26-12-2019, 05:46 PM
अपर्णा ने अनायास ही अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। जीतूजी अपर्णा की चौड़ी टाँगों के बीच घुसे। अपर्णा की रसीली चूत को देखते ही उनका लण्ड कड़क हो गया। अपर्णा अपनी चूत हमेशा साफ़ रखती थी। जीतूजी ने अपनी हथेली से अपर्णा की चूत के सहलाना शुरू किया। जीतूजीका हाथ छूते ही अपर्णा की चूत में से रस रिसना शुरू हो गया। जीतूजी का आधा खड़ा लण्ड देखते ही ना सिर्फ अपर्णा की बल्कि रोहित जी की आँखें भी फटी की फटी रह गयीं। अपर्णा ने तो खैर जीतूजी का लण्ड भली भाँती देखा था और अपनी चूत में लिया भी था। पर रोहित ने जीतूजी का लण्ड इतने करीब से पहली बार देखा था। ना चाहते हुए भी रोहित का हाथ आगे बढ़ ही गया और उन्होंने जीतूजी का खड़ा मोटा लण्ड अपनी हथेली में उठाया। काफी भारी होने क बावजूद जीतूजी का लण्ड काफी मोटा और लंबा था। उस दिन तक रोहित जी को अपने लण्ड के लिए बड़ा अभिमान था। वह मानते थे की उनका लण्ड देखकर अच्छी अच्छी लडकियां गश्त खा जाती थीं।
उन्हें पता तो था ही की जीतूजी का लण्ड काफी बड़ा है। पर इतने करीब से देखने पर उन्हें उसकी मोटाई का सही अंदाज लगा। इतना मोटा लण्ड अपर्णा अपनी चूत में कैसे ले पाएगी वह रोहित जी की समझ से परे था। पर उनके दिमाग में ख़याल आया की शायद उसी दिन सुबह अपर्णा की चुदाई जीतूजी ने की होगी, क्यूंकि वह जब कमरे में दाखिल हुए थे तब अपर्णा पलंग में नंगी सोई हुई थी। शायद जीतूजी भी उसके साथ नंगे ही सोये हुए थे। रोहित ने जीतूजी का लण्ड अपने हाथों में पकड़ कर थोड़ी देर हिलाया। उन्हें महसूस हुआ की ऐसा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूत में डलवाने के लिए कोई भी औरत क्या कुछ कर सकती है। प्रैक्टिकल भी तो उनके सामने ही था। जब से जीतूजी उनकी जिंदगी में आये तबसे रोहित ने महसूस किया की अपर्णा की सेक्स की भूख अचानक बढ़ने लगी थी। क्या पता अपर्णा अपने पति से चुदवाते हुए कहीं जीतू जी से चुदवाने के बारे में ना सोच रही हो? थोड़ी देर हिलाते ही जीतूजी का लण्ड एकदम कड़क हो गया। उस समय रोहित को लगाकी जीतूजी का लण्ड उनके लण्ड के मुकाबले कमसे कम
एक इंच और लंबा और आधा इंच और मोटा जरूर था। रोहित का हाथ लगते ही जीतूजी के लण्ड में अगर कोई ढिलास रही होगी वह भी ख़तम हो गयी और जीतूजी का लण्ड लोहे की मोटी छड़ के समान खड़ा होकर ऊपर की और अपना मुंह ऊंचा कर डोलने लगा।
रोहित की उत्सुकता की सीमा नहीं थी की उनकी बीबी जो उनके (रोहित के) लण्ड से ही परेशान थी उसने जीतूजी से कैसे चुदवाया होगा? पर आखिर औरत की चूत का लचीलापन तो सब जानते ही हैं। वह कितना ही बड़ा लण्ड क्यों ना हो, अपनी चूत में ले तो सकती है बशर्ते की वह जो दर्द होता है उसे झेलने के लिए तैयार हो। अपर्णा को भी दर्द तो हुआ ही होगा। खैर अब रोहित अपनी पत्नी को अपने सामने जीतूजी से चुदवाती हुई देखना चाहते थे। वह यह भी देखना चाहते थे की जीतूजी भी अपर्णा को चोद कर कैसा महसूस करते हैं? रोहित ने जीतूजी के लण्डको अपर्णाकी चूतके द्वार पर टीका दिया। उस समय अपर्णा की हालत देखने वाली थी। अपना ही पति अपनी पत्नी की चूत में गैर मर्द का लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर रखे यह उसने कभी सोचा भी नहीं था। जीतूजी के लण्ड का अपर्णा की चूत के छूने से अपर्णा का पूरा बदन सिहर उठा। अपर्णा ने देखा की रोहित बड़ी ही उत्सुकता से अपर्णा