26-12-2019, 06:04 PM
अपर्णा जीतूजी से पूरी तरह चुदवाना चाहती थी। जैसे जीतूजी चाहते थे की वह अपर्णा की ऐसी चुदाई करें की अपर्णा को बार बार जीतूजी से चुदवाने का मन करे वैसे ही अपर्णा चाहती थीकी वह जीतूजीको ऐसा आनंद दे की जीतूजी का अपर्णा को बारबार चोदने का मन करे। आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी। अब ऐसा नहीं होगा की अपर्णा जीतूजी से चुदवाना नहीं चाहेगी। रोहित भी यह भली भाँती जान गए थे की अब अपर्णा जीतूजी के मोटे लण्ड से बार बार चुदवाना चाहेगी। वह भी उसके लिए तैयार थे। बदले में उन्हें पता था की उनके लिए श्रेया को चोदने का रास्ता भी खुल जाएगा। जीतूजी हालांकि अपर्णा को पहले भी चोद चुके थे पर अपर्णा के लिए हर बार जब भी जीतूजी का लण्ड उसकी चूत में दाखिल होता था तो पता नहीं क्यों, अपर्णा के पुरे बदन में जैसे एक अजीब सी तीखी मीठी सिहरन फ़ैल जाती थी। अपने पति से चुदवाना भी अपर्णा को काफी आनंद देता था पर जीतूजी के लण्ड की बात ही कुछ और थी। शायद यह जीतूजी के प्यार करने के तरीके से या फिर जीतूजी के गठीले बदन के अनुभव से या फिर उनके भारी मोटे और लम्बे लण्ड से हो, पर जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में कुछ और ही उन्माद की लहर फैला देता था जैसे अपर्णा के जहन मन उन्माद को कोई सैलाब आया हो।
जीतूजी ने जैसे धीरे धीरे अपना लण्ड अपर्णा की चूत की सुरंग में पेलना शुरू किया की अपर्णा बार बार उन्मादित रोमांच से सिहरने लगी। रोमांच के मारे उसके बदनके सारे बाल जैसे खड़े हो गए। उसकी चूत में अजीब सी सिहरन और फड़कन शुरू हो गयी। जैसे ही चूत की सुरंग की त्वचा फड़कती थी की वह जीतूजी के लण्ड को एक वाइस की तरह जकड लेती थी। जिसके कारण जीतूजी को एक अजीब अनूठा अहसास का अनुभव होता था। जीतूजी ने महसूस किया की दूसरी बार अपर्णा जीतूजी के लण्ड को अंदर लेते हुए पहले की तरह हिचकिचा नहीं रही थी। वह एक अनुभवी प्रेमिका साथी की तरह चुदाई करवाने के लिए बड़े आत्म विश्वास से साथ दे रही थी। जैसे जैसे जीतूजी ने अपनी फुर्ती बढ़ाई, अपर्णा ने भी पूरा साथ देते हुए अपने कूल्हे उठा कर जीतूजी का पूरा साथ दिया। एक चोदने वाले पुरुष के लिए इससे अधिक और आनंद की बात क्या हो सकती थी? अपर्णा को और आनंद देने के लिए जीतूजी थोड़ा टेढ़ा होकर अपने लण्ड को अलग अलग एंगल से अपर्णा की सुरंग में चोदते जा रहे थे।
अब पीछे से अपर्णा की गाँड़ पर अपना खड़ा लण्ड रगड़ने की बारी अपर्णा के पति रोहित की थी। रोहित ने पीछे से अपनी बीबी की नंगी कमर पर अपने दोनों हाथ टिकाये हुए थे और वह अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में रगड़ते जा रहे थे। अपर्णा अपनी गाँड़ पर अपने पति का फिर से खड़ा हुए लण्ड को महसूस कर रही थी। अपर्णा को उस दिन जीतूजी को पूरी ऊंचाई अपने चरम तक ले जाने की इच्छा थी। अपर्णा जीतूजी से अलग अलग पोजीशन में चुदवाना चाहती थी और वह भी अपने पति के सामने। रोहित बार बार