26-12-2019, 06:22 PM
श्रेया ने अपर्णा को गले लगाकर कहा, "मेरी प्यारी छोटी बहना। बस अब शांत हो जा। जो हुआ वह तो होना ही था। मेरे पति को मैं भली भाँती जानती हूँ। वह जो कुछ भी ठान लेते हैं वह कर के ही छोड़ते हैं। तेरी बिल्ली तो मरनी ही थी।" दोनों बहने एक दूर के गले मिलकर काफी भावुक होकर काफी देर तक एक दूसरे की बाँहों में लिपटे हुए खड़ी रहीं। फिर अपर्णा ने श्रेया के गालों में चिमटी भरते हुए कहा, "मेरी बिल्ली मरवाने में आपका भी तो बहुत बड़ा योगदान है। आप भी तो दाना पानी ले कर मेरे पीछे ही पड़ गयीं थीं की मेरे पति से चुदवाले। अब मैं करती भी तो क्या करती? एक तरफ आप, दूसरी तरफ मेरे पति और बाकी कसर थी तो वह तुम्हारे रोमांटिक पति जीतूजी ने पूरी कर् ली। उनका तो माशा अल्ला क्या कहना? सब ने मिलकर मेरी बेचारी बिल्ली को कहीं का नहीं छोड़ा।"श्रेया जी और अपर्णा दोनों कुछ देर ऐसे ही लिपटे रहे और बाद में अलग हो कर दोनों ने यह तय किया की उसके बाद वह एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। अपर्णा ने जब अपनी सारी कहानी सुनाई तो सुनकर श्रेया जी तो दंग ही रह गयीं। कैसे अपर्णा को वह राक्षशी मोटू परेशान करता रहा और आखिर में जीतूजी ने उन्हें कैसे मार दिया और कैसे अपर्णा को जीतूजी ने बचाया, यह सुनकर श्रेया भी भावुक हो गयी। आखिर में अपर्णा ने अपने आपको कैसे जीतूजी को समर्पण किया वह अपर्णा ने विस्तार पूर्वक अपनी बड़ी बहन को बताया।
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बाकी के उनदिनों की याद सब के लिए जैसे एक मधुर सपने के समान बन गयीं। हर रात, श्रेया जी रोहित के बिस्तर में और अपर्णा जीतूजी की बाँहों में सम्पूर्ण निर्वस्त्र होकर पूरी रात चुदाई करवाते।
कभी दोनों ही बिस्तर पर लेट कर एक दूर के सामने ही एक दूसरे के पति से या फिर अपने ही पति से चुदवातीं।
कभी दोनों बहनें अपने प्रेमियों के ऊपर चढ़ कर उनको चोदतीं तो कभी दोनों बहने एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को घना आलिंगन कर एक दूसरे में ही मगन हो जातीं।
दिन में काफी चल कर पहाड़ियों में घूमना। रास्ते में जब आसपास कोई ना हो तो एक दूसरे से की छेड़छाड़ करना और शामको थक कर वापस आना। पर रात में मौज करने का मौक़ा कभी नहीं चूकना। यह उनका नित्यक्रम बना हुआ था।
देखते ही देखते हफ्ता कहाँ बीत गया कोई पता ही नहीं चला। आखिर में वापस जाने की घडी आगयी। वापस जाने के लिए तैयार होने पर सब निराश दिख रहे थे। जो आनंद, उत्तेजना और रोमांच उन सबको सेना के उस कैंप में आया था वह अब एक ना भूलने वाला अनुभव बन कर इतिहास बन गया था।
वापस जाने के लिए तैयार होते हुए श्रेया, रोहित, जीतूजी और अपर्णा सब के जेहन में एक ही बात थी की जो समय उन्होंने उन वादियों, झरनों, घने बादलों, और जंगल में बिताया था वह एक अद्भुत रोमांचक, उत्तेजना पूर्ण और उन्मादक इतिहास था। रोमांच, उत्तेजना और उन्माद के वह दिन वह दोनों जोड़ियां कभी भी नहीं भूल पाएंगीं।
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बाकी के उनदिनों की याद सब के लिए जैसे एक मधुर सपने के समान बन गयीं। हर रात, श्रेया जी रोहित के बिस्तर में और अपर्णा जीतूजी की बाँहों में सम्पूर्ण निर्वस्त्र होकर पूरी रात चुदाई करवाते।
कभी दोनों ही बिस्तर पर लेट कर एक दूर के सामने ही एक दूसरे के पति से या फिर अपने ही पति से चुदवातीं।
कभी दोनों बहनें अपने प्रेमियों के ऊपर चढ़ कर उनको चोदतीं तो कभी दोनों बहने एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को घना आलिंगन कर एक दूसरे में ही मगन हो जातीं।
दिन में काफी चल कर पहाड़ियों में घूमना। रास्ते में जब आसपास कोई ना हो तो एक दूसरे से की छेड़छाड़ करना और शामको थक कर वापस आना। पर रात में मौज करने का मौक़ा कभी नहीं चूकना। यह उनका नित्यक्रम बना हुआ था।
देखते ही देखते हफ्ता कहाँ बीत गया कोई पता ही नहीं चला। आखिर में वापस जाने की घडी आगयी। वापस जाने के लिए तैयार होने पर सब निराश दिख रहे थे। जो आनंद, उत्तेजना और रोमांच उन सबको सेना के उस कैंप में आया था वह अब एक ना भूलने वाला अनुभव बन कर इतिहास बन गया था।
वापस जाने के लिए तैयार होते हुए श्रेया, रोहित, जीतूजी और अपर्णा सब के जेहन में एक ही बात थी की जो समय उन्होंने उन वादियों, झरनों, घने बादलों, और जंगल में बिताया था वह एक अद्भुत रोमांचक, उत्तेजना पूर्ण और उन्मादक इतिहास था। रोमांच, उत्तेजना और उन्माद के वह दिन वह दोनों जोड़ियां कभी भी नहीं भूल पाएंगीं।
समाप्त!!!