26-12-2019, 06:16 PM
जीतूजी को भी रोहित का लण्ड उनके लण्ड से रगड़ खाता हुआ महसूस हो रहा था। दोनों मर्दों के लिए भी यह अनुभव कोई चमत्कार से कम नहीं था। कहाँ एक सेना का विशिष्ट सम्मान्नित पदाधिकारी और एक अति विशिष्ट पत्रकार और कहाँ एक सम्मानित गृहिणी महिला। पर तीनों प्यार के एक अजीब से फितूर में मग्न उस दिन अपर्णा से चिपके हुए थे और ऐसी प्यार भरी हरकत कर रहे थे जिसके बारे में शायद उन्होंने सोचा तक नहीं था। तीनों के मन में कुछ अजीब से तरंग लहरा रहे थे। जीतूजी ने अपना धैर्य सम्हाले रक्खा था पर अब इस नए अनुभव की उत्तेजना से वह जवाब देने लगा। अब वह अपने वीर्य पर काबू नहीं रख पा रहे थे। अपर्णा का जैसे छूट गया की जीतूजीका वीर्यका फव्वारा भी अपर्णा की चूत में गरम गरम लावा जैसे चारों तरफ फ़ैल रहा हो और अपनी गर्मी से पूरी गुफा की सुरंग को गर्माता हुआ चूत की गुफा में जगह ना होने के कारण अपर्णा चूत के बाहर निकल रहा था। यह दृश्य देखते ही अपर्णाके पति रोहित जी भी अपने आप पर कण्ट्रोल ना रख पाए और पिछेसे अपर्णा को चिपकते हुए, "अपर्णा, मैं तेरे अंदर ही अपना माल निकाल रहा हूँ। " कह कर उन्होंने भी अपना सारा माल अपर्णा की गाँड़ की सुरंग में निकाल दिया।
पहली बार अपर्णा ना सिर्फ दो मर्दों से एक साथ चुदी बल्कि दो मर्दों का माल भी उसकी चूत और गाँड़ में डाला गया। अपर्णा की चूत और गाँड़ दोनों में से ही उसके पति और प्रियतम के वीर्य की मलाई बाहर निकल रही थी। अपर्णा की बच्चे दानी में जीतूजी का वीर्य जा चुका था। पर क्या वह अपर्णा के अण्ड से मिलकर फलीभूत हो पायेगा? क्या अपर्णा जीतूजी का बच्चा अपने गर्भ में ले पायेगी? कोई भी सावधानी के बिना जीतूजी से काफी अच्छी तरह से चुदवाने के कारण उसके मन में यह प्रश्न उठ रहा था। यह सवाल अपर्णा के मन में अजीब सी मचलन पैदा कर रहा था। अपर्णा की मन की ख्वाहिश थी की उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण हो क्यूंकि वह चाहती थी की उसका बच्चा एक दिन देशकी सेवा में ऐसे ही लग जाए जैसे जीतूजी लगे हुए थे।
दुसरा आज नहीं तो कल उसे अपने घर में शिफ्ट होना था। तब वह जीतूजी से दूर हो सकती थी। तो वह अपने बच्चे को देख कर ही जीतूजी को याद कर लिया करेगी।
साथ साथ में अपर्णा को एक भरोसा भी था। अगर उस दिन उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण नहीं पायी तो भी बाद में भी मौक़ा तो मिलना ही था। अपर्णा ने अपने पति को स्पष्ट कह दिया था की अगर वह जीतूजी से एक बार चुदवायेगी तो वह आखरी बार नहीं होगा। फिर वह जीतूजी से बार बार चुदवाना चाहेगी। तो रोहित को उसे वह आझादी देनी पड़ेगी। अपर्णाके पति रोहित जी को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। अपर्णा के पति रोहित भी तो श्रेया को बार बार चोदने के सपने देख रहे थे। श्रेया को एक बार चोदने से उनका मन नहीं भरा था। जिस जोश के साथ रोहित से श्रेया ने चुदवाया था वह देखने लायक था। रोहित से उनकी अपनी पत्नी अपर्णा ने ऐसे कभी नहीं चुदवाया था। इसी लिए तो कहते हैं की "घरकी मुर्गी दाल बराबर।"
रोहित, जीतूजी और साथ साथ में अपर्णा के झड़ने से अब तीनों थकान महसूस कर रहे थे। अपर्णा की चूत इतनी जबरदस्त चुदाई से सूज गयी थी और उसे दर्द भी महसूस हो रहा था। चुदवाते समय उन्माद में दर्द महसूस नहीं हो रहा था। पर जब चुदाई ख़तम करके सब एक दूसरे से थोड़ा हट के लेटे तो अपर्णा को दर्द महसूस हुआ। अपर्णा उठकर अपने कपडे लेकर बाथरूम में गयी। उसने अपनी चूत और आसपास के सारे दाग और वीर्य के धब्बों को साफ़ किया। अपने बदन पर ठीक तरहसे साबुन लगाकर वह नहायी। फिर अपने कपडे लेकर तौलिया लपेट कर वह बाहर निकली तो रोहित नंगधडंग खड़े बाथरूम के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। अपर्णा को उन्होंने अपनी बाँहों में लपेट लिया और उसे चुम्बन करते हुए वह अपर्णा के कानों में बोले, "बीबी, मैं आपका बहुत आभारी हूँ की आपने मेरे मन की ख्वाहिश आज पूरी की।" अपर्णा ने अपने पति के होँठों अपने होँठ चुसवाते हुए उसी धीमे आवाज में कहा, "अब आप भी श्रेया को चोदने के लिए आझाद हो। अब हम दो कपल नहीं। अब हम एक जोड़ी हैं। क्या अब हम जो जब जिससे चाहे सम्भोग कर सकते है ना?"
