26-12-2019, 08:16 PM
अपने कमरे मे आ कर मैं बिस्तर पर लेट गयी.. मेरे हाथ मे वो डायरी ऑर चैन लगी हुई थी.. थोड़ी देर तक मैने उस चैन, जिस पर एन का लॉकेट लगा हुआ था देखती रही.. ऑर उसे उठा कर एक तरफ रख दिया..
मेरे दूसरे हाथ मे वो डायरी लगी हुई थी.. पता नही क्या लिखा होगा.. ये डायरी उसकी पर्सनल डायरी थी.. केयी बार मैने उसे इस डायरी मे कुछ लिखते हुए देखा था.. क्या उसकी डायरी खोल कर पढ़ना सही होगा..? घर के सभी काम निपटा ही लिए थे.. ऑर वैसे भी मनीष आज लेट आने वाले थे टीवी पर भी कुछ ऐसा खास प्रोग्राम नही आ रहा था.. डायरी पढ़ कर ही टाइम पास करते है.. यही सोच कर मैने डायरी को खोल कर पढ़ना शुरू कर दिया..
डायरी खोल कर जैसे ही मैने पहला पेज पढ़ना स्टार्ट किया मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.. उस डायरी मे उसने मेरे बारे मे लिख रखा था..
निशा बहुत खूबसूरत है.. इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी.. उपरवाले ने बहुत फ़ुर्सत से बनाया है.. मैं तो निशा की सूरत देखते ही उस पर फिदा हो गया था. इतना सुंदर चेहरा हर किसी को नही मिलता. उसकी आँखो की चंचलता उनके मटकने का अंदाज उफ़फ्फ़..
उसके होंठ तो बस.. एक दम गुलाब गुलाबी.. जब दोनो पंखुड़िया खिलती है तो देख कर ऐसा लगा कि हर वक्त कामुक रस टपकता रहता है उसके होंटो से.. ख़ुसनसीब है मनीष भैया जो कि उसे इतने रसीले होन्ट चूसने को मिलते हैं..
ऑर निशा के दोनो उरोज.. उनकी तो बात हिनिराली है.. दोनो उरोज हिमालय पर्वत के जैसे तने हुए उसकी छाती से चिपके हुए है.. जब वो चलती है तो दोनो उरोज उसके चलने से कामुक अंदाज़ में उपर नीचे हिलते हुए हाअय्यी.. दिल बैठ जाता है मेरा उन्हे यू हिलते देख कर. दोनो उरोज की मोटाई और गोलाई एक दम गजब है.. उपर वाले ने एक दम अलग ही सांचा तैयार करा होगा उसके स्तनो को ढालने के लिए.. जो भी उन्हे देखता होगा उसके मूह में पानी आ जाता होगा.. जैसे मेरे मूह में आ जाता है.. (ऑर बाकी सब दोस्तो के भी)
इतनी सब खूबिया होने के बाद भी उसमे जो सबसे ज़्यादा आकर्षक चीज़ थी उसकी गांद..निशा की गांद के बारे में क्या लिखूं कुछ समझ नही आ रहा.. कातिल गांद है निशा की.. मेरे दिल का कतल कर दिया निशा की गांद ने.. इतनी मस्त गांद मैने आज तक नही देखी.. जब वो चलती है तो गांद के दोनो गोल गोल तरबूज बहुत कामुक अंदाज में हिलते हैं.. उनका फूला हुआ पिछला हिस्सा उसके दोनो भागो को ओर भी ज़्यादा आकर्षित बनाता है.. नपुंसक का लंड भी खड़ा हो कर झटके मारते हुए सलामी देने लग जाए.. मेरा तो निशा की गांद के बारे में सोच कर ही बुरा हाल हो जाता है.. लंड बिठाए नही बैठता.. बार बार खड़ा हो कर उसकी गांद को सलामी देना शुरू कर देता है..
मुझे पूरा यकीन है कि इस अप्सरा की चूत भी कम कातिल नही होगी.. बल्कि वो तो सबसे ज़्यादा कयामत ढाती होगी.. कैसी दिखती होगी निशा की चूत.. झाते होगी उस पर या एक चिकनी होगी.. जैसी भी होगी.. कमाल होगी..
एक बार निशा को जी भर कर चोदना चाहता हू.. हर उस तरह से जैसा उसे देख कर मन मे ख़याल आता है.. कभी तो मन कर करता है कि उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत मारू कभी गांद मारू.. कभी ख़याल आता है उसकी दोनो चिकनी चिकनी टांगे अपने कंधे पर रख कर उसकी चूत मारू.. लेकिन जानता हूँ कि ये मुमकिन नही है.. ये मेरे दिल का केवल ख़याल है एक सपना है.. निशा मनीष भैया की बीवी है और मेरी भाभी के समान है.. इसलिए उसको चोदने का ख्वाब हमेशा ख्वाब ही रहेगा.. पर मुझे ख़ुसी है कि ऐसी सुन्दर अप्सरा के साथ मुझे एक ही घर की छत के नीचे रहने का मोका मिला है.. अगर निशा को च्छू नही सकता कम से कम देख तो सकता हू.. मैं उस उपर वाले का शूकर गुज़ार हू जिसने मुझे इतनी हसीन खूबसूरत अप्सरा को देखने का सोभाग्य दिया..
डाइयरी पढ़ने के बाद मुझे समझ में नही आ रहा था कि कैसे रिक्ट करूँ. मेरे बारे में बहुत गंदी गंदी बाते लिख रखी थी उसने डाइयरी में.
"इसका मतलब वो हर वक़्त मुझे घूरता रहता था. कितना बेशरम था शुरू से.. तभी उसकी निगाहे मुझे अपने उपर हमेशा महसूस होती रहती थी..
अपने बारे मे इतना गंदा लिखा हुआ पढ़ने के बाद मैं शरम से पानी पानी हो गयी.. मनीष ने आज तक कभी मेरे से ऐसे वर्ड यूज़ नही करे थे.. वो मुझे इसी तरह की भाषा मे बात करता था पर मुझे विश्वास नही हो रहा कि वो मेरे बारे मे ऐसा अपनी डायरी मे भी लिखेगा.. उस डायरी मे लिखी हुई बाते पढ़ने के बाद उसके आने से लेकर जाने तक की सारी घटना मेरी आँखो के आगे घूमने लग गयी..
मेरे दूसरे हाथ मे वो डायरी लगी हुई थी.. पता नही क्या लिखा होगा.. ये डायरी उसकी पर्सनल डायरी थी.. केयी बार मैने उसे इस डायरी मे कुछ लिखते हुए देखा था.. क्या उसकी डायरी खोल कर पढ़ना सही होगा..? घर के सभी काम निपटा ही लिए थे.. ऑर वैसे भी मनीष आज लेट आने वाले थे टीवी पर भी कुछ ऐसा खास प्रोग्राम नही आ रहा था.. डायरी पढ़ कर ही टाइम पास करते है.. यही सोच कर मैने डायरी को खोल कर पढ़ना शुरू कर दिया..
डायरी खोल कर जैसे ही मैने पहला पेज पढ़ना स्टार्ट किया मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.. उस डायरी मे उसने मेरे बारे मे लिख रखा था..
निशा बहुत खूबसूरत है.. इतनी सुंदर लड़की मैने आज तक नही देखी.. उपरवाले ने बहुत फ़ुर्सत से बनाया है.. मैं तो निशा की सूरत देखते ही उस पर फिदा हो गया था. इतना सुंदर चेहरा हर किसी को नही मिलता. उसकी आँखो की चंचलता उनके मटकने का अंदाज उफ़फ्फ़..
उसके होंठ तो बस.. एक दम गुलाब गुलाबी.. जब दोनो पंखुड़िया खिलती है तो देख कर ऐसा लगा कि हर वक्त कामुक रस टपकता रहता है उसके होंटो से.. ख़ुसनसीब है मनीष भैया जो कि उसे इतने रसीले होन्ट चूसने को मिलते हैं..
