27-12-2019, 02:44 PM
“देखो ये मेरे अकेले का डिसीज़न नही था. फाइनली ये डिसीज़न बॉस का था.”
“हां पर सारा किया धारा तो तुम्हारा ही था ना.”
“मुझे तुम्हारा काम पसंद नही था. प्राइवेट सेक्टर में ये हर जगह होता है. हर कोई तुम्हारी तरह बदले लेगा तो क्या होगा…और वो भी इतनी घिनोकी हरकत…छी तुम तो माफी के लायक भी नही हो. ये सब करने की बजाए तुम किसी और काम में मन लगाते तो अच्छा होता.”
“ठीक है मुझसे ग़लती हो गयी…बस खुश”
“पर अब यहा से कैसे निकले…वो साइको मेरी कार की चाबी भी ले गया.”
“मेरे घर चलोगि…थोड़ी दूर ही है.”
“नही…मैं सिर्फ़ अपने घर जाउंगी.”
“पर कैसे तुम्हारी कार की चाभी वो ले गया. फोन हमारे पास है नही…वैसे तुम्हारा फोन कहा है.”
“कार में ही था.”
“मेरी बात मानो मेरे घर चलो. वो पागलो की तरह हमे ढूँढ रहा है. हमे जल्द से जल्द यहा से निकल जाना चाहिए”
“क्या तुम्हारे घर फोन होगा.”
“फोन तो नही है वहां भी…पर हम सुरक्षित तो रहेंगे.”
“कितनी दूर है तुम्हारा घर.”
“नज़दीक ही है आओ चलें.”
“पर वो यही कहीं होगा वो हमारे कदमो की आहट सुन लेगा.”
“दबे पाँव चलेंगे…ज़्यादा दूर नही है घर मेरा. और ये जंगल भी ज़्यादा बड़ा नही है. 5 मिनट में इसके बाहर निकल जाएँगे और बस फिर 5 मिनट में मेरे घर पहुँच जाएँगे.”
“घर में कौन-कौन है.”
“मैं अकेला ही हूँ…”
“क्यों तुम्हारी बीवी कहा गयी…”
“तलाक़ हो गया मेरा उस से. या यूँ कहो कि मेरी ग़रीबी से तंग आकर उसने मुझे छोड़ दिया. वक्त बुरा होता है तो परछाई भी साथ छोड़ जाती है. नौकरी छूटने के बाद बीवी भी छोड़ गयी.”
“क्या ये सब मेरे कारण हुआ.”
“जी हां बिल्कुल…चलो छोडो यहा से निकलते हैं पहले.”
“हां पर सारा किया धारा तो तुम्हारा ही था ना.”
“मुझे तुम्हारा काम पसंद नही था. प्राइवेट सेक्टर में ये हर जगह होता है. हर कोई तुम्हारी तरह बदले लेगा तो क्या होगा…और वो भी इतनी घिनोकी हरकत…छी तुम तो माफी के लायक भी नही हो. ये सब करने की बजाए तुम किसी और काम में मन लगाते तो अच्छा होता.”
“ठीक है मुझसे ग़लती हो गयी…बस खुश”
“पर अब यहा से कैसे निकले…वो साइको मेरी कार की चाबी भी ले गया.”
“मेरे घर चलोगि…थोड़ी दूर ही है.”
“नही…मैं सिर्फ़ अपने घर जाउंगी.”
“पर कैसे तुम्हारी कार की चाभी वो ले गया. फोन हमारे पास है नही…वैसे तुम्हारा फोन कहा है.”
“कार में ही था.”
“मेरी बात मानो मेरे घर चलो. वो पागलो की तरह हमे ढूँढ रहा है. हमे जल्द से जल्द यहा से निकल जाना चाहिए”
“क्या तुम्हारे घर फोन होगा.”
“फोन तो नही है वहां भी…पर हम सुरक्षित तो रहेंगे.”
“कितनी दूर है तुम्हारा घर.”
“नज़दीक ही है आओ चलें.”
“पर वो यही कहीं होगा वो हमारे कदमो की आहट सुन लेगा.”
“दबे पाँव चलेंगे…ज़्यादा दूर नही है घर मेरा. और ये जंगल भी ज़्यादा बड़ा नही है. 5 मिनट में इसके बाहर निकल जाएँगे और बस फिर 5 मिनट में मेरे घर पहुँच जाएँगे.”
“घर में कौन-कौन है.”
“मैं अकेला ही हूँ…”
“क्यों तुम्हारी बीवी कहा गयी…”
“तलाक़ हो गया मेरा उस से. या यूँ कहो कि मेरी ग़रीबी से तंग आकर उसने मुझे छोड़ दिया. वक्त बुरा होता है तो परछाई भी साथ छोड़ जाती है. नौकरी छूटने के बाद बीवी भी छोड़ गयी.”
“क्या ये सब मेरे कारण हुआ.”
“जी हां बिल्कुल…चलो छोडो यहा से निकलते हैं पहले.”