26-12-2019, 05:43 PM
रोहित को भी शायद आइडिया हो गया था की जीतूजी उठ गए थे। रोहित का आइडिया था की वