26-12-2019, 05:47 PM
अपर्णा ने अपने हाथ की उँगलियों में जीतूजी का लण्ड पकड़ने की कोशिश की। उसे थोड़ा सहलाया ताकि उसके ऊपर जमा हुआ चिकना रस जीतूजी के पुरे लंड पर फैले जिससे वह अपर्णा की चूत में आराम से घुस सके। अब अपर्णाको अपने पतिकी इजाजतकी आवश्यकता नहीं थी। उनके ही आग्रह से ही यह सब हो रहा था। अपर्णा की चूत में से भी धीरे धीरे उसका प्रेम रस रिस रहा था जिसके कारण जीतूजीका लण्ड अच्छा खासा चिकना था। अपर्णा ने अपनी उँगलियों से उसके सिरे को खासा चिकना बना दिया और कर अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर उस दिन दूसरी बार जीतूजी से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी। अब उसे पहले जितना डर नहीं था। उसे चिंता जरूर थी की उसकी चूत काफी खिंच जायेगी, पर पहले की तरह उसे अपनी चूत फट जानेका डर नहीं था। जीतूजी भी अब जान गए थे की अपर्णा उनके लण्ड के पेलने का मार झेल लेगी। जहां प्रेम होता है, वहाँ प्रेम के कारण पैदा होते दर्द को झेलने की क्षमता भी हो ही जाती है। कई साहित्यकारों ने सही कहा है की "प्रेम हमेशा दर्द जरूर देता है।"
अपर्णा ने एक बार अपने पति रोहित की और देखा। वह अपर्णा की बगल में बैठ अपनी बीबी के स्तनोँ को सहला रहे थे और जीतूजी के उनके इतने धाकड़ लण्ड को अपनी बीबी की छोटी सी चूत में घुसने का इंतजार कर रहे थे। वह देखना चाहते थे की उनकी बीबी जीतूजी का लण्ड घुसने के समय कैसा महसूस करेगी। देखते ही देखते जीतूजी ने अपना लण्ड एक धक्के में करीब एक इन्च अपर्णा की चूत में घुसेड़ दिया। अपर्णा ने अपने होंठ भींच लिए ताकि कहीं दर्द की आहट ना निकल जाए। एक धक्के में इतना लण्ड घुसते ही अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं। उसने पहले जीतूजी की और और फिर अपने पति की और देखा। जीतूजी आँखें बंद करके अपने लण्ड को अपर्णा की चूत में महसूस कर आहे थी और उसका आनंद ले रहे थे। रोहित को जासुजी का अपनी बीबी की चूत में लण्ड घुसते हुए देख कुछ मन में इर्षा के भाव जागे। यह पहली बार हुआ था की अपर्णा को किसीने उनके सामने चोदा था। शयद उस दिन से पहले अपर्णा को रोहित के अलावा किसी और ने पहले चोदा ही नहीं था। उनके लिए यह अनुभव करना एक रोमांचकारी अनुभव था। पर अब उनका अपनी बीबी पर जो एकचक्र हक़ था आज से वह बँट जाएगा। आजके बाद अपर्णाकी चूत जीतूजी के लण्ड के लिए भी खुली रहेगी। खैर यह एक अधिकार की दृष्टि से कुछ नुक्सान सा लग रहा था पर रोमांच और उत्तेजना के दृष्टिकोण से यह एक अनोखा कदम था। आज से वह अपर्णा से खुल्लम खुल्ला जीतूजी की चुदाई के बारे में बातचीत कर सकेंगे और जब बात होगी तो उनके सेक्स में भी फर्क पडेगा और अपर्णा भी अब खुलकर उनसे चुदवायेगी। यह रोहित के लिए एक बड़ी ही अच्छी बात थी।
