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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अपर्णा ने शर्म से अपनी नजरें निचीं कर लीं और कुछ नहीं बोली। रोहित ने जीतूजी का हाथ पकड़ा और अपनी बीबी के खुले स्तनों को उनके हाथ में पकड़ा दिए। जीतूजी ने रोहित के सामने देखा और झिझकते हुए अपर्णा के स्तनोँ पर अपना हाथ फिराने लगे। हालांकि जीतूजी ने पहले भी अपर्णा के मस्त स्तनोँ का भलीभांति आनंद ले रखा था, पर यह पहली बार हुआ था की अपर्णा के पति ने सामने चलकर अपनी पत्नी के स्तनोँ को उनके हाथों में दिए थे। जीतूजी को इस बात से एक अद्भुत रोमांच का अनुभव हुआ। जीतूजी की हिचकिचाहट रोहित के वर्ताव से काफी कम हो चुकी थी। उस समय के जीतूजी के चेहरे के भाव देखने लायक थे। जैसे कोई नई नवेली वधु शादी की पहली रात को पति के कमरे में पति के सामने होती है और पति जब उसके कपड़ों को छूता है तो कैसे उसका पूरा बदन रोमांचा से सिहर उठता है ऐसा भाव उनको अपर्णा के भरे-भरे रोहित के हाथों में उठाये हुए स्तनों को छूने से हुआ।

अपर्णा का हाल तो उससे भी कहीं और बुरा था। उसकी जाँघों के बिच उसकी चूत में से तो जैसे रस की धार ही निकल रही थी। अपने पति के सामने ही किसी और पुरुष के हाथों अपने स्तनोँ को छुआना कैसा अनूठा और पुरे शरीर को रोमांच से भर देने वाला होता है यह अपर्णा ने अनुभव किया। जीतूजी ने अपर्णा के दोनों स्तनोँ को अपने हाथों की हथेलियों में लिए और उनको झुक कर चूमा। रोहित ने अपर्णा को अपनी बाँहों में जकड कर पीछे से अपर्णा के कन्धों को चुम कर कहा, "जीतूजी, मैं सच कह रहा हूँ। हालांकि मेरे मनमें अपर्णाके लिए बहुत ही अजीब भावथे और मैं जानताथा की आपको और अपर्णा को भी इसके लिए कोई एतराज नहींथा l पर मैं यह चाहता था की अपर्णा सामने चलकर मुझे अपने आपको पूरी ख़ुशी के साथ समर्पित करे और उसकी माँ को दिया हुआ वचन अगर पूरा ना हो तो ऐसा ना करे। अगर अपर्णा की माँ को दिया हुआ वचन आपके और अपर्णा के हिसाब से पूरा हो गया है तो मुझे और कुछ नहीं कहना। अपर्णा मेरी थी और रहेगी। वह आपकी पत्नी थी है और रहेगी। अगर वह मेरी शैय्या भागिनी हुई तो उससे आपके अधिपत्य पर कोई भी असर नहीं होगा।" यह प्यार दीवाना पागल है। ना जाने क्या करवाता है। कभी प्यारी को खुद ही चोदे, कभी औरों से चुदवाता है।

जीतूजी ने पहले अपर्णा के कपाल पर और फिर अपर्णा के बालों पर, नाक पर, दोनों आँखों पर, अपर्णा के गालों पर और फिर होँठों पर चुम्बन किया। जीतूजी अपर्णा के होँठों पर तो जैसे थम ही गए। अपर्णा के होँठों के रस से वह रसपान करते थकते नहीं थे। जीतूजीने अपर्णा को अपनी बाँहों में ले लिया और अपर्णा के होँठों से अपने होँठ कस कर भींच कर बोले, "अपर्णा, मैं तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूँ। क्या तुम मुझे अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए तैयार हो?" अपर्णा बेचारी बोल ही कैसे सकती थी जब उसके होँठ जीतूजी के होँठों से जैसे सील ही गए हों? फिर भी अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं और जीतूजी की आँखों से ऑंखें मिलाई और और अपना सर ऊपर निचे हिला कर उसने अपनी सहमति जताई अपर्णा की आँखों में उस समय उन्माद छाया हुआ था। आज वह अपने पति के सामने अपने प्रियतम से प्यार का ना सिर्फ इजहार करने वाली थी बल्कि अपने प्यार को अपने पति से अधिपत्य (ऑथॉरिज़ेशन) भी करवाना चाहती थी। अपर्णा समझ गयी थी की उस दिन उसे जीतूजी उसके पति के देखते हुए चोदेंगे।

अपर्णा के पति रोहित की ना सिर्फ इसमें सहमति थी बल्कि उनकी इच्छा से ही यह मामला यहाँ तक पहुँच पाया था। अपर्णा जब जीतूजी के चुम्बनसे फारिग हुई तो उसने जीतूजी और अपने पति को अपनी दोनों बाँहों में लिया।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:44 PM



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