26-12-2019, 05:48 PM
अपर्णा को आज ऐसा ही सुअवसर मिला था जब की उसे अपने पति में सम्पूर्ण विश्वास नजर आया। उसे यह चिंता नहीं थी की रोहित आगे चलकर जीतूजी से चुदवाने के बारे में कभी भी कोई नुक्ताचीनी करेंगे। क्यूंकि जब रोहित ने खुद जीतूजी का लण्ड अपने हाथोँ में लिया और उसे प्यार किया तो उससे बड़ी बात कोई हो नहीं सकती थी।
अपर्णा ने अपने पति रोहितका हाथ पकड़ कर फिर जीतूजी के लण्ड के पास ले गयी। उसकी इच्छा थी की रोहित जीतूजी का लण्ड ना सिर्फ अपने हाथ में लें, बाकि उसे सहलाएं, उसे प्यार करें। रोहित भी समझ गए की अपर्णा को उनका जीतूजी का लण्ड पकड़ना अच्छा लगा था। रोहित के ऐसा करने से अपर्णा को शायद यह देख कर शान्ति हो गयी थी की रोहित जी भी जीतूजी से उतनाही प्यार करते थे जितना की अपर्णा करतीथी। रोहितने अपनी उंगिलयों की गोल अंगूठी जैसी रिंग बनायी और अपर्णा की चूत के ऊपर, अपर्णा की चूत और जीतूजी के लण्ड के बिच में जहां से लण्ड अंदर बाहर हो रहा था वहाँ रखदी। अपनी उँगलियोंकी रिंग रोहित ने जीतूजी के लौड़े के आसपास घुमाकर उसको दबा ने की कोशिश की। पूरा लौड़ा तो उनकी उँगलियों में नहीं आया पर फिर भी जीतूजी का चिकना लण्ड रोहित ने अपनी उँगलियों में दबाया और उसे ऊपर निचे होते हुए उसमें भरी चिकनाहट रोहित की उँगलियों में से होकर फिर अपर्णा की रसीली चूत में रिसने लगी।
रोहित ने करीब से अपनी बीबी की चूत में जीतूजी का तगड़ा मोटा लण्ड कैसे अंदर बाहर हो रहा था वह दृश्य पहली बार देखा तो उनके बदन में एक अजीब सी रोमांच भरी सिरहन फ़ैल गयी। अपनी बीबी की रसीली चूत में उन्होंने तो सैकड़ों बार अपना लण्ड पेला था। यह पहली बार था की जीतूजी का इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनकी बीबी आज अपनी चूत में ना सिर्फ ले पा रही थी बल्कि उस लण्ड से हो रही उसकी चुदाई का वह भरपूर आनन्द भी उठा रही थी। रोहित की उँगलियों से बनी रिंग जैसे अपर्णा की चूत के अलावा एक और चूत हो ऐसा अनुभव जीतूजी को करा रही थी। जीतूजी का लण्ड इतना लंबा था की रोहित की उंगलियां बिच में अंदर बाहर आ जाने से उनको कोई फरक नहीं पड़ रहा था। बल्कि जीतूजी तो और भी उत्तेजित हो रहे थे। तो इधर अपर्णा भी अपने पति के इस सहयोग से खुश थी। धीरे धीरे जीतूजी की चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी। पहले तो जीतूजी एक हल्का धक्का देते, फिर रुक जाते और फिर एक और धक्का देते और फिर रुक जाते। वह ऐसे ही बड़े हल्केसे, प्यार से और धीरे से अपर्णा की चूत में लण्ड डाल और निकाल रहे थे। जैसे जैसे अपर्णा की कराहटें सिसकारियों में बदलती गयीं, वैसे वैसे जीतूजी को लगा की वह अपर्णा को चोदने के गति बढ़ा सकते हैं। पहले अपर्णा दर्द के मारे कराहटें निकाल रही थी। उसके बाद जब अपर्णा की चूत जीतूजी के लण्ड के लिए तैयार हो गयी तो कराहटें सिसकारियोंमें बदलने लग गयीं। रोहित जी समझ गए की उनकी बीबी अपर्णा को अब दर्द से ज्यादा मझा आ रहा था। वह अपर्णा की कराहटें और सिसकारियों से भलीभांति परिचित थे। अपर्णा के हालात देखकर वह खुद भी मजे ले रहे थे। आखिर यही तो वह देखना चाहते थे।
जीतूजी ने लण्ड को अंदर बाहर करने गति धीरे धीरे बढ़ाई। अब वह दो या तीन धक्के में अपना लंड अंदर डालते। अभी वह फिर भी अपनी पूरी तेजी से अपर्णा को नहीं चोद रहे थे। पर शुरू के मुकाबले उन्होंने अब गति बढ़ा दी थी। जीतूजी अपना पूरा लण्ड भी अंदर नहीं डाल रहे थे। उनका लण्ड करीब दो इंच चूत के बाहर ही रहता था। कमरे में तीन तरह की आवाजें आ रहीं थीं। एक तो जैसे ही जीतूजी का लण्ड अपर्णाकी चूत में घुसता था तो अपर्णा की चूत से शायद गैस निकलने की आवाज "पच्च..." सी होती थी। उसके साथ साथ अपर्णा की उँह... , ओह्ह्ह्हह्ह ... आअह्ह्ह..." की आवाज और तीसरी जीतूजी के तेज चलती हुई साँसों की आवाज।
