26-12-2019, 06:03 PM
अपर्णा ने जीतूजी के लण्ड को प्रेम छिद्र पर रख कर जीतूजी को उनकी छाती की निप्पल पर एक प्यार भरा चुम्बन किया। यह जीतूजी के लिए चुदाई शुरू करने का इशारा कहो या आदेश कहो, था। जीतूजी ने पहले थोड़ा सा अपना लण्ड अपनी प्रेमिका की चूत की सुरंग में घुसाया और पाया की रोहित की मलाई से लबालब भरे हुए होने के कारण उन्हें अपने लण्ड को अंदर घुसाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। पर फिर भी वह जानते थे की प्रेमिका की चूत तो अब उनकी ही होचुकी थी। उसे उनको सावधानीसे कोई नुक्सान ना पहुंचाए बिना चोदना था। उन्हें अपर्णा को एक अद्भुत आनंद भी देना था साथ में उन्हें अपर्णा की सेहत और दर्द का भी ख्याल रखना था। जीतूजी चाहते थे की अपर्णा को वह एक ऐसा अनूठा उन्माद भरा आनंदकी अनुभूति कराएं की जिससे अपर्णा जीतूजी से वह आनंद अनुभव करने के लिए बार बार चुदवा ने के लिए मजबूर हो जाए। जीतूजीने फिर एक और धक्का दिया और उनका लण्ड अपर्णा की चूत में आधा घुस गया। अपर्णा को अपनी चूत के फैल कर अपनी पूरी क्षमता से खिंचा हुआ होने के कारण थोड़ा सा कष्ट हो रहा था पर वह सह्य था।
जीतूजी के प्यारे और गरम लण्ड की अपनी चूत में उन्माद भरी अनुभूति अपर्णा के लिए वह दर्द सहने के लिए पर्याप्तसे काफी ज्यादा थी। अपर्णा ने जीतूजी के लण्डको और घुसानेके लिए अपनी गाँड़ से धक्का दिया ताकि वह जीतूजी को बिना बोले यह एहसास दिलाना चाहती थी की उसे कोई ख़ास दर्द नहीं महसूस हो रहा था। जीतूजी ने एक और धक्का दे कर अपना लण्ड लगभग पूरा घुसेड़ दिया। जीतूजी का लण्ड जो की पूरा तो नहीं घुस पाया था फिर भी अपर्णा के मुंह से एक हलकी सी चीख निकल पड़ी। जीतूजी ने महसूस किया की उस बार अपर्णा की वह चीख में दर्द कम और उन्माद ज्यादा था। अपर्णा ने अपने पति रोहित का लण्ड अपनी गाँड़ पर रगड़ता हुआ महसूस किया। जीतूजी को अपनी बीबी को चोदने की शुरुआत करते हुए देख कर ही उनका लण्ड जो की एकदम सो रहा था फिर से उठ कर खड़ा हो गया। अपर्णा ने पीछे हाथ कर अपने पति का हाथ अपने हाथोँ में लेकर उसे दबाया।
रोहित ने अपनी नंगी बीबी की कमर के ऊपर से अपना हाथ हटा कर पीछे से अपनी बीबी के फुले रस भरे गोल गुम्बज के सामान मम्मों पर रख दिया और वह उसे प्यार से सहलाने और दबा कर मसलने लगे। अपने प्रेमी जीतूजी कालण्ड अपनी चूत में रहते हुए अपने पति से अपने स्तनों को मसलना अपर्णा को कई गुना आनंद दे रहा था। उसे लगा की उस यात्रा में भले ही कितने ज्यादा कष्ट हुए हों, पर यह अनुभव के सामने वह सब गौण लगने लगे थे। अपर्णाने अपनी गाँड़ हिला कर अपने पति का लण्ड अपनी गाँड़ की दरार में ला दिया। अगर रोहित के मन में अपर्णा की गाँड़ में उनका लण्ड घुसाने की इच्छा हो तो वह घुसा सकते थे, यह इशारा अपर्णा ने बोले बिना अपने पति को करना चाहती थी। पर रोहित जानते थे की अपर्णा को अपनी गाँड़ मरवाना अच्छा नहीं लगता था। कई बार अपर्णा ने अपने पति को गाँड़ मारने से रोका था। शायद अपर्णा की गाँड़ का छिद्र उसकी चूत के छिद्र से भी छोटा था।