ऑर निशा के दोनो उरोज.. उनकी तो बात हिनिराली है.. दोनो उरोज हिमालय पर्वत के जैसे तने हुए उसकी छाती से चिपके हुए है.. जब वो चलती है तो दोनो उरोज उसके चलने से कामुक अंदाज़ में उपर नीचे हिलते हुए हाअय्यी.. दिल बैठ जाता है मेरा उन्हे यू हिलते देख कर. दोनो उरोज की मोटाई और गोलाई एक दम गजब है.. उपर वाले ने एक दम अलग ही सांचा तैयार करा होगा उसके स्तनो को ढालने के लिए.. जो भी उन्हे देखता होगा उसके मूह में पानी आ जाता होगा.. जैसे मेरे मूह में आ जाता है.. (ऑर बाकी सब दोस्तो के भी)
इतनी सब खूबिया होने के बाद भी उसमे जो सबसे ज़्यादा आकर्षक चीज़ थी उसकी गांद..निशा की गांद के बारे में क्या लिखूं कुछ समझ नही आ रहा.. कातिल गांद है निशा की.. मेरे दिल का कतल कर दिया निशा की गांद ने.. इतनी मस्त गांद मैने आज तक नही देखी.. जब वो चलती है तो गांद के दोनो गोल गोल तरबूज बहुत कामुक अंदाज में हिलते हैं.. उनका फूला हुआ पिछला हिस्सा उसके दोनो भागो को ओर भी ज़्यादा आकर्षित बनाता है.. नपुंसक का लंड भी खड़ा हो कर झटके मारते हुए सलामी देने लग जाए.. मेरा तो निशा की गांद के बारे में सोच कर ही बुरा हाल हो जाता है.. लंड बिठाए नही बैठता.. बार बार खड़ा हो कर उसकी गांद को सलामी देना शुरू कर देता है..
मुझे पूरा यकीन है कि इस अप्सरा की चूत भी कम कातिल नही होगी.. बल्कि वो तो सबसे ज़्यादा कयामत ढाती होगी.. कैसी दिखती होगी निशा की चूत.. झाते होगी उस पर या एक चिकनी होगी.. जैसी भी होगी.. कमाल होगी..
एक बार निशा को जी भर कर चोदना चाहता हू.. हर उस तरह से जैसा उसे देख कर मन मे ख़याल आता है.. कभी तो मन कर करता है कि उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत मारू कभी गांद मारू.. कभी ख़याल आता है उसकी दोनो चिकनी चिकनी टांगे अपने कंधे पर रख कर उसकी चूत मारू.. लेकिन जानता हूँ कि ये मुमकिन नही है.. ये मेरे दिल का केवल ख़याल है एक सपना है.. निशा मनीष भैया की बीवी है और मेरी भाभी के समान है.. इसलिए उसको चोदने का ख्वाब हमेशा ख्वाब ही रहेगा.. पर मुझे ख़ुसी है कि ऐसी सुन्दर अप्सरा के साथ मुझे एक ही घर की छत के नीचे रहने का मोका मिला है.. अगर निशा को च्छू नही सकता कम से कम देख तो सकता हू.. मैं उस उपर वाले का शूकर गुज़ार हू जिसने मुझे इतनी हसीन खूबसूरत अप्सरा को देखने का सोभाग्य दिया..
डाइयरी पढ़ने के बाद मुझे समझ में नही आ रहा था कि कैसे रिक्ट करूँ. मेरे बारे में बहुत गंदी गंदी बाते लिख रखी थी उसने डाइयरी में.
"इसका मतलब वो हर वक़्त मुझे घूरता रहता था. कितना बेशरम था शुरू से.. तभी उसकी निगाहे मुझे अपने उपर हमेशा महसूस होती रहती थी..
अपने बारे मे इतना गंदा लिखा हुआ पढ़ने के बाद मैं शरम से पानी पानी हो गयी.. मनीष ने आज तक कभी मेरे से ऐसे वर्ड यूज़ नही करे थे.. वो मुझे इसी तरह की भाषा मे बात करता था पर मुझे विश्वास नही हो रहा कि वो मेरे बारे मे ऐसा अपनी डायरी मे भी लिखेगा.. उस डायरी मे लिखी हुई बाते पढ़ने के बाद उसके आने से लेकर जाने तक की सारी घटना मेरी आँखो के आगे घूमने लग गयी..