26-12-2019, 06:11 PM
(This post was last modified: 26-12-2019, 06:15 PM by usaiha2. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जीतूजी बिस्तर पर लेटे हुए थे। अपर्णा जीतूजी के ऊपर उनका लण्ड अपनी चूत में लिए हुए जीतूजी को प्यार भरा चुंबन कर रही थी। अपनी गाँड़ थोड़ी ऊपर की और उठा कर वह रोहित यानी अपने पतिसे अपनी गाँड़ के छिद्र में चिकना तेल या ऑइंटमेंट डलवा कर उसे स्निग्ध करवा रही थी। रोहित का लण्ड पहले जितना कडा तो रहा नहीं था फिर भी रोहित का मन पहली बार अपनी बीबी अपर्णा की गाँड़ मारने के लिए मचल रहा था। अपनी बीबी की गाँड़ में अच्छी तरह चिकनाहट भरा तेल डालनेके बाद रोहित ने अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बीबी की गाँड़ के छिद्र के द्वार पर टिका दिया और एक हल्का धक्का मारा। एकतो रोहित जी का लण्ड ढीला पड़ गया था। दूसरे वह तेल से लबालब लिपटा हुआ था सो एकदम सरसराता हुआ वह अपर्णा की गाँड़ में घुस गया। इतनी आसानी से अपना लण्ड घुस गया यह देख रोहित जी ने अपने पेंडू से एक धक्का मारा और अपना पूरा लण्ड अपर्णा की गाँड़ में घुसा दिया। अपर्णा की गाँड़ की सुरंग उतनी फैली हुई तो थी नहीं। अपर्णा को अचानक एक टीस उठी और दर्द हुआ। वह कुछ लम्हों के लिए सहम गयी। अपर्णा चीखी तो नहीं पर वह उस दर्द को बर्दाश्त करने के लिए अपनी आँखें भींच कर कुछ देर जीतूजी के ऊपर लेटी हुई पड़ी रही। उस समय अपर्णा की चूत में जीतूजी का लण्ड और उसकी गाँड़ में अपने पति का। अपर्णा ने अपनी जिंदगी में पहली बार दो मर्दों का लण्ड एक साथ लिया था। यह अनुभव किसी भी महिला के लिए बड़ा ही अजीब या अनूठा होता है और शायद कम ही महिलायें ऐसा अनुभव करना चाहेंगी। अपर्णा के उस दिन दो पति हो गए। वह दो पति की पत्नी हो गयी। और दोनों ही पति अपर्णा को एक साथ चोद रहे थे।
रोहित ने पीछेसे धीरे धीरे अपनी बीबीकी गाँड़ चोदनी शुरू की। अपर्णा भी दर्द कुछ कम होने के बाद बेहतर महसूस कर रहीथी। पहली बार किसी लण्ड का अपनी गांड में अनुभव कर अपर्णा कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी। उसे महसूस हो रहा था की उसके बदन में दो लण्ड एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे। बिच में मात्र त्वचा की पतली सतह ही थी। रोहित ने धीरे धीरे अपनी बीबी की गाँड़ में अपना लण्ड हलके हलके ठोकना शुरू किया। जीतूजी निचे से और रोहित ऊपर से और बेचारी अपर्णा दो हट्टे कट्टे मर्दों के बिच में पिचकी हुईथी। पर उसे बेतहाशा उन्मादक उत्तेजना और रोमांच महसूस हो रहा था। सिर्फ इस लिए नहीं की वह दो लण्डसे एक साथ चुदवा रही थी, पर इस लिएभी की उसे आज अपने दोनों मर्दों की एक छिपीसी विचित्रसी इच्छा या लालसा पूरी करने का मौक़ा मिल रहा था और साथ साथ में उसे अपने दो प्रेमी जो उस पर जान छिड़कते थे उन्हें एक साथ प्यार करने का मौक़ा मिल रहा था।
अपने पति का लण्ड पहली बार गाँड़ में ले ने से उसे काफी दर्द तो हुआ, पर वह आज वह दर्द सहने के लिए तैयार थी। अपर्णा को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके पेट के निचले वाला हिस्सा पूरी तरह से कोई ठोस सामान से भर गया हो। उसे ऐसे लगा जैसे वह गर्भवती हो। उसके पेट में एक साथ दो कड़े मोटे लण्ड घुस रहे थे निकल रहे थे। दर्दनाक होने के बावजूद अपर्णा को अपनी चूत और गाँड़ एक साथ दो लण्ड से चुदवाना अच्छा लगा, चूँकि वह उसके प्रेमियों के थे। रोहित अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे जब की जीतूजी ने अपनी चोदने की रफ़्तार अच्छी खासी बढ़ा दी थी। अपर्णा को दोनों मर्दों के एक एक धक्के से उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती थी।
अपर्णा अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रही थी। उसका बदन जैसे एक नयी ऊंचाई को छू रहा था। उसके हॉर्मोन्स और उसका स्त्री रस उसकी चूत में से रस की धारा समान रिस रहा था। उसके दिमाग में एक अजीब सा नशा छाया हुआ था। अपर्णा की सांस फूल रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से रोमांच के मारे चीत्कारियाँ निकल जाती थीं। अपर्णा की चूत में अचानक मचलन बहुत ज्यादा बढ़ गयी। वह अपने बदन पर नियत्रण नहीं कर पा रही थी। जीतूजी की फुर्तीली चुदाई और रोहित की गाँड़ में लण्ड से चुदाई के कारण अपर्णा अपना आपा खो रही थी। उसका दिमाग घूम रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाँहों में कस के पकड़ा और बोली, "जीतूजी मुझे खूब चोदो। आज मैं आप दोनोंसे खूब चुदवाना चाहती हूँ। पता नहीं आगे यह मौक़ा मिले या ना मिले "कल हो ना हो..."
