26-12-2019, 06:06 PM
किसीने सच ही कहा है की आखिर मर्द लोग कितने ही बड़े क्यों ना हों? जब उनका पाला कोई सेक्सी खूब सूरत औरत से पड़ता है तो वह अपने लण्ड के आगे कितने लाचार हो जाते हैं? यह उसने देखा। रोहित जी जैसा बड़ा पत्रकार भी अपनी विलक्षण तृष्णा (फंतासी) के सामने अपनी बीबी को दो मर्दों से एक साथ चुदवाने के लिए कितना बेताब था? अपर्णा सोचने लगी की क्या किया जाए? उसका मन किया की पति की इस ख्वाहिश को हर बार की तरह इस बार भी ठुकरा कर प्यार से जीतूजी से चुदवा कर अपनी जान छुड़ाए। पर उस दिन अपर्णा के दिमाग में भी एक तरह का चुदाई नशा छाया हुआ था। अपर्णा ने उस दिन ऐसा काम किया था जो कोई भी स्त्री के लिए और ख़ास कर भारतीय नारी के लिए सपने के सामान अकल्पनीय था। अपर्णा ने अपने पति के देखते हुए अपने पड़ौसी और प्रियतम जीतूजी से चुदाई करवाई थी। जब बात यहां तक ही पहुँच गयी है तो फिर अपर्णा ने सोचा चलो एक कदम आगे भी चल लेते हैं। वह अपने पति पर उस दिन बड़ी ही कायल थी। जब उसके पति रोहित ने एकही बिस्तरमें उसे जीतूजीके साथ नग्न हालात में सोते हुए देखा तो जाहिर थाकी जीतूजी ने उस रात उनकी बीबी अपर्णा को चोदा ही होगा। पर फिर भी वह ना सिर्फ कुछ भी ना बोले, बल्कि उन्होंने यह सब जानते और समझते हुए भी जीतू जी को बड़ा प्यार और दुलार किया और अपने आप को अपर्णा को ना बचाने की लिए कोसा भी। अपर्णा के मन में अपने पति के लिए बड़े ही गर्व और प्यार का भाव उमड़ पड़ा। उसके मन के कोने में भी कहीं ना कहीं ऐसी विलक्षण तृष्णा रही होगी की कभी ना कभी वह दो मर्दों से एक साथ चुदवाएगी। आज उसे उसके पति ने बड़े ही मिन्नतें करते हुए जब आग्रह किया तो अपर्णा उन्हें मना नहीं कर पायी।
अपर्णा ने हाँ तो नहीं कहा पर अपने पति के कान में धीमे से बोली, "जानू, यह देखनाकी मुझे ज्यादा दर्द ना हो।" अपर्णा की बात सुनकर रोहित उछल पड़े। उनके मन की सबसे बड़ी विचित्र कामना शायद उनकी बीबी आज पूरी करेगी यह जान कर रोहित फ़ौरन उठे और वैसे ही नंगे चलकर कमरे में कुछ ढूंढने लगे। जीतूजी अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए देख रहे थे की पति पत्नी में कुछ प्राइवेट वार्तालाप चल रहा था। शायद वह उनको नहीं सुनना चाहिए था इसी लिए अपर्णा और रोहित ने दोनों आपस में गुपचुप कुछ घुसपुस कर रहे थे। जब रोहित को पलंग पर से उठ कर एक तरफ हट कर कमरे में कुछ ढूंढते हुए देखा तो सोचमें पड़ गए की क्या बात थी? कुछ ना कुछ खिचड़ी तो जरूर पक रही थी।
खैर वह अपर्णा की चूत को पीछे से चोदने में ही मशगूल रहे। अपर्णा की गाँड़ जिस तरह चुदाई होते हुए छक्पका रही थी और अपर्णा उनके धक्के से जैसे हिल रही थी, यह दृश्य उनके लिए अतिशय ही रोमांचकारी और उन्मादक था। