Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
रोहित ने अपर्णा से कहा, "हाँ, बिलकुल। अब तुम्हें जीतूजी से चुदवाने में कोई रोकटोक नहीं है।" यह कह कर रोहित फ़टाफ़ट बाथरूम में घुसे। अपर्णा तौलिया लपेटे हुए आगे बढ़ी और जीतूजी के पास पहुंची। जीतूजी अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए देख रहे थे। अपर्णा अर्धा बदन छिपाए हुए तौलिये में शर्माते हुए उनके सामने खड़ी थी। जब अपर्णा जीतूजी के सामने खड़ी हुई, तो अपर्णा ने देखा की अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए आधी नंगी देख कर जीतूजी ढीला लण्ड फिर खड़ा हो गया। अपर्णा हैरान रह गयी की उसकी इतनी भारी चुदाई करने के बाद और तीन बार झड़ने के बादभी जीतूजी का लण्ड वैसे का वैसा ही खड़ा हो गया था। अपर्णा घबरा गयी की कहीं जीतूजी का फिर उसे चोदने का मन ना हो जाए। वह फिर से जीतूजी से चुदवाना तो चाहती थी, पर उस समय उसकी चूत सूजी हुई थी। जीतूजी ने अपनी बाँहें लम्बी कर अपर्णा को अपने आगोश में ले लिया। अपर्णा ने भी अपने होँठों को आगे कर जीतूजीके होँठोंसे मिला दिए। दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुट गए। अपर्णाका तौलिया वैसे ही खुल गया। जीतूजी सुनिता के दोनों गुम्बजों को अपनी हथेलियों में भर कर उन्हें दबाकर अपना उन्माद व्यक्त करने लगे। अपर्णा को लगा की जीतूजी एक बार फिर उसे चोदने के लिए तैयार हो रहे थे। तब अपर्णा ने अपने मन को सम्हालते हुए जीतूजी की बाँहें धीरे से और बड़े प्यार से हटा कर कहा, "मेरे प्रियतम, अभी नहीं। मुझे दर्द हो रहा है। पर अब तुम जब चाहोगे मैं तुम्हारे पास दौड़ी चली आउंगी। जितनी व्याकुलता आपको है उससे कहीं ज्यादा मुझे भी है। मैं अब तुम्हारी हो चुकी हूँ और तुम जब चाहो मुझे भोग सकते हो।" जीतूजी ने अपनी आँखें अपर्णा की आँखों में डालकर कहा, "प्यारी अपर्णा, आज मैं तुमसे वादा करता हूँ की आज के बाद मैं तुम्हें और श्रेया को छोड़कर किसी भी औरत की और बुरी नजर से नहीं देखूंगा। आज तुमने मेरी सारी इच्छाएं मेरी सारी मनोकामना पूरी कर दी हैं। मुझे इससे और कुछ ज्यादा नहीं चाहिए। और हाँ, अब हमें यहां से निकले के लिए तैयार होना है।"

यह कह कर जीतूजी धीरे से अपर्णा से थोड़ा हट कर खड़े हुए। उनके खड़े होते ही उनका खड़ा लण्ड हवा में झूलने लगा। अपर्णा ने झुक कर उसे बड़े प्यारसे चूमा और और उसका अग्रभाग अपने मुंह में लेकर उसे चाटने लगी। अपर्णा जीतूजी के लण्ड को चाटती हुई ऊपर नजरें उठाकर जीतूजी की और देखने लगी की अपना लण्ड चुसवा कर जीतूजी के चेहरे पर कैसे भाव दिख रहेथे। जीतू जी अपनी आँखें बंद कर अपर्णा से अपने लण्ड को चुसवाने का मजा ले रहे थे। अपर्णा के बड़े प्यार और दुलार से जीतूजी का लण्ड एक हाथ में पकड़ कर सहलाना और साथ साथ में मुंह में जीभ को हिलाते हुए लण्ड को अपने मुंह की लार से सराबोर करते हुए चूसवाने का अनुभव महसूस कर जीतूजी खड़े खड़े आँखें मूँद कर मजे ले रहे थे। कुछ ही पलों में जीतूजी का बदन जैसे ऐंठ सा गया। उनकी छाती की पसलियां सख्त हो गयीं और वह मचलने लगे। इतनी बार अपर्णा की चुदाई करते हुए झड़ ने के बाद भी जीतूजी एक बार फिर अपना वीर्य अपर्णा के मुंह या हाथ में छोड़ने के लिए तैयार हो रहे थे। अपर्णा ने यह महसूस किया और फुर्ती से जीतूजी का लण्ड हिलाने और बड़े प्यार से चूसने लगी। जीतूजी का सख्त बदन कुछ अजीब सा रोमांचित होते हुए हलके से झटके खाने लगा। अपर्णा ने जब लण्ड को हिलाने की रफ़्तार और तेज की तब जीतूजी से रहा नहीं गया और एक झटके से उनके लण्ड के छिद्र से फिर एक बार उनकी मर्दानगी भरा वीर्य उनके लण्ड से फुट पड़ा।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.


Messages In This Thread
RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 06:18 PM



Users browsing this thread: 15 Guest(s)