जीतूजी का लण्ड पेलने की हरकत देखकर रोहित को भी जोश आ गया। उन्होंने अपर्णा के बोल को जोर से दबाना शुरू किया। अपर्णा के एक मम्मे को एक हाथमें जोर से पिचका कर उन्होंने उसकी निप्पल इतने जोर से दबा दी की अपर्णा जीतूजी के लण्ड के घुसने से नहीं पर रोहित के मम्मे दबाने से चीख पड़ी और बोली, "अरे जी, यह आप क्या कर रहे हो? धीमेसे दबाओ ना?" उधर जीतूजी ने एक और धक्का मारा और उनका लण्ड ६ इंच तक अपर्णा की चूत में घुस गया। अपर्णा फिर से चीख उठी। इस बार उसे वाकई में काफी दर्द हो रहा था, क्यूंकि जीतू जी ने एक ही धक्के में ६ इंच लण्ड अंदर घुसा दिया था। जीतूजी ने फटाफट अपना लण्ड वापस खिंच लिया। अपर्णा को राहत मिली पर अब उसे जीतूजी से अच्छी तरह से चुदवाना था।
अपर्णा ने एक बार अपने पति रोहित की और देखा। वह अपर्णा की बगल में बैठ अपनी बीबी के स्तनोँ को सहला रहे थे और जीतूजी के उनके इतने धाकड़ लण्ड को अपनी बीबी की छोटी सी चूत में घुसने का इंतजार कर रहे थे। वह देखना चाहते थे की उनकी बीबी जीतूजी का लण्ड घुसने के समय कैसा महसूस करेगी। देखते ही देखते जीतूजी ने अपना लण्ड एक धक्के में करीब एक इन्च अपर्णा की चूत में घुसेड़ दिया। अपर्णा ने अपने होंठ भींच लिए ताकि कहीं दर्द की आहट ना निकल जाए। एक धक्के में इतना लण्ड घुसते ही अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं। उसने पहले जीतूजी की और और फिर अपने पति की और देखा। जीतूजी आँखें बंद करके अपने लण्ड को अपर्णा की चूत में महसूस कर आहे थी और उसका आनंद ले रहे थे। रोहित को जासुजी का अपनी बीबी की चूत में लण्ड घुसते हुए देख कुछ मन में इर्षा के भाव जागे। यह पहली बार हुआ था की अपर्णा को किसीने उनके सामने चोदा था। शयद उस दिन से पहले अपर्णा को रोहित के अलावा किसी और ने पहले चोदा ही नहीं था। उनके लिए यह अनुभव करना एक रोमांचकारी अनुभव था। पर अब उनका अपनी बीबी पर जो एकचक्र हक़ था आज से वह बँट जाएगा। आजके बाद अपर्णाकी चूत जीतूजी के लण्ड के लिए भी खुली रहेगी। खैर यह एक अधिकार की दृष्टि से कुछ नुक्सान सा लग रहा था पर रोमांच और उत्तेजना के दृष्टिकोण से यह एक अनोखा कदम था। आज से वह अपर्णा से खुल्लम खुल्ला जीतूजी की चुदाई के बारे में बातचीत कर सकेंगे और जब बात होगी तो उनके सेक्स में भी फर्क पडेगा और अपर्णा भी अब खुलकर उनसे चुदवायेगी। यह रोहित के लिए एक बड़ी ही अच्छी बात थी।
जीतूजी का लण्ड पेलने की हरकत देखकर रोहित को भी जोश आ गया। उन्होंने अपर्णा के बोल को जोर से दबाना शुरू किया। अपर्णा के एक मम्मे को एक हाथमें जोर से पिचका कर उन्होंने उसकी निप्पल इतने जोर से दबा दी की अपर्णा जीतूजी के लण्ड के घुसने से नहीं पर रोहित के मम्मे दबाने से चीख पड़ी और बोली, "अरे जी, यह आप क्या कर रहे हो? धीमेसे दबाओ ना?" उधर जीतूजी ने एक और धक्का मारा और उनका लण्ड ६ इंच तक अपर्णा की चूत में घुस गया। अपर्णा फिर से चीख उठी। इस बार उसे वाकई में काफी दर्द हो रहा था, क्यूंकि जीतू जी ने एक ही धक्के में ६ इंच लण्ड अंदर घुसा दिया था। जीतूजी ने फटाफट अपना लण्ड वापस खिंच लिया। अपर्णा को राहत मिली पर अब उसे जीतूजी से अच्छी तरह से चुदवाना था।