यह कहते ही अपर्णा के दिमाग और मन में एक गजब का धमाका सा हुआ और "हाय राम... " कह कर अपर्णा झड़ पड़ी।
रोहित ने पीछेसे धीरे धीरे अपनी बीबीकी गाँड़ चोदनी शुरू की। अपर्णा भी दर्द कुछ कम होने के बाद बेहतर महसूस कर रहीथी। पहली बार किसी लण्ड का अपनी गांड में अनुभव कर अपर्णा कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी। उसे महसूस हो रहा था की उसके बदन में दो लण्ड एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे। बिच में मात्र त्वचा की पतली सतह ही थी। रोहित ने धीरे धीरे अपनी बीबी की गाँड़ में अपना लण्ड हलके हलके ठोकना शुरू किया। जीतूजी निचे से और रोहित ऊपर से और बेचारी अपर्णा दो हट्टे कट्टे मर्दों के बिच में पिचकी हुईथी। पर उसे बेतहाशा उन्मादक उत्तेजना और रोमांच महसूस हो रहा था। सिर्फ इस लिए नहीं की वह दो लण्डसे एक साथ चुदवा रही थी, पर इस लिएभी की उसे आज अपने दोनों मर्दों की एक छिपीसी विचित्रसी इच्छा या लालसा पूरी करने का मौक़ा मिल रहा था और साथ साथ में उसे अपने दो प्रेमी जो उस पर जान छिड़कते थे उन्हें एक साथ प्यार करने का मौक़ा मिल रहा था।
अपने पति का लण्ड पहली बार गाँड़ में ले ने से उसे काफी दर्द तो हुआ, पर वह आज वह दर्द सहने के लिए तैयार थी। अपर्णा को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके पेट के निचले वाला हिस्सा पूरी तरह से कोई ठोस सामान से भर गया हो। उसे ऐसे लगा जैसे वह गर्भवती हो। उसके पेट में एक साथ दो कड़े मोटे लण्ड घुस रहे थे निकल रहे थे। दर्दनाक होने के बावजूद अपर्णा को अपनी चूत और गाँड़ एक साथ दो लण्ड से चुदवाना अच्छा लगा, चूँकि वह उसके प्रेमियों के थे। रोहित अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे जब की जीतूजी ने अपनी चोदने की रफ़्तार अच्छी खासी बढ़ा दी थी। अपर्णा को दोनों मर्दों के एक एक धक्के से उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती थी।
अपर्णा अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रही थी। उसका बदन जैसे एक नयी ऊंचाई को छू रहा था। उसके हॉर्मोन्स और उसका स्त्री रस उसकी चूत में से रस की धारा समान रिस रहा था। उसके दिमाग में एक अजीब सा नशा छाया हुआ था। अपर्णा की सांस फूल रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से रोमांच के मारे चीत्कारियाँ निकल जाती थीं। अपर्णा की चूत में अचानक मचलन बहुत ज्यादा बढ़ गयी। वह अपने बदन पर नियत्रण नहीं कर पा रही थी। जीतूजी की फुर्तीली चुदाई और रोहित की गाँड़ में लण्ड से चुदाई के कारण अपर्णा अपना आपा खो रही थी। उसका दिमाग घूम रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाँहों में कस के पकड़ा और बोली, "जीतूजी मुझे खूब चोदो। आज मैं आप दोनोंसे खूब चुदवाना चाहती हूँ। पता नहीं आगे यह मौक़ा मिले या ना मिले "कल हो ना हो..."
यह कहते ही अपर्णा के दिमाग और मन में एक गजब का धमाका सा हुआ और "हाय राम... " कह कर अपर्णा झड़ पड़ी।