26-12-2019, 05:53 PM
जीतूजी अपर्णा की भरी हुई मस्त गाँड़ को पीछे से टॉच रहे थे तो रोहित अपर्णा की चूत में अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदने के लिए तैयार थे। पीछेसे जीतूजीने अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ की दरार में फँसा रक्खा था। वह अपने लण्ड को अपर्णाकी गाँड़में डालना चाहते तो थे, पर जानते थेकी ऐसा करनसे अपर्णा को असह्य कष्ट और दर्द होगा और चमड़ी फटने से शायद खून भी बहने लगे। अपने आनंदके लिए कभी भी कोई सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिकाको दुखी करना नहीं चाहेगा। जीतू जी जानते थे की कई लडकियां और औरतें अपनी गाँड़ में लण्ड डलवाती थीं। पर यह बात भी सही है की ऐसा करने से औरतोंको बवासीर की बिमारी हो सकती है। जीतूजी का लण्ड काफी मोटा और लंबा होने के कारण वह अपर्णा की गाँड़ में उसे डालकर अपर्णा को दुःख पहुंचाना नहीं चाहते थे।
अपर्णा अपने पति रोहित और अपने प्रियतम जीतूजी के बिच में लेटी हुई थी। एक तरफ उसके पति का खड़ा लण्ड उसकी चूत में घुस रहा था, तो पीछे जीतूजी का मोटा घण्टा अपर्णा गाँड़ की दरार में फँसा था। अपर्णा को डर था की कहीं जीतूजी मोटा घोड़े का सा लण्ड उसकी गाँड़ में घुसड़ने की कोशिश नाकरे। पर जीतूजी का ऐसा कोई इरादा नहीं था। वह तो अपर्णा की चूत के ही दीवाने थे। बस वह अपर्णा को अपने लण्ड को अपर्णा की गाँड़ पर महसूस करवाना चाहते थे। अपर्णा जीतूजीका लण्ड अपनी गाँड़ पर महसूस कर काफी उत्तेजितहो रहीथी। रोहितने अपर्णा की चूतमें अपना लण्डपेलना शुरूकिया तब जीतू जी को भी मौक़ा मिलाकी उनका लण्डभी अपर्णा की गाँड़ में काफी टॉच रहा था। हालांकि जीतूजी ने अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ के छिद्र में नहीं डाला था। अपने दोनों हाथों में जीतूजी ने अपर्णा के भरे फुले हुए स्तनोँ को दबा कर पकड़ रखा था।
अपर्णा के जहन में एक अभूतपूर्व रोमांच और उत्तेजना भरी हुई थी। उसे अपने स्त्री होने के गर्व की अनुभूति हो रही थी। अपने बदन के द्वारा अपर्णा अपने दो अति प्रिय मर्दों को एक अनूठा अनुभव करा रही थी। अपर्णा जानती थी की जितना रोमांच अपर्णा के ह्रदय में उस समय दो मर्दों से एक साथ चुदवाने में था शायद उतना ही या शायद उससे ज्यादा अद्भुत रोमांच और उत्तेजना का अनुभव उसके दोनों प्यारे मर्दों को भी उस समय हो रहा था। रोहित ने अपनी पत्नी की रस भरी चूत में फुर्ती से अपना लण्ड पेलना शुरू किया। उनके चुदाई के झटके के कारण ना सिर्फ अपर्णा का बदन जोर से हिल रहा था, बल्कि उसके साथ साथ अपर्णा के पीछे चिपके हुए जीतूजी का बदन भी जोर से हिल रहा था। उस समय जीतूजी, अपर्णा और रोहित जी के बदन जैसे मिल कर एक हो गए हों ऐसा दिख रहा था।
रोहित दो मर्दों से अपर्णा को चुदवाने के अपने मन की इच्छा पूरी होने के कारण काफी उत्तेजित और उत्साहित थे। उनकी बीबी भी दो मर्दों से निच्छृंखल भाव से चुदवाने आनंद लेकर बहुत उत्तेजित और खुश थी। उस रात रोहित अपने आप को नियंत्रित रखना नहीं चाहते थे। अपनी पत्नी को इस अनूठी परिस्थिति में चोदते हुए वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की उनके लिए अपने वीर्य को दबाये रखना काफी मुश्किल लग रहा था। वह अपनी बीबी की चूत की सुरंग में अपना वीर्य छोड़ना चाहते थे, पर उन्हें पता नहीं था की उस समय अपर्णा की माहवारी की हालात क्या थी। अपने अंडकोष में खौलते हुए वीर्य चाप को वह रोक नहीं पा रहे थे। वह एकदम उत्तेजित हो कर अपर्णा के बदन से एकदम चिपक कर अपर्णा की चूत में हलके हलके झटके मार कर उसे चोदनेलगे। सालोंसे पतिसे चुदवानेके अनुभव से अपर्णा समझ गयी की उसके पति का धैर्य (या वीर्य) अब छूटने वाला था और वह झड़ने वाले थे अपर्णा ने पहले ही सोच समझ कर अपने आप को गर्भ धारणसे सुरक्षित रखनेके लिए आवश्यक तैयारी कर रक्खी थी। घर से निकलने के पहले ही वह भली भाँती जानती थी की उस यात्रामें उसकी अच्छी खासी चुदाई होने वाली थी।