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा अपनी गाँड़ के गालों को कभी कभी चांटा मारती रहती थी तो कभी कभी अपनी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों में पकड़ कर रगड़ रही थी। अपनी चूत की पंखुड़ियों को रगड़ते हुए उसकी उंगलिया बरबस जीतूजी के बड़े घंटे को छू जाती थी। जीतूजी का तगड़ा लण्ड इंजनके पिस्टन की तरह अपर्णाकी चूतमें से "फच्च फच्च" आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। उसको छू कर भी अपर्णाके पुरे बदनमें कुछ हलचलसी हो जाती थी। शायद अपर्णा की उन्मादकता और भी तेज हो जाती थी। कभी कभी जीतूजी का लण्ड अपनी चूत में झेलते हुए वह जीतूजी के हाथों के ऊपर अपने हाथ रख कर अपने खुद की चूँचियों को दबा कर अपनी उत्तेजना व्यक्त करती रहती थी। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा को एक अजीब सा ही भाव हो रहा था। उसे घोड़ी बनकर चुदवाना बहुत पसंद था और कई बार अपने पति से वह उस पोजीशन में चुदवा चुकी थी। पर उसे जीतूजी के तगड़े लण्ड से पीछे से चुदवाने में कुछ अजीब सा ही भाव हो रहा था।
अपर्णा ने हाँ तो नहीं कहा पर अपने पति के कान में धीमे से बोली, "जानू, यह देखनाकी मुझे ज्यादा दर्द ना हो।" अपर्णा की बात सुनकर रोहित उछल पड़े। उनके मन की सबसे बड़ी विचित्र कामना शायद उनकी बीबी आज पूरी करेगी यह जान कर रोहित फ़ौरन उठे और वैसे ही नंगे चलकर कमरे में कुछ ढूंढने लगे। जीतूजी अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए देख रहे थे की पति पत्नी में कुछ प्राइवेट वार्तालाप चल रहा था। शायद वह उनको नहीं सुनना चाहिए था इसी लिए अपर्णा और रोहित ने दोनों आपस में गुपचुप कुछ घुसपुस कर रहे थे। जब रोहित को पलंग पर से उठ कर एक तरफ हट कर कमरे में कुछ ढूंढते हुए देखा तो सोचमें पड़ गए की क्या बात थी? कुछ ना कुछ खिचड़ी तो जरूर पक रही थी।
खैर वह अपर्णा की चूत को पीछे से चोदने में ही मशगूल रहे। अपर्णा की गाँड़ जिस तरह चुदाई होते हुए छक्पका रही थी और अपर्णा उनके धक्के से जैसे हिल रही थी, यह दृश्य उनके लिए अतिशय ही रोमांचकारी और उन्मादक था। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा अपनी गाँड़ के गालों को कभी कभी चांटा मारती रहती थी तो कभी कभी अपनी चूत की पंखुड़ियों को अपनी उँगलियों में पकड़ कर रगड़ रही थी। अपनी चूत की पंखुड़ियों को रगड़ते हुए उसकी उंगलिया बरबस जीतूजी के बड़े घंटे को छू जाती थी। जीतूजी का तगड़ा लण्ड इंजनके पिस्टन की तरह अपर्णाकी चूतमें से "फच्च फच्च" आवाज करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। उसको छू कर भी अपर्णाके पुरे बदनमें कुछ हलचलसी हो जाती थी। शायद अपर्णा की उन्मादकता और भी तेज हो जाती थी। कभी कभी जीतूजी का लण्ड अपनी चूत में झेलते हुए वह जीतूजी के हाथों के ऊपर अपने हाथ रख कर अपने खुद की चूँचियों को दबा कर अपनी उत्तेजना व्यक्त करती रहती थी। जीतूजी से पीछे से चुदवाते हुए अपर्णा को एक अजीब सा ही भाव हो रहा था। उसे घोड़ी बनकर चुदवाना बहुत पसंद था और कई बार अपने पति से वह उस पोजीशन में चुदवा चुकी थी। पर उसे जीतूजी के तगड़े लण्ड से पीछे से चुदवाने में कुछ अजीब सा ही भाव हो रहा था।