के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। अपर्णा को पता नहीं था की वह चेहरे पर कैसे भाव लाये? एक गैर पुरुष, चाहे वह इतना करीबी दोस्त बन गया था यहां तक की उसने अपर्णा की जान भी बचाई थी, पर आखिर वह पति तो नहीं था ना? फिर भी कैसे विधाता ने उसे अपर्णा को चोदने के लिए युक्ति बनायी वह तो किस्मत का एक अजीब ही खेल था। आज वह पडोसी, एक अजनबी अपर्णा का हमबिस्तर या यूँ कहिये की अपर्णा का उपपति बन गया था। अपर्णा ने उसे उपपति का ओहदा दे दिया था।
उन्हें पता तो था ही की जीतूजी का लण्ड काफी बड़ा है। पर इतने करीब से देखने पर उन्हें उसकी मोटाई का सही अंदाज लगा। इतना मोटा लण्ड अपर्णा अपनी चूत में कैसे ले पाएगी वह रोहित जी की समझ से परे था। पर उनके दिमाग में ख़याल आया की शायद उसी दिन सुबह अपर्णा की चुदाई जीतूजी ने की होगी, क्यूंकि वह जब कमरे में दाखिल हुए थे तब अपर्णा पलंग में नंगी सोई हुई थी। शायद जीतूजी भी उसके साथ नंगे ही सोये हुए थे। रोहित ने जीतूजी का लण्ड अपने हाथों में पकड़ कर थोड़ी देर हिलाया। उन्हें महसूस हुआ की ऐसा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूत में डलवाने के लिए कोई भी औरत क्या कुछ कर सकती है। प्रैक्टिकल भी तो उनके सामने ही था। जब से जीतूजी उनकी जिंदगी में आये तबसे रोहित ने महसूस किया की अपर्णा की सेक्स की भूख अचानक बढ़ने लगी थी। क्या पता अपर्णा अपने पति से चुदवाते हुए कहीं जीतू जी से चुदवाने के बारे में ना सोच रही हो? थोड़ी देर हिलाते ही जीतूजी का लण्ड एकदम कड़क हो गया। उस समय रोहित को लगाकी जीतूजी का लण्ड उनके लण्ड के मुकाबले कमसे कम
एक इंच और लंबा और आधा इंच और मोटा जरूर था। रोहित का हाथ लगते ही जीतूजी के लण्ड में अगर कोई ढिलास रही होगी वह भी ख़तम हो गयी और जीतूजी का लण्ड लोहे की मोटी छड़ के समान खड़ा होकर ऊपर की और अपना मुंह ऊंचा कर डोलने लगा।
रोहित की उत्सुकता की सीमा नहीं थी की उनकी बीबी जो उनके (रोहित के) लण्ड से ही परेशान थी उसने जीतूजी से कैसे चुदवाया होगा? पर आखिर औरत की चूत का लचीलापन तो सब जानते ही हैं। वह कितना ही बड़ा लण्ड क्यों ना हो, अपनी चूत में ले तो सकती है बशर्ते की वह जो दर्द होता है उसे झेलने के लिए तैयार हो। अपर्णा को भी दर्द तो हुआ ही होगा। खैर अब रोहित अपनी पत्नी को अपने सामने जीतूजी से चुदवाती हुई देखना चाहते थे। वह यह भी देखना चाहते थे की जीतूजी भी अपर्णा को चोद कर कैसा महसूस करते हैं? रोहित ने जीतूजी के लण्डको अपर्णाकी चूतके द्वार पर टीका दिया। उस समय अपर्णा की हालत देखने वाली थी। अपना ही पति अपनी पत्नी की चूत में गैर मर्द का लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर रखे यह उसने कभी सोचा भी नहीं था। जीतूजी के लण्ड का अपर्णा की चूत के छूने से अपर्णा का पूरा बदन सिहर उठा। अपर्णा ने देखा की रोहित बड़ी ही उत्सुकता से अपर्णा के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रहे थे। अपर्णा को पता नहीं था की वह चेहरे पर कैसे भाव लाये? एक गैर पुरुष, चाहे वह इतना करीबी दोस्त बन गया था यहां तक की उसने अपर्णा की जान भी बचाई थी, पर आखिर वह पति तो नहीं था ना? फिर भी कैसे विधाता ने उसे अपर्णा को चोदने के लिए युक्ति बनायी वह तो किस्मत का एक अजीब ही खेल था। आज वह पडोसी, एक अजनबी अपर्णा का हमबिस्तर या यूँ कहिये की अपर्णा का उपपति बन गया था। अपर्णा ने उसे उपपति का ओहदा दे दिया था।