26-12-2019, 05:45 PM
अपर्णा की एक बाँह में उसके पति थे और दूसरे बाँह में जीतूजी। अपर्णा ने दोनों की और बारी बार से देख कर मुस्करा कर कहा, "हालांकि मैं एक औरत हूँ शायद इसी लिए मैं आप मर्दों की एक बात समझ नहीं पायी। वैसे तो आप लोग अपनी बीबियों पर बड़ा मालिकाना हक़ जताते हो। उसे कहतेहो की 'मैं तुम्हारे ऊपर किसी और की नजर को बर्दाश्त नहीं करूँगा।' तो फिर कैसे आप अपनी प्यारी पत्नी को किसी और के साथ सांझा कर सकते हो? किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकते हो? किसी और को अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने की इजाजत कैसे दे सकते हो?"
रोहित ने जब यह सूना तो वह भी मुस्करा कर बोले, "मैं अपनी बात करता हूँ। इसके तीन कारण है। पहला, मैंने अपने जीवन में कई परायी स्त्रियों को चोदा है। जब हम एक ही तरह का खाना रोज रोज घरमें खाते हैं तो कभी कभी मन करता है की कहीं बाहर का खाना खाया जाए। तो पहली बात तो विविधता की है। मैं तुम्हें बहुत बहुत चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की तुम भी पर पुरुष सम्भोग का आनन्द उठाओ। किसी दूसरे लण्ड से चुदवाओ और महसूस करो की कितना आनंद आता है। दूसरी बात यह है, की मैं जानता हूँ की मेरी पत्नी, यानी की तुम जब चुदाई करवाती हो तो मुझे कितना आनंद देती हो। मैं जीतूजी को बहुत पसंद करता हूँ। तुम भी जीतूजी को वाकई में बहुत प्रेम करती हो। तो मैं चाहता हूँ की तुम जीतूजी के कामातुर प्यार का और उनके मोटे कड़क लण्ड का अनुभव करो। अपने प्यारे से चुदवा कर कैसा अनुभव होता है यह जानो। और तीसरा कारण यह है की मुझे जीतूजी से कोई भी खतरा नजर नहीं आता। जीतूजी शादीशुदा हैं। अपनी पत्नी को खूब चाहते हैं और वह तुम्हें मुझसे कभी छीन लेने की कोशिश नहीं करेंगे। मैं कबुल करता हूँ की मैं खुद जीतूजी की बीबी श्रेया से बड़ा ही आकर्षित हूँ। हमारे बिच शारीरक सम्बन्ध भी हैं। और इस बात का पता शायद आप और जीतूजी को भी है।
अपर्णा ने अपने पति की बात स्वीकारते हुए कहा, "जीतूजी एक तरह से मरे उपपति होंगे। आप मेरे पति हैं, तो मेरे उपपति जीतूजी हैं।" फिर अपर्णा ने जीतूजी की और देख कर कहा, "यह मत समझिये की उपपति का स्थान छोटा है। उपपति का स्थान बिलकुल कम नहीं होता। पति पत्नी के अधिकृत पति हैं। पर उपपति पत्नीके मनमें सदैव रहते हैं। पत्नी होतीहै पतिके साथ, पर मन उसका उपपति के साथ होता है। कुछ नजरिये से देखें तो पति से उपपति का स्थान ज्यादा भी हो सकता है।" फिर अपने पति की और देखते हुए अपर्णा ने कहा, "आप मेरे लिए दोनोंही अपनी अपनी जगह पर बहुत महत्त्व पूर्ण हैं। कोई कम नहीं। एक ने मेरे जीवन को सँवारा है तो दूसरे ने मुझे नया जीवन दिया है।" अपर्णा ने अपने पति के लण्ड पर अपना हाथ रखा। उसने पीछे हाथ कर पति के लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ा। दूसरे हाथ से अपर्णा ने जीतूजी के पयजामे पर हाथ फिरा कर उनका लण्ड भी महसूस किया। जीतू जी का लण्ड कड़क नहीं हुआ था, पर रोहित का लण्ड ना सिर्फ खड़ा हो कर फनफना रहा था बल्कि अपने छिद्र छे रस का स्राव भी कर रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपना हाथ बार बार हिलाकर पयजामा निकालने का इशारा किया। जीतूजी ने फ़ौरन पयजामे का नाडा खल कर अपने पायजामे को बाहर निकाल फेंका। जीतूजी अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे।