पहली बार अपर्णा ना सिर्फ दो मर्दों से एक साथ चुदी बल्कि दो मर्दों का माल भी उसकी चूत और गाँड़ में डाला गया। अपर्णा की चूत और गाँड़ दोनों में से ही उसके पति और प्रियतम के वीर्य की मलाई बाहर निकल रही थी। अपर्णा की बच्चे दानी में जीतूजी का वीर्य जा चुका था। पर क्या वह अपर्णा के अण्ड से मिलकर फलीभूत हो पायेगा? क्या अपर्णा जीतूजी का बच्चा अपने गर्भ में ले पायेगी? कोई भी सावधानी के बिना जीतूजी से काफी अच्छी तरह से चुदवाने के कारण उसके मन में यह प्रश्न उठ रहा था। यह सवाल अपर्णा के मन में अजीब सी मचलन पैदा कर रहा था। अपर्णा की मन की ख्वाहिश थी की उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण हो क्यूंकि वह चाहती थी की उसका बच्चा एक दिन देशकी सेवा में ऐसे ही लग जाए जैसे जीतूजी लगे हुए थे।
दुसरा आज नहीं तो कल उसे अपने घर में शिफ्ट होना था। तब वह जीतूजी से दूर हो सकती थी। तो वह अपने बच्चे को देख कर ही जीतूजी को याद कर लिया करेगी।
साथ साथ में अपर्णा को एक भरोसा भी था। अगर उस दिन उसे जीतूजी के वीर्य से गर्भ धारण नहीं पायी तो भी बाद में भी मौक़ा तो मिलना ही था। अपर्णा ने अपने पति को स्पष्ट कह दिया था की अगर वह जीतूजी से एक बार चुदवायेगी तो वह आखरी बार नहीं होगा। फिर वह जीतूजी से बार बार चुदवाना चाहेगी। तो रोहित को उसे वह आझादी देनी पड़ेगी। अपर्णाके पति रोहित जी को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। अपर्णा के पति रोहित भी तो श्रेया को बार बार चोदने के सपने देख रहे थे। श्रेया को एक बार चोदने से उनका मन नहीं भरा था। जिस जोश के साथ रोहित से श्रेया ने चुदवाया था वह देखने लायक था। रोहित से उनकी अपनी पत्नी अपर्णा ने ऐसे कभी नहीं चुदवाया था। इसी लिए तो कहते हैं की "घरकी मुर्गी दाल बराबर।"
रोहित, जीतूजी और साथ साथ में अपर्णा के झड़ने से अब तीनों थकान महसूस कर रहे थे। अपर्णा की चूत इतनी जबरदस्त चुदाई से सूज गयी थी और उसे दर्द भी महसूस हो रहा था। चुदवाते समय उन्माद में दर्द महसूस नहीं हो रहा था। पर जब चुदाई ख़तम करके सब एक दूसरे से थोड़ा हट के लेटे तो अपर्णा को दर्द महसूस हुआ। अपर्णा उठकर अपने कपडे लेकर बाथरूम में गयी। उसने अपनी चूत और आसपास के सारे दाग और वीर्य के धब्बों को साफ़ किया। अपने बदन पर ठीक तरहसे साबुन लगाकर वह नहायी। फिर अपने कपडे लेकर तौलिया लपेट कर वह बाहर निकली तो रोहित नंगधडंग खड़े बाथरूम के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे। अपर्णा को उन्होंने अपनी बाँहों में लपेट लिया और उसे चुम्बन करते हुए वह अपर्णा के कानों में बोले, "बीबी, मैं आपका बहुत आभारी हूँ की आपने मेरे मन की ख्वाहिश आज पूरी की।" अपर्णा ने अपने पति के होँठों अपने होँठ चुसवाते हुए उसी धीमे आवाज में कहा, "अब आप भी श्रेया को चोदने के लिए आझाद हो। अब हम दो कपल नहीं। अब हम एक जोड़ी हैं। क्या अब हम जो जब जिससे चाहे सम्भोग कर सकते है ना?"