26-12-2019, 06:02 PM
रोहित को लगा की शायद जीतूजी को चोदने के लिए काफी औरतें मिल जाती होंगीं, जिसके कारण उनमें इतनी टिकने की क्षमता आयी। पर सच यह था की जीतूजी तन से और मन से बड़े ही सजग और फुर्तीलेथे। उनमें एककठोर संकल्प करने की अद्भुत क्षमता थी। ऐसी क्षमता करीब करीब हर जवान में होनी चाहिए और ज्यादातर होती है। बिना थके मीलों तक चलते दौड़ते और जमीन पर रेंगते हुए यह क्षमता एक सुनियोजित शारीरिक व्यायाम सेना का हिस्सा के कारण पैदा होती है जो एक आम नागरिक के लिए कल्पना की विषय ही हो सकती है। रोहित जी देखना चाहते थे की ऐसे करारे, फुर्तीले और शशक्त बदन वाला इंसान झड़नेपर कैसे महसूस करताहै। साथ साथ में वह अपर्णाकी फिरसे अच्छी खासी चुदाई देखना चाहतेथे। रोहित ने मुस्कुराते हुए अपनी बीबी को चुम कर उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके बदन को करवट लेकर अपने दोस्त की और घुमा दिया।
अपर्णा तो पहले से ही जीतूजी का खड़ा कड़ा लण्ड अपनी गाँड़ को टोचता हुआ महसूस कर ही रहीथी। उसके ऊपर जीतूजीके दोनों हाथ अपर्णा के गोल गुम्बजों को जकड़े हुए थे। अपर्णाको अब जीतूजी कावीर्य अपनी चूतकी सुरंगमें उंडेलवाना था। अपर्णा के मन में आया की अच्छा होता की उसने गर्भ निरोधक सुरक्षा ना अपनायी होती। वह इस पूर्ण शशक्त जवान के वीर्य से पैदा हुए बच्चे की माँ अगर बनपाती तो उसकेलिए गर्वका विषय होता। पर खैर, अभी वह जीतूजी का गरमा गरम वीर्य तो अपनी चूत की सुरंग में खाली करवा ही सकती थी। अपर्णा ने घूम कर जीतूजी की नज़रों से अपनी स्त्री सहज लज्जा भरी नजरे मिलायीं। नजरें मिलते ही जीतू जी ने झुक कर अपनी प्रियतमा अपर्णा को अपनी बाँहों में समेट कर अपर्णा रस भरे होँठों पर एक गहरा और प्यार भरा चुम्बन किया। फिर अपना सर थोड़ा ऊपर उठाकर अपर्णा के पीछे लेटे हुए अपने दोस्त और अपर्णा के पति रोहित की और देखा। शायद वह रोहितसे उनकी बीबीको चोदनेकी सहमति मांगने की औपचारिकता पूरी करना चाहते थे। रोहित समझ गए और उन्होंने जीतूजीका हाथ जो नंगी अपर्णा के नितम्बों पर टिका हुआ था उसे पकड़ कर दबा कर अपनी अनुमति दे दी।
अपर्णा प्रिय पति और प्रेमी की यह दोस्ती देख कर मन ही मन खुश हो रही थी। ऐसा सौभाग्य बहुत ही कम स्त्रियों को प्राप्त होता है। अपर्णा जीतूजी के होँठोंसे अपने होँठ मिलाये और उनके प्यार भरे चुम्बन को अपने रसीले होँठ सौंप कर और अपनी जीभ को जीतूजी की जीभ से रगड़ कर अपर्णा जीतूजी उसे चोदने के लिए लाला-यित कर रही थी। जीतूजी को निमत्रणकी जरुरत तो थी नहीं। वह तो अपनी प्रेमिका को चोदने के लिए तैयार ही थे। पति की अनुमति भी मिल ही गयी थी। तो देर किस बात की? जीतूजीने अपनी प्रेमिका और रोहित की पत्नी अपर्णाको अपने ही बगल में सुलाकर थोड़ा ऊपर निचे एडजस्ट कर अपर्णा की अपने स्त्री रस और रोहित की मलाई से भरी हुई चूत पर अपना लंबा, मोटा, छड़ के सामान तन कर खड़ा हुआ और ऊपर की ओर मुड़ा हुआ लण्ड सटा दिया। अपर्णा को अपनी बाहों में पकड़ कर जीतूजी ने एक हल्का सा धक्का मारकर अपर्णा को इशारा किया की