अपर्णा ने अपने पति रोहितका हाथ पकड़ कर फिर जीतूजी के लण्ड के पास ले गयी। उसकी इच्छा थी की रोहित जीतूजी का लण्ड ना सिर्फ अपने हाथ में लें, बाकि उसे सहलाएं, उसे प्यार करें। रोहित भी समझ गए की अपर्णा को उनका जीतूजी का लण्ड पकड़ना अच्छा लगा था। रोहित के ऐसा करने से अपर्णा को शायद यह देख कर शान्ति हो गयी थी की रोहित जी भी जीतूजी से उतनाही प्यार करते थे जितना की अपर्णा करतीथी। रोहितने अपनी उंगिलयों की गोल अंगूठी जैसी रिंग बनायी और अपर्णा की चूत के ऊपर, अपर्णा की चूत और जीतूजी के लण्ड के बिच में जहां से लण्ड अंदर बाहर हो रहा था वहाँ रखदी। अपनी उँगलियोंकी रिंग रोहित ने जीतूजी के लौड़े के आसपास घुमाकर उसको दबा ने की कोशिश की। पूरा लौड़ा तो उनकी उँगलियों में नहीं आया पर फिर भी जीतूजी का चिकना लण्ड रोहित ने अपनी उँगलियों में दबाया और उसे ऊपर निचे होते हुए उसमें भरी चिकनाहट रोहित की उँगलियों में से होकर फिर अपर्णा की रसीली चूत में रिसने लगी।
रोहित ने करीब से अपनी बीबी की चूत में जीतूजी का तगड़ा मोटा लण्ड कैसे अंदर बाहर हो रहा था वह दृश्य पहली बार देखा तो उनके बदन में एक अजीब सी रोमांच भरी सिरहन फ़ैल गयी। अपनी बीबी की रसीली चूत में उन्होंने तो सैकड़ों बार अपना लण्ड पेला था। यह पहली बार था की जीतूजी का इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनकी बीबी आज अपनी चूत में ना सिर्फ ले पा रही थी बल्कि उस लण्ड से हो रही उसकी चुदाई का वह भरपूर आनन्द भी उठा रही थी। रोहित की उँगलियों से बनी रिंग जैसे अपर्णा की चूत के अलावा एक और चूत हो ऐसा अनुभव जीतूजी को करा रही थी। जीतूजी का लण्ड इतना लंबा था की रोहित की उंगलियां बिच में अंदर बाहर आ जाने से उनको कोई फरक नहीं पड़ रहा था। बल्कि जीतूजी तो और भी उत्तेजित हो रहे थे। तो इधर अपर्णा भी अपने पति के इस सहयोग से खुश थी। धीरे धीरे जीतूजी की चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी। पहले तो जीतूजी एक हल्का धक्का देते, फिर रुक जाते और फिर एक और धक्का देते और फिर रुक जाते। वह ऐसे ही बड़े हल्केसे, प्यार से और धीरे से अपर्णा की चूत में लण्ड डाल और निकाल रहे थे। जैसे जैसे अपर्णा की कराहटें सिसकारियों में बदलती गयीं, वैसे वैसे जीतूजी को लगा की वह अपर्णा को चोदने के गति बढ़ा सकते हैं। पहले अपर्णा दर्द के मारे कराहटें निकाल रही थी। उसके बाद जब अपर्णा की चूत जीतूजी के लण्ड के लिए तैयार हो गयी तो कराहटें सिसकारियोंमें बदलने लग गयीं। रोहित जी समझ गए की उनकी बीबी अपर्णा को अब दर्द से ज्यादा मझा आ रहा था। वह अपर्णा की कराहटें और सिसकारियों से भलीभांति परिचित थे। अपर्णा के हालात देखकर वह खुद भी मजे ले रहे थे। आखिर यही तो वह देखना चाहते थे।
जीतूजी ने लण्ड को अंदर बाहर करने गति धीरे धीरे बढ़ाई। अब वह दो या तीन धक्के में अपना लंड अंदर डालते। अभी वह फिर भी अपनी पूरी तेजी से अपर्णा को नहीं चोद रहे थे। पर शुरू के मुकाबले उन्होंने अब गति बढ़ा दी थी। जीतूजी अपना पूरा लण्ड भी अंदर नहीं डाल रहे थे। उनका लण्ड करीब दो इंच चूत के बाहर ही रहता था। कमरे में तीन तरह की आवाजें आ रहीं थीं। एक तो जैसे ही जीतूजी का लण्ड अपर्णाकी चूत में घुसता था तो अपर्णा की चूत से शायद गैस निकलने की आवाज "पच्च..." सी होती थी। उसके साथ साथ अपर्णा की उँह... , ओह्ह्ह्हह्ह ... आअह्ह्ह..." की आवाज और तीसरी जीतूजी के तेज चलती हुई साँसों की आवाज।