अपर्णा अपने पति रोहित और अपने प्रियतम जीतूजी के बिच में लेटी हुई थी। एक तरफ उसके पति का खड़ा लण्ड उसकी चूत में घुस रहा था, तो पीछे जीतूजी का मोटा घण्टा अपर्णा गाँड़ की दरार में फँसा था। अपर्णा को डर था की कहीं जीतूजी मोटा घोड़े का सा लण्ड उसकी गाँड़ में घुसड़ने की कोशिश नाकरे। पर जीतूजी का ऐसा कोई इरादा नहीं था। वह तो अपर्णा की चूत के ही दीवाने थे। बस वह अपर्णा को अपने लण्ड को अपर्णा की गाँड़ पर महसूस करवाना चाहते थे। अपर्णा जीतूजीका लण्ड अपनी गाँड़ पर महसूस कर काफी उत्तेजितहो रहीथी। रोहितने अपर्णा की चूतमें अपना लण्डपेलना शुरूकिया तब जीतू जी को भी मौक़ा मिलाकी उनका लण्डभी अपर्णा की गाँड़ में काफी टॉच रहा था। हालांकि जीतूजी ने अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ के छिद्र में नहीं डाला था। अपने दोनों हाथों में जीतूजी ने अपर्णा के भरे फुले हुए स्तनोँ को दबा कर पकड़ रखा था।
अपर्णा के जहन में एक अभूतपूर्व रोमांच और उत्तेजना भरी हुई थी। उसे अपने स्त्री होने के गर्व की अनुभूति हो रही थी। अपने बदन के द्वारा अपर्णा अपने दो अति प्रिय मर्दों को एक अनूठा अनुभव करा रही थी। अपर्णा जानती थी की जितना रोमांच अपर्णा के ह्रदय में उस समय दो मर्दों से एक साथ चुदवाने में था शायद उतना ही या शायद उससे ज्यादा अद्भुत रोमांच और उत्तेजना का अनुभव उसके दोनों प्यारे मर्दों को भी उस समय हो रहा था। रोहित ने अपनी पत्नी की रस भरी चूत में फुर्ती से अपना लण्ड पेलना शुरू किया। उनके चुदाई के झटके के कारण ना सिर्फ अपर्णा का बदन जोर से हिल रहा था, बल्कि उसके साथ साथ अपर्णा के पीछे चिपके हुए जीतूजी का बदन भी जोर से हिल रहा था। उस समय जीतूजी, अपर्णा और रोहित जी के बदन जैसे मिल कर एक हो गए हों ऐसा दिख रहा था।
रोहित दो मर्दों से अपर्णा को चुदवाने के अपने मन की इच्छा पूरी होने के कारण काफी उत्तेजित और उत्साहित थे। उनकी बीबी भी दो मर्दों से निच्छृंखल भाव से चुदवाने आनंद लेकर बहुत उत्तेजित और खुश थी। उस रात रोहित अपने आप को नियंत्रित रखना नहीं चाहते थे। अपनी पत्नी को इस अनूठी परिस्थिति में चोदते हुए वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की उनके लिए अपने वीर्य को दबाये रखना काफी मुश्किल लग रहा था। वह अपनी बीबी की चूत की सुरंग में अपना वीर्य छोड़ना चाहते थे, पर उन्हें पता नहीं था की उस समय अपर्णा की माहवारी की हालात क्या थी। अपने अंडकोष में खौलते हुए वीर्य चाप को वह रोक नहीं पा रहे थे। वह एकदम उत्तेजित हो कर अपर्णा के बदन से एकदम चिपक कर अपर्णा की चूत में हलके हलके झटके मार कर उसे चोदनेलगे। सालोंसे पतिसे चुदवानेके अनुभव से अपर्णा समझ गयी की उसके पति का धैर्य (या वीर्य) अब छूटने वाला था और वह झड़ने वाले थे अपर्णा ने पहले ही सोच समझ कर अपने आप को गर्भ धारणसे सुरक्षित रखनेके लिए आवश्यक तैयारी कर रक्खी थी। घर से निकलने के पहले ही वह भली भाँती जानती थी की उस यात्रामें उसकी अच्छी खासी चुदाई होने वाली थी।