27-12-2019, 02:45 PM
वो धीरे धीरे जंगल से बाहर आ गये.
“कितना अंधेरा है यहा. क्या कोई और रास्ता नही तुम्हारे घर का.”
“रास्ते तो हैं…पर इस वक्त ये सब से ज़्यादा सुरक्षित है. अंधेरे में हम आराम से उस को चकमा दे कर निकल जाएँगे.”
“मैने उस की शक्ल देख ली है. मैं कल पोलीस को सब बता दूँगी.”
“मुझे तो नही फसाओगि ना तुम.”
“वो कल देखेंगे.”
“वैसे इस कम्बख़त ने आकर मज़ा खराब कर दिया. वरना आज पहली बार ब्लो जॉब मिल रही थी…” सौरभ ने मज़ाक के अंदाज में कहा.
“अच्छा क्या तुम्हारी बीवी ने नही किया कभी.” अपर्णा ने भी मज़ाक में जवाब दिया.
“नही…तुमने ज़रूर किया होगा अपने हज़्बेंड के साथ है ना.”
“छोडो ये सब…और जल्दी घर चलो.”
“हां बस हम पहुँचने ही वाले हैं.”
“ये आ गया मेरा घर.” सौरभ ने एक छोटे से कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“ये घर है तुम्हारा…ये तो बस एक कमरा है. और आस पास ज़्यादा घर भी नही हैं” अपर्णा ने कहा
“हां छोटा सा कमरा है ये…पर यही मेरा घर है. ये छोटा सा कस्बा है. जो भी हो इस वक्त जंगल में रहने से तो अच्छा ही है.”
सौरभ ने दरवाजा खोला और अपर्णा को अंदर आने को कहा, “आ जाओ… डरो मत यहा तुम सुरक्षित हो.”
अपर्णा को कमरे में जाते हुए डर लग रहा था. पर उसके पास कोई चारा भी नही था.
“अरे मेडम सोच क्या रही हो… आ जाओ यहा डरने की कोई बात नही है.”
“जो कुछ मेरे साथ हुआ उसके बाद कोई भी डरेगा.”
“समझ सकता हूँ.” सौरभ ने गहरी साँस ले कर कहा
अपर्णा कमरे के अंदर आ गयी.
“देखो इस छोटे से कमरे में बस एक ही बेड है और एक ही रज़ाई” सौरभ ने कहा
“मुझे नींद नही आएगी तुम सो जाओ, मैं इस कुर्सी पर बैठ कर रात गुज़ार लूँगी.”
“कितना अंधेरा है यहा. क्या कोई और रास्ता नही तुम्हारे घर का.”
“रास्ते तो हैं…पर इस वक्त ये सब से ज़्यादा सुरक्षित है. अंधेरे में हम आराम से उस को चकमा दे कर निकल जाएँगे.”
“मैने उस की शक्ल देख ली है. मैं कल पोलीस को सब बता दूँगी.”
“मुझे तो नही फसाओगि ना तुम.”
“वो कल देखेंगे.”
“वैसे इस कम्बख़त ने आकर मज़ा खराब कर दिया. वरना आज पहली बार ब्लो जॉब मिल रही थी…” सौरभ ने मज़ाक के अंदाज में कहा.
“अच्छा क्या तुम्हारी बीवी ने नही किया कभी.” अपर्णा ने भी मज़ाक में जवाब दिया.
“नही…तुमने ज़रूर किया होगा अपने हज़्बेंड के साथ है ना.”
“छोडो ये सब…और जल्दी घर चलो.”
“हां बस हम पहुँचने ही वाले हैं.”
“ये आ गया मेरा घर.” सौरभ ने एक छोटे से कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“ये घर है तुम्हारा…ये तो बस एक कमरा है. और आस पास ज़्यादा घर भी नही हैं” अपर्णा ने कहा
“हां छोटा सा कमरा है ये…पर यही मेरा घर है. ये छोटा सा कस्बा है. जो भी हो इस वक्त जंगल में रहने से तो अच्छा ही है.”
सौरभ ने दरवाजा खोला और अपर्णा को अंदर आने को कहा, “आ जाओ… डरो मत यहा तुम सुरक्षित हो.”
अपर्णा को कमरे में जाते हुए डर लग रहा था. पर उसके पास कोई चारा भी नही था.
“अरे मेडम सोच क्या रही हो… आ जाओ यहा डरने की कोई बात नही है.”
“जो कुछ मेरे साथ हुआ उसके बाद कोई भी डरेगा.”
“समझ सकता हूँ.” सौरभ ने गहरी साँस ले कर कहा
अपर्णा कमरे के अंदर आ गयी.
“देखो इस छोटे से कमरे में बस एक ही बेड है और एक ही रज़ाई” सौरभ ने कहा
“मुझे नींद नही आएगी तुम सो जाओ, मैं इस कुर्सी पर बैठ कर रात गुज़ार लूँगी.”