इस तरह उस पलंग पर तीन नंगे कामातुर बदन एक दूसरे से सट कर लेटे हुए थे। रोहित पलंग पर बैठ गए और जीतूजी की और देखने लगे। जीतूजी कुछ असमंजस में दिखाई दिए। रोहित जी ने जीतूजी का हाथ पकड़ा और उन्हें खिंच कर अपर्णा की दो टाँगों की और एक हल्का धक्का मार कर पहुंचाया। जीतूजी बेचारे इधर उधर देखने लगे तब रोहित ने जीतूजी का सर हाथ में पकड़ कर अपनी बीबी की दो टांगों के बिच में घुसाया।
रोहित ने जब यह सूना तो वह भी मुस्करा कर बोले, "मैं अपनी बात करता हूँ। इसके तीन कारण है। पहला, मैंने अपने जीवन में कई परायी स्त्रियों को चोदा है। जब हम एक ही तरह का खाना रोज रोज घरमें खाते हैं तो कभी कभी मन करता है की कहीं बाहर का खाना खाया जाए। तो पहली बात तो विविधता की है। मैं तुम्हें बहुत बहुत चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ की तुम भी पर पुरुष सम्भोग का आनन्द उठाओ। किसी दूसरे लण्ड से चुदवाओ और महसूस करो की कितना आनंद आता है। दूसरी बात यह है, की मैं जानता हूँ की मेरी पत्नी, यानी की तुम जब चुदाई करवाती हो तो मुझे कितना आनंद देती हो। मैं जीतूजी को बहुत पसंद करता हूँ। तुम भी जीतूजी को वाकई में बहुत प्रेम करती हो। तो मैं चाहता हूँ की तुम जीतूजी के कामातुर प्यार का और उनके मोटे कड़क लण्ड का अनुभव करो। अपने प्यारे से चुदवा कर कैसा अनुभव होता है यह जानो। और तीसरा कारण यह है की मुझे जीतूजी से कोई भी खतरा नजर नहीं आता। जीतूजी शादीशुदा हैं। अपनी पत्नी को खूब चाहते हैं और वह तुम्हें मुझसे कभी छीन लेने की कोशिश नहीं करेंगे। मैं कबुल करता हूँ की मैं खुद जीतूजी की बीबी श्रेया से बड़ा ही आकर्षित हूँ। हमारे बिच शारीरक सम्बन्ध भी हैं। और इस बात का पता शायद आप और जीतूजी को भी है।
अपर्णा ने अपने पति की बात स्वीकारते हुए कहा, "जीतूजी एक तरह से मरे उपपति होंगे। आप मेरे पति हैं, तो मेरे उपपति जीतूजी हैं।" फिर अपर्णा ने जीतूजी की और देख कर कहा, "यह मत समझिये की उपपति का स्थान छोटा है। उपपति का स्थान बिलकुल कम नहीं होता। पति पत्नी के अधिकृत पति हैं। पर उपपति पत्नीके मनमें सदैव रहते हैं। पत्नी होतीहै पतिके साथ, पर मन उसका उपपति के साथ होता है। कुछ नजरिये से देखें तो पति से उपपति का स्थान ज्यादा भी हो सकता है।" फिर अपने पति की और देखते हुए अपर्णा ने कहा, "आप मेरे लिए दोनोंही अपनी अपनी जगह पर बहुत महत्त्व पूर्ण हैं। कोई कम नहीं। एक ने मेरे जीवन को सँवारा है तो दूसरे ने मुझे नया जीवन दिया है।" अपर्णा ने अपने पति के लण्ड पर अपना हाथ रखा। उसने पीछे हाथ कर पति के लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ा। दूसरे हाथ से अपर्णा ने जीतूजी के पयजामे पर हाथ फिरा कर उनका लण्ड भी महसूस किया। जीतू जी का लण्ड कड़क नहीं हुआ था, पर रोहित का लण्ड ना सिर्फ खड़ा हो कर फनफना रहा था बल्कि अपने छिद्र छे रस का स्राव भी कर रहा था। अपर्णा ने जीतूजी को अपना हाथ बार बार हिलाकर पयजामा निकालने का इशारा किया। जीतूजी ने फ़ौरन पयजामे का नाडा खल कर अपने पायजामे को बाहर निकाल फेंका। जीतूजी अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे।
इस तरह उस पलंग पर तीन नंगे कामातुर बदन एक दूसरे से सट कर लेटे हुए थे। रोहित पलंग पर बैठ गए और जीतूजी की और देखने लगे। जीतूजी कुछ असमंजस में दिखाई दिए। रोहित जी ने जीतूजी का हाथ पकड़ा और उन्हें खिंच कर अपर्णा की दो टाँगों की और एक हल्का धक्का मार कर पहुंचाया। जीतूजी बेचारे इधर उधर देखने लगे तब रोहित ने जीतूजी का सर हाथ में पकड़ कर अपनी बीबी की दो टांगों के बिच में घुसाया।