जीतूजी का लण्ड कुछ ही देर में प्यार से अपर्णा की चूत में अंदर बाहर करने से लगभग पूरा ही घुस चुका था। अपर्णा की चूत की सुरंग पूरी भर चुकी थी। जीतूजी ने सोचा की अब और अपना लण्ड अंदर घुसाने से अपर्णा की बच्चे दानी और उसकी चूत की सुरंग का फट जाने का डर था। जीतूजी ने इस कारण अपना लण्ड उतना ही घुसा कर संतोष माना।
जीतूजी के प्यारे और गरम लण्ड की अपनी चूत में उन्माद भरी अनुभूति अपर्णा के लिए वह दर्द सहने के लिए पर्याप्तसे काफी ज्यादा थी। अपर्णा ने जीतूजी के लण्डको और घुसानेके लिए अपनी गाँड़ से धक्का दिया ताकि वह जीतूजी को बिना बोले यह एहसास दिलाना चाहती थी की उसे कोई ख़ास दर्द नहीं महसूस हो रहा था। जीतूजी ने एक और धक्का दे कर अपना लण्ड लगभग पूरा घुसेड़ दिया। जीतूजी का लण्ड जो की पूरा तो नहीं घुस पाया था फिर भी अपर्णा के मुंह से एक हलकी सी चीख निकल पड़ी। जीतूजी ने महसूस किया की उस बार अपर्णा की वह चीख में दर्द कम और उन्माद ज्यादा था। अपर्णा ने अपने पति रोहित का लण्ड अपनी गाँड़ पर रगड़ता हुआ महसूस किया। जीतूजी को अपनी बीबी को चोदने की शुरुआत करते हुए देख कर ही उनका लण्ड जो की एकदम सो रहा था फिर से उठ कर खड़ा हो गया। अपर्णा ने पीछे हाथ कर अपने पति का हाथ अपने हाथोँ में लेकर उसे दबाया।
रोहित ने अपनी नंगी बीबी की कमर के ऊपर से अपना हाथ हटा कर पीछे से अपनी बीबी के फुले रस भरे गोल गुम्बज के सामान मम्मों पर रख दिया और वह उसे प्यार से सहलाने और दबा कर मसलने लगे। अपने प्रेमी जीतूजी कालण्ड अपनी चूत में रहते हुए अपने पति से अपने स्तनों को मसलना अपर्णा को कई गुना आनंद दे रहा था। उसे लगा की उस यात्रा में भले ही कितने ज्यादा कष्ट हुए हों, पर यह अनुभव के सामने वह सब गौण लगने लगे थे। अपर्णाने अपनी गाँड़ हिला कर अपने पति का लण्ड अपनी गाँड़ की दरार में ला दिया। अगर रोहित के मन में अपर्णा की गाँड़ में उनका लण्ड घुसाने की इच्छा हो तो वह घुसा सकते थे, यह इशारा अपर्णा ने बोले बिना अपने पति को करना चाहती थी। पर रोहित जानते थे की अपर्णा को अपनी गाँड़ मरवाना अच्छा नहीं लगता था। कई बार अपर्णा ने अपने पति को गाँड़ मारने से रोका था। शायद अपर्णा की गाँड़ का छिद्र उसकी चूत के छिद्र से भी छोटा था।
जीतूजी का लण्ड कुछ ही देर में प्यार से अपर्णा की चूत में अंदर बाहर करने से लगभग पूरा ही घुस चुका था। अपर्णा की चूत की सुरंग पूरी भर चुकी थी। जीतूजी ने सोचा की अब और अपना लण्ड अंदर घुसाने से अपर्णा की बच्चे दानी और उसकी चूत की सुरंग का फट जाने का डर था। जीतूजी ने इस कारण अपना लण्ड उतना ही घुसा कर संतोष माना।