26-12-2019, 06:08 PM
अपर्णा चाहती थी की उसदिन वह जीतूजीसे पूरा मन भरनेतक चुदाई करवातीही रहे। अपर्णा आँखें बंद कर जीतूजी के लण्ड को अपनी चूतके अंदर बाहर करने का आनंद लेर ही थी की अचानक जीतू जी थम गए और उन्होंने धीरेसे अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें से निकाल लिया। अपर्णाने पीछे मूड कर देखा तो समझ गयी की अब उसके दोनों छिद्रों में चुदाई होने वाली थी, क्यूंकि रोहित जी जीतूजी के पीछे खड़े अपने लण्ड पर कोई तेल जैसा चिकना ऑइंटमेंट लगा रहे थे। अपर्णा को थोड़ा खिसका कर जीतूजी पलंग पर लेट गए और अपर्णा को अपने बाजुओं को लम्बा कर अपने ऊपर चढ़ने का आवाहन किया। अपर्णा ने जीतूजी की भुजाओं को पकड़ कर अपने बदन को थोड़ा सा टेढ़ा हो कर जीतूजी के खड़े लण्ड को, जो की छत की और दिशा सुचना करते हुए पहले की ही तरह अडिग और कड़क खड़ा था उसे अपनी चूत के केंद्र में टिका दिया। फिर हर बार की तरह उस लण्ड को उँगलियों में पकड़ कर उसे अपनी चूतकी पंखुड़ियों में रगड़ते हुए अपनी चूतके केंद्रबिंदु छिद्रपर टिका दिया। थोड़ासा नीचे झुककर अपना नंगा बदन नीचाकर जीतूजी के लण्ड के चिकनाहट से लथपथ लण्ड को धीरे से अपनी चूत में घुसाया। कुछ देर तक गाँड़ सहित अपने निचे वाले बदनको ऊपर निचेकर वह जीतू जी को अपनी चूत से चोदने लगी। उस बार उसे कोई खास दर्द का अनुभव नहीं हुआ। धीरे धीरे जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में काफी घुस गया। अपर्णा ने फिर झुक कर जीतूजी के ऊपर अपने पुरे बदन को लिटा दिया और जीतूजी के होंठों से अपने होँठ मिलाकर उसे चूमने और चूसने लगी। ऐसा करते हुए अपर्णा ने अपनीं गाँड़ थोड़ी सी और ऊपर की। रोहित अपर्णा को जीतूजी के ऊपर लेटने का ही इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही अपर्णा जीतूजी के ऊपर लेट गयी और अपनी गाँड़ थोड़ी सी ऊपर की की रोहित को अपर्णा की गाँड़ का छोटा सा छिद्र दिख पड़ा। हालांकि अपर्णा के ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड चूत में से काफी बाहर निकला हुआ था पर चूँकि वह इतना लंबा था की फिर भी वह अपर्णा की चूत में काफी अंदर तक घुसा हुआथा। अपर्णा को जीतूजीको चोदते हुए देखते देखते वह अपने लण्ड पर कोई चिकनाहट भरा प्रवाही जो तेल जैसा चिकना और स्निग्ध था उसे भरपूर लगा रहे थे। अपर्णा की गाँड़ का छिद्र देखते ही रोहित ने वह ऑइंटमेंट अपनी उँगलियों में अच्छी तरह लगाया और फिर वह उंगली अपर्णा की गाँड़ के छेद में डाली। रोहित बार बार अपर्णा की गाँड़ के छेद में ऑइंटमेंट से भरी हुई उंगली डाल कर अपर्णा की गाँड़ उस चिकने तेलसे भर देना चाहते थे जिससे की वह जब अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ में डालें तो वह आसानी से उस छिद्र में घुस जाए।
जैसे ही अपर्णा जीतूजी के ऊपर लेट गयी और अपनी गाँड़ थोड़ी सी ऊपर की की रोहित को अपर्णा की गाँड़ का छोटा सा छिद्र दिख पड़ा। हालांकि अपर्णा के ऐसा करने से जीतूजी का लण्ड चूत में से काफी बाहर निकला हुआ था पर चूँकि वह इतना लंबा था की फिर भी वह अपर्णा की चूत में काफी अंदर तक घुसा हुआथा। अपर्णा को जीतूजीको चोदते हुए देखते देखते वह अपने लण्ड पर कोई चिकनाहट भरा प्रवाही जो तेल जैसा चिकना और स्निग्ध था उसे भरपूर लगा रहे थे। अपर्णा की गाँड़ का छिद्र देखते ही रोहित ने वह ऑइंटमेंट अपनी उँगलियों में अच्छी तरह लगाया और फिर वह उंगली अपर्णा की गाँड़ के छेद में डाली। रोहित बार बार अपर्णा की गाँड़ के छेद में ऑइंटमेंट से भरी हुई उंगली डाल कर अपर्णा की गाँड़ उस चिकने तेलसे भर देना चाहते थे जिससे की वह जब अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ में डालें तो वह आसानी से उस छिद्र में घुस जाए।