अपर्णाको जीतूजी से चुदवाने के बारे में इशारा करते रहते थे। अब तक अपर्णा पति की बात टालती रही थी। पर आज उसे सुनहरा मौक़ा मिला था पति की इच्छा पूरी करने का और सच बात तो यह भी थी की उसकी अपनी भी इच्छा पूरी करने का। अपर्णा ने जीतू जी को रुक जाने का इशारा किया। जीतूजी ने अपर्णा की और प्रश्नात्मक भाव से देखा। अपर्णा ने जीतूजी के होँठों पर हलकी सी चुम्मी कर थोड़ा सा पीछे हट कर उनका लण्ड अपनी चूत से निकाल दिया और उस झूलते हुए मोटे रस्से जैसा जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाते हुए अपने पति, जो की बिस्तर में लेटे हुए थे के पाँव के पास पहुंची।
जीतूजी ने जैसे धीरे धीरे अपना लण्ड अपर्णा की चूत की सुरंग में पेलना शुरू किया की अपर्णा बार बार उन्मादित रोमांच से सिहरने लगी। रोमांच के मारे उसके बदनके सारे बाल जैसे खड़े हो गए। उसकी चूत में अजीब सी सिहरन और फड़कन शुरू हो गयी। जैसे ही चूत की सुरंग की त्वचा फड़कती थी की वह जीतूजी के लण्ड को एक वाइस की तरह जकड लेती थी। जिसके कारण जीतूजी को एक अजीब अनूठा अहसास का अनुभव होता था। जीतूजी ने महसूस किया की दूसरी बार अपर्णा जीतूजी के लण्ड को अंदर लेते हुए पहले की तरह हिचकिचा नहीं रही थी। वह एक अनुभवी प्रेमिका साथी की तरह चुदाई करवाने के लिए बड़े आत्म विश्वास से साथ दे रही थी। जैसे जैसे जीतूजी ने अपनी फुर्ती बढ़ाई, अपर्णा ने भी पूरा साथ देते हुए अपने कूल्हे उठा कर जीतूजी का पूरा साथ दिया। एक चोदने वाले पुरुष के लिए इससे अधिक और आनंद की बात क्या हो सकती थी? अपर्णा को और आनंद देने के लिए जीतूजी थोड़ा टेढ़ा होकर अपने लण्ड को अलग अलग एंगल से अपर्णा की सुरंग में चोदते जा रहे थे।
अब पीछे से अपर्णा की गाँड़ पर अपना खड़ा लण्ड रगड़ने की बारी अपर्णा के पति रोहित की थी। रोहित ने पीछे से अपनी बीबी की नंगी कमर पर अपने दोनों हाथ टिकाये हुए थे और वह अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में रगड़ते जा रहे थे। अपर्णा अपनी गाँड़ पर अपने पति का फिर से खड़ा हुए लण्ड को महसूस कर रही थी। अपर्णा को उस दिन जीतूजी को पूरी ऊंचाई अपने चरम तक ले जाने की इच्छा थी। अपर्णा जीतूजी से अलग अलग पोजीशन में चुदवाना चाहती थी और वह भी अपने पति के सामने। रोहित बार बार अपर्णाको जीतूजी से चुदवाने के बारे में इशारा करते रहते थे। अब तक अपर्णा पति की बात टालती रही थी। पर आज उसे सुनहरा मौक़ा मिला था पति की इच्छा पूरी करने का और सच बात तो यह भी थी की उसकी अपनी भी इच्छा पूरी करने का। अपर्णा ने जीतू जी को रुक जाने का इशारा किया। जीतूजी ने अपर्णा की और प्रश्नात्मक भाव से देखा। अपर्णा ने जीतूजी के होँठों पर हलकी सी चुम्मी कर थोड़ा सा पीछे हट कर उनका लण्ड अपनी चूत से निकाल दिया और उस झूलते हुए मोटे रस्से जैसा जीतूजी का लण्ड अपने हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाते हुए अपने पति, जो की बिस्तर में लेटे हुए थे के पाँव के पास पहुंची।