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Adultery मेहमान बेईमान
#2
ये एक हफ्ते पहले की बात है..उस दिन सनडे का दिन था मनीष के ऑफीस का ऑफ था.. हम दोनो ही आराम से बिस्तर मे एक दूसरे की बाहो मे बाहे डाल कर लेटे हुए पड़े थे.. तभी दरवाजे की डोरबेल बजी.. मैं सोच मे पड़ गयी की सुबह सुबह कॉन आ गया.. 

सुबह मे मनीष काफ़ी रोमॅंटिक अंदाज मे मुझसे बाते कर रहे थे ऑर उन बातो के बीच मे कॉन कबाब की हड्डी बन कर आ गया.. मैं जल्दी से बिस्तर से उठी ओर ब्रा ऑर पॅंटी पहन ने लगी.. पर मनीष ने मुझे पकड़ लिया ओर मेरे योनि पर किस करने लगे.. 

छ्चोड़िए ना क्या कर रहे है.. कोई दरवाजे पर बेल बजा रहा है.. मैने शरमाते हुए मनीस से कहा.. 

गूडमॉरिंग बोल रहा हू अपनी जान को.. मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर पकड़े हुए एक ऑर किस करते हुए कहा.. 

ये मनीष का रोज का स्टाइल था वो मेरे बिस्तर से उठने के साथ ही मेरी योनि पर किस करते थे.. ओर फिर मेरे होंठो पर.. पर आज कोई दरवाजे पर था.. मुझे जल्दी पड़ी हुई थी.. मनीष ने मेरे नितंब से हाथ हटा कर मेरी कमर मे डाल कर मुझे अपने उपर झुका लिया ओर अपने होंठो के बीच मे मेरे होंठ दबा कर किस करने लगे जैसे ही किस ख़तम हुआ मैने जल्दी से अपनी पॅंटी पहनी ओर मेक्सी पहन कर दरवाजे पर आ गयी.. तब से अब तक 4-5 बार वो बेल बज चुकी थी.. मैने अपने बालो को जो बिखरे हुए थे ठीक करते हुए दरवाजा खोला.. सामने एक लड़का खड़ा हुआ कोई 22-23 साल का.. उसके हाथ मे एक बॅग लगा हुआ था.. वो मेरी तरफ एक तक घूर के देखे जा रहा था.. 

उसका बॅग देख कर मुझे लगा कि वो कोई सेल्स मॅन है.. मैं उस से कुछ पूछती इस से पहले ही बोल उठा.. 

नमस्ते भाभी जी.. मनीष भैया है..? 

मैं उसकी सूरत देखती रही.. उसकी नज़रे मेरे पूरे जिस्म पर मुझे चुभती हुई महसूस हो रही थी.. कभी वो मेरे चेहरे को तो कभी मेरी छाती को एक तक घूरे जा रहा था.. 

माफ़ कीजिए मैने आप को पहचाना नही.. मैने उसकी तरफ हेरनी भरी निगाह से देखते हुए कहा.. 

मैं अमित.. वो अभी इस से आगे कुछ बोलता उस से पहले ही.. 

अरे पीनू.. वॉट ए सर्प्राइज़.. अरे बाहर क्यू खड़े हो अंदर आओ.. मनीष अंदर बेडरूम से बाहर आ गये थे.. 

उस लड़के ने आगे बढ़ कर मनीष के पैर छुए फिर मेरे भी.. 

अरे निशा ये पीनू है.. अपनी गाँव वाली मौसी है ना उनका लड़का.. आओ बैठो पीनू.. अरे निशा पीनू के लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करो.. 

उस लड़के की सूरत ऑर उसके मुझे यूँ घूर्ने से पहले ही नफ़रत सी हो गयी थी उस पर मनीष ने मुझे उसके लिए चाइ नाश्ता बनाने को कहा तो मेरे सीने पे जैसे साँप लॉट गये.. पर फिर यही सोच कर कि गाँव से आया है शायद इसे अकल नही होगी कि किसी के यहा जाने पर कैसे बिहेव करते है.. 

मैं वाहा से सीधा किचन मे आ गयी ओर मनीष ओर वो लड़का आपस मे बात कर के अपनी यादे ताज़ा करने लगे.. 

मैं नाश्ता ले कर बाहर आ गयी.. तो वो मुझे देख कर मनीष से बोला की भैया आप बोहोत किस्मत वाले हो जो आप को भाभी जैसी सुंदर बीवी मिली है.. उसकी निगाहे दोबारा से मुझे मेरे शरीर पर चुभती हुई महसूस होने लगी.. 

चिंता मत कर तेरे लिए भी ऐसी ही सुंदर बहू लाएगे.. मनीष ने मेरी तरफ मुस्करा कहा.. 

मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था.. मनीष ने मेरे हाथ से नाश्ता ले कर टेबल पर रख दिया ऑर अपने बराबर मे ही बैठने को कहा.. 

मुझे मेक्सी मे इस तरह से किसी अजनबी के आगे बैठने मे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. पर मैं मनीष के साथ ही बैठी रही.. 

वो लड़का मेरे सामने ही बैठा हुआ था ऑर मुझे देख कर मुकुराए जा रहा था.. मैं जब उसे चाइ देने के लिए टेबल पर झुकी तो उसकी निगाहे मेरे मेक्सी के अंदर झाँकति हुई लगने लगी.. मैं तुरंत एक हाथ अपने छाती पर लगा कर उसको चाइ पकड़ा दी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 27-12-2019, 07:11 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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