27-12-2019, 02:30 PM
“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” अपर्णा के मूह से ये शब्द निकले ही थे कि उस आदमी की चीख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पोश साया उस आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जा रहा था.
“ओह गॉड…” अपर्णा का पूरा शरीर ये दृश्य देख कर थर-थर काँपने लगा.”
वो इतना डर गयी कि कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा कि कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उस साए से ऑपोज़िट दिसा में भागी.
जो साया उस आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और अपर्णा को दबोच लिया, “छ …छोडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उस आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“आइ जस्ट लाइक किल्लिंग पीपल.”
“ओह गॉड क्या तुम्ही हो वो साइको सीरियल किलर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुंदर परी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इस से ज़्यादा अपर्णा चिल्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किस मुसीबत में फँस गयी. इस किलर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उसके पापा उसे रोज कहते थे कि कभी शाम 6 बजे से लेट मत होना. अपर्णा भी इस घटना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.
जंगल की गहराई में ले जा का उस साए ने अपर्णा के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसाऊ ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जितने पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“अपर्णा समझ रही थी कि कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इस वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” अपर्णा के मूह से ये शब्द निकले ही थे कि उस आदमी की चीख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पोश साया उस आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जा रहा था.
“ओह गॉड…” अपर्णा का पूरा शरीर ये दृश्य देख कर थर-थर काँपने लगा.”
वो इतना डर गयी कि कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा कि कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उस साए से ऑपोज़िट दिसा में भागी.
जो साया उस आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और अपर्णा को दबोच लिया, “छ …छोडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उस आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“आइ जस्ट लाइक किल्लिंग पीपल.”
“ओह गॉड क्या तुम्ही हो वो साइको सीरियल किलर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुंदर परी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इस से ज़्यादा अपर्णा चिल्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किस मुसीबत में फँस गयी. इस किलर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उसके पापा उसे रोज कहते थे कि कभी शाम 6 बजे से लेट मत होना. अपर्णा भी इस घटना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.
जंगल की गहराई में ले जा का उस साए ने अपर्णा के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसाऊ ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जितने पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“अपर्णा समझ रही थी कि कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इस वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.