27-12-2019, 02:38 PM
तभी एक मोटरसाइकल सवार वहां से गुज़रते हुए ये सब देख कर रुक जाता है.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” अपर्णा ने उस आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुआ मेडम कोई प्रॉब्लम है क्या.” मोटरसाइकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती उस आदमी ने उस मोटरसाइकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके सीने में उतार दी. ये देख कर अपर्णा थर-थर काँपने लगी. “ओह माय गोड, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्रॉब्लम है क्या. क्या किसी ने सिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही अदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इस आदमी को एक नकाब पोश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पोश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सरा सर झूठ बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इस आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इस चाकू से. और अब इसी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधेड़ूंगा.”
अपर्णा का डर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और सुन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.
उस आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो, मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जा रहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुआ और वो नीचे गिर गया. ठीक अपर्णा के कदमो के पास.
अपर्णा ने देखा कि उस आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पोश था जिसके चुंगुल से बच कर वो भागी थी. इस से पहले कि अपर्णा कुछ कह और सोच पाती उस आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पोश की ओर फाइरिंग की. पर वो बच गया.
नकाब पोश ने अपर्णा का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.
“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर चिल्लाया.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” अपर्णा ने उस आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुआ मेडम कोई प्रॉब्लम है क्या.” मोटरसाइकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती उस आदमी ने उस मोटरसाइकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके सीने में उतार दी. ये देख कर अपर्णा थर-थर काँपने लगी. “ओह माय गोड, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्रॉब्लम है क्या. क्या किसी ने सिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही अदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इस आदमी को एक नकाब पोश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पोश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सरा सर झूठ बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इस आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इस चाकू से. और अब इसी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधेड़ूंगा.”
अपर्णा का डर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और सुन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.
उस आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो, मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जा रहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुआ और वो नीचे गिर गया. ठीक अपर्णा के कदमो के पास.
अपर्णा ने देखा कि उस आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पोश था जिसके चुंगुल से बच कर वो भागी थी. इस से पहले कि अपर्णा कुछ कह और सोच पाती उस आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पोश की ओर फाइरिंग की. पर वो बच गया.
नकाब पोश ने अपर्णा का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.
“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर चिल्लाया.