वह उसे सही जगह पर रखे और थोड़ा सा अपनी चूत पर रगड़े। अपर्णा भी तो तैयार थी। अपर्णाने फुर्ती से जीतूजी का लण्ड अपनी हथेली में पकड़ कर उसे अपनी चूत के प्रेम छिद्र के द्वार पर थोड़ा सा रगड़ कर रख दिया। अपर्णा की चूत वैसेही अपने पति के वीर्य की मलाई से लबालब भरी हुई थी। उसे पता था की यदि जीतूजी थोड़ा सावधानी बरतेंगे तो उस समय उसे जीतूजी के इतने मोटे लण्ड को अंदर घुसाने में कोई ज्यादा तकलीफ नहीं होगी।
अपर्णा तो पहले से ही जीतूजी का खड़ा कड़ा लण्ड अपनी गाँड़ को टोचता हुआ महसूस कर ही रहीथी। उसके ऊपर जीतूजीके दोनों हाथ अपर्णा के गोल गुम्बजों को जकड़े हुए थे। अपर्णाको अब जीतूजी कावीर्य अपनी चूतकी सुरंगमें उंडेलवाना था। अपर्णा के मन में आया की अच्छा होता की उसने गर्भ निरोधक सुरक्षा ना अपनायी होती। वह इस पूर्ण शशक्त जवान के वीर्य से पैदा हुए बच्चे की माँ अगर बनपाती तो उसकेलिए गर्वका विषय होता। पर खैर, अभी वह जीतूजी का गरमा गरम वीर्य तो अपनी चूत की सुरंग में खाली करवा ही सकती थी। अपर्णा ने घूम कर जीतूजी की नज़रों से अपनी स्त्री सहज लज्जा भरी नजरे मिलायीं। नजरें मिलते ही जीतू जी ने झुक कर अपनी प्रियतमा अपर्णा को अपनी बाँहों में समेट कर अपर्णा रस भरे होँठों पर एक गहरा और प्यार भरा चुम्बन किया। फिर अपना सर थोड़ा ऊपर उठाकर अपर्णा के पीछे लेटे हुए अपने दोस्त और अपर्णा के पति रोहित की और देखा। शायद वह रोहितसे उनकी बीबीको चोदनेकी सहमति मांगने की औपचारिकता पूरी करना चाहते थे। रोहित समझ गए और उन्होंने जीतूजीका हाथ जो नंगी अपर्णा के नितम्बों पर टिका हुआ था उसे पकड़ कर दबा कर अपनी अनुमति दे दी।
अपर्णा प्रिय पति और प्रेमी की यह दोस्ती देख कर मन ही मन खुश हो रही थी। ऐसा सौभाग्य बहुत ही कम स्त्रियों को प्राप्त होता है। अपर्णा जीतूजी के होँठोंसे अपने होँठ मिलाये और उनके प्यार भरे चुम्बन को अपने रसीले होँठ सौंप कर और अपनी जीभ को जीतूजी की जीभ से रगड़ कर अपर्णा जीतूजी उसे चोदने के लिए लाला-यित कर रही थी। जीतूजी को निमत्रणकी जरुरत तो थी नहीं। वह तो अपनी प्रेमिका को चोदने के लिए तैयार ही थे। पति की अनुमति भी मिल ही गयी थी। तो देर किस बात की? जीतूजीने अपनी प्रेमिका और रोहित की पत्नी अपर्णाको अपने ही बगल में सुलाकर थोड़ा ऊपर निचे एडजस्ट कर अपर्णा की अपने स्त्री रस और रोहित की मलाई से भरी हुई चूत पर अपना लंबा, मोटा, छड़ के सामान तन कर खड़ा हुआ और ऊपर की ओर मुड़ा हुआ लण्ड सटा दिया। अपर्णा को अपनी बाहों में पकड़ कर जीतूजी ने एक हल्का सा धक्का मारकर अपर्णा को इशारा किया की वह उसे सही जगह पर रखे और थोड़ा सा अपनी चूत पर रगड़े। अपर्णा भी तो तैयार थी। अपर्णाने फुर्ती से जीतूजी का लण्ड अपनी हथेली में पकड़ कर उसे अपनी चूत के प्रेम छिद्र के द्वार पर थोड़ा सा रगड़ कर रख दिया। अपर्णा की चूत वैसेही अपने पति के वीर्य की मलाई से लबालब भरी हुई थी। उसे पता था की यदि जीतूजी थोड़ा सावधानी बरतेंगे तो उस समय उसे जीतूजी के इतने मोटे लण्ड को अंदर घुसाने में कोई ज्यादा तकलीफ नहीं होगी।