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Adultery मायके का जायका
#31
सामने से परने वाली हेडलाईट कि रोशनी भी डिम कर सवार ड्राइवर और अन्य जाम के कारन को जानने के लिए उतर कर आने जाने लगे थे।थोडी देर में ही लौट कर आए एक आदमी दूसरे को कह रहा था,बहुत लंबी लाईन है भाई ,पिछले दो तीन घंटे से लगी है,कोई हादसा हो गया है,गुमटी के उस पार, सिक्युरिटी आएगी तब जाकर कुछ होगा,अभी दो ढाई घंटे या उससे जादा समय लगेगा।अब का होखी जी,उषा भाभी रमेश भैया को बोली।देखत हईं ना होखी त पलट के चलब नहरिया वाला सरक पकड़ लेहल जाई।ईहंवा का करेब रूक के,कौनो चायपानी के दुकानो नईखे।भाभी उनकी बात काटते हुए बोली ना हे उ त बरा सुनसान रास्ता बाटे,कोई रात में ओने से ना जाला।नरूआ वाली के साथ जबसे ओईसन भईल बाटे तबसे त आऊरो न कोई जाला ।ठीक त भईल रहे उ छिनरी के साथे,आउर हमनी के अकेले थोरे बानी जे डर बाटे।सीमा और मैं कुछ नही समझी लेकिन सीमा ही पुछ बैठी भाभी ई नरूआ वाली कौन ह आउर का भईल रहे।भाभी सीमा को आंखो से पास खरे लोगों कि तरफ ईशारा कर धीमे से बोली,बाद में बताईब और सीर सामने देखनै लगी।उसी समय एक आदमी जो शायद किसी ट्रक का ड्राइवर था गुमती के तरफ से टहलता हुआ आ रहा था जिसे देखते ही हमारे सामने अपने ट्रक के पास खरे हुए एक आदमी ने आश्चर्य भरी आवाज में टोका,का हो ठाकुरभाई तुहों फंस गईल ,हम त समझत रही तु शहर पहुंच गईल होखब।अरे का कहें राय जी,जब किसमत.खराब होत है त सब जगहे खराब हो जात है।तु आपन बताव रायजी पांड़ेजी के ढाबा पर के।मोबील पलटी भइल.बढिय़ा से,गुमती के तरफ से आने वाले ने पुछा।मैं समझी दोनो ड्राइवर अपने गाड़ी की बातें कर.रहे हैं।बगल में उषा भाभी अपनेआंचल से मुंह ढांपे शर्माइ मुश्कान से मेरी तरफ ताक रही थी।मुंह काहे ढांपले बारी भाभी कौनो पहचान के बा का ईहंबा।भाभी मुझे कोहनी मारती धीमे स्वर में बोली,सुनत नईखी मीरा बबुनी ई मर्दुअन के बात।भाभी बोली ईहो नईखी समझत बानी मीरा रानी और फिर दबी हंसी के साथ मूंह फे के आगे बैठी सीमा के तरफ देखने लगी साथ ही दामु को अंगुली से टहोका मारती बोली,का देखत हंई राउर पहिलका मोबील पातर हो गईल ह,फेर डाल दी मोबी आपन मीरा बहीन के।धत् भाभी ना जगह देखत हईं ना मौका सब जगहे एके बात।अभी चुपे रहीं ।अब मैं ईतनी नादान तो थी नही सब समझ गई।पता नही केयों मुझे उन अनजान आदमियों कि बातें सुनने में अचछी लगने लगी।मैं कुछ बातें भाभी से.करने लगी पर कान मेरी उनलोगो के तरफ ही लगी हुई थी।.अरे का कहें रायजी पांड़ेजी के ढाबे का नाम तो.पहले से सुन रखा था,पर जब हम कहें कि बढिया माल दिलवाईए त जिस को दिखलाए शाली एकदम खचेड़ू माल दिखलाए।लगता था बुरचोदी कहीं से ठुकवा के आ रही थी शाली मरघिल्ली।लटकल चुंची,मुंह में पान,न गांड़ न मुंह,अब ओकरा चोदे खतिरा त टैम खराब न कैल जात रहे।तु आपन बताव तोहर कैसन बितल।पहले से खरे ड्राइवर बोला,ठाकुरभाई हमर.त एकेगो माल बा जब आवत हईं हेने त पहिले ही बता देत हईं,बस दुबार ठुकाई कईली आ पांच सौ बुर में खोंसली,तु आपन रास्ता पकर हम अपन।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 27-12-2019, 11:50 AM



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