27-12-2019, 02:46 PM
“अरे ये सब करने की क्या ज़रूरत है.तुम आराम से बिस्तर पर सो जाओ मैं कंबल ले कर नीचे लेट जाउन्गा.”
“पर मुझे नींद नही आएगी.”
“हां पर ठंड बहुत है…तुम रज़ाई में आराम से बैठ जाओ. सोने का मन हो तो सो जाना वरना बैठे रहना.”
“ठीक है…पर याद रखो कोई भी ऐसी वैसी हरकत की तो…”
“चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगा. जंगल में भी मेरा कोई इरादा नही था. वो तो तुमने ब्लो जॉब का ऑफर किया इसलिए मैं बहक गया वरना किसी के साथ ज़बरदस्ती करने का कोई इरादा नही मेरा.”
“तो तुम अब मानते हो कि वो सब ज़बरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ.”
“हां पर तुम्हारी रज़ामंदी से हहे…अगर वो काम अब पूरा कर सको तो देख लो”
“उसके लिए तुम्हे मेरी गर्देन पर चाकू रखना होगा और मुझे डराना होगा. मैं वो सब ख़ुशी से हरगिज़ नही करूँगी.” अपर्णा ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“फिर रहने दो…उस सब में मज़ा नही है.”
अपर्णा रज़ाई में बैठ गयी और सौरभ कंबल ले कर ज़मीन पर चटाई बिछा कर लेट गया.
“क्या लाइट बंद कर दूं या फिर जलने दूं.” सौरभ ने पूछा.
“जलने दो…” अपर्णा ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
कोई 5 मिनट बाद कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़का.
अपर्णा घबरा गयी कि कहीं वो उनका पीछा करते-हुए वहां तक तो नही आ गया.
अपर्णा ने धीरे से पूछा, “कौन है?’
“शायद कोई पड़ोसी होगा. तुम चिंता मत करो मैं दरवाजा खोलता हूँ पर पहले ये लाइट बंद कर देता हूँ ताकि जो कोई भी हो तुम्हे ना देख सके.”
“ठीक है…”
“पर मुझे नींद नही आएगी.”
“हां पर ठंड बहुत है…तुम रज़ाई में आराम से बैठ जाओ. सोने का मन हो तो सो जाना वरना बैठे रहना.”
“ठीक है…पर याद रखो कोई भी ऐसी वैसी हरकत की तो…”
“चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगा. जंगल में भी मेरा कोई इरादा नही था. वो तो तुमने ब्लो जॉब का ऑफर किया इसलिए मैं बहक गया वरना किसी के साथ ज़बरदस्ती करने का कोई इरादा नही मेरा.”
“तो तुम अब मानते हो कि वो सब ज़बरदस्ती कर रहे थे तुम मेरे साथ.”
“हां पर तुम्हारी रज़ामंदी से हहे…अगर वो काम अब पूरा कर सको तो देख लो”
“उसके लिए तुम्हे मेरी गर्देन पर चाकू रखना होगा और मुझे डराना होगा. मैं वो सब ख़ुशी से हरगिज़ नही करूँगी.” अपर्णा ने गंभीर मुद्रा में कहा.
“फिर रहने दो…उस सब में मज़ा नही है.”
अपर्णा रज़ाई में बैठ गयी और सौरभ कंबल ले कर ज़मीन पर चटाई बिछा कर लेट गया.
“क्या लाइट बंद कर दूं या फिर जलने दूं.” सौरभ ने पूछा.
“जलने दो…” अपर्णा ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
कोई 5 मिनट बाद कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़का.
अपर्णा घबरा गयी कि कहीं वो उनका पीछा करते-हुए वहां तक तो नही आ गया.
अपर्णा ने धीरे से पूछा, “कौन है?’
“शायद कोई पड़ोसी होगा. तुम चिंता मत करो मैं दरवाजा खोलता हूँ पर पहले ये लाइट बंद कर देता हूँ ताकि जो कोई भी हो तुम्हे ना देख सके.”
“ठीक है…”