेंगे.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी...”
“सॉरी यार..जाओ मज़े करो.” सौरभ ने कहा.
“अच्छा यार ये तो बता…मुझे तो वो गान्ड देने से मना कर रही है. कह रही है…दर्द होता है बहुत. कैसे करूँ पीछे से उसके साथ.”
“मैं क्या गान्ड मारने में स्पेशलिस्ट हूँ. थूक लगा के डाल दे गान्ड में. हो जाएगा सब.”
“छी कितने गंदे लोग हैं ये. इतनी गंदी बाते कोई नीच ही कर सकता है. और इस सौरभ को ज़रा भी शरम नही है. मेरे सामने ही सब बकवास किए जा रहा है.” अपर्णा ने अपने मन में कहा.
“अरे यार तुझे तो पता है…वो नखरे बहुत करती है. कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो अगली बार नही देगी.” आशु ने कहा
सौरभ ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सरपट एक लड़का अंदर आ गया.
“कहा चले गये थे तुम गुरु…मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूँ.” उस लड़के ने कहा
“कुछ काम से गया था” सौरभ ने जवाब दिया
“हां बहुत ज़रूरी काम था इसे आज…” अपर्णा ने मन ही मन कहा.
“क्या तुम भी गुरु…जब भी मैं जुगाड़ लगाता हूँ तुम गायब हो जाते हो. और ये अंधेरा क्यों कर रखा है… लाइट जला ना.”
“आशु अभी नींद आ रही है…कल बात करेंगे.”
“अरे मैं कब से तुम्हारी वेट कर रहा हूँ गुरु… और तुम कह रहे हो नींद आ रही है.”
“हाँ यार बहुत थक गया हूँ…तू अभी जा कल बात करेंगे.”
“गुरु श्रद्धा है साथ मेरे.”
“श्रद्धा! कौन श्रद्धा?”
“वही मोटू पान्वाले की लड़की जिसकी गान्ड मारी थी तुमने हा…याद आया.”
“हे भगवान ये कैसी-कैसी बाते सुन-नी पड़ रही है मुझे.” अपर्णा ने मन ही मन खुद से कहा
“अच्छा वो….यार तू भी ना हमेशा ग़लत वक्त पर प्लान बनाता है. मैं आज बहुत थका हुआ हूँ. जा तू मौज कर उसके साथ.”
“अरे गुरु कैसी बाते करते हो…आज क्या हो गया है तुम्हे…रोज मुझे कहते थे कब दिलाओगे दुबारा उसकी…आज वो आई है तो…”
“आशु तू नही समझेगा… ये सब फिर कभी देखेंगे.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी...”
“सॉरी यार..जाओ मज़े करो.” सौरभ ने कहा.
“अच्छा यार ये तो बता…मुझे तो वो गान्ड देने से मना कर रही है. कह रही है…दर्द होता है बहुत. कैसे करूँ पीछे से उसके साथ.”
“मैं क्या गान्ड मारने में स्पेशलिस्ट हूँ. थूक लगा के डाल दे गान्ड में. हो जाएगा सब.”
“छी कितने गंदे लोग हैं ये. इतनी गंदी बाते कोई नीच ही कर सकता है. और इस सौरभ को ज़रा भी शरम नही है. मेरे सामने ही सब बकवास किए जा रहा है.” अपर्णा ने अपने मन में कहा.
“अरे यार तुझे तो पता है…वो नखरे बहुत करती है. कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो अगली बार नही देगी.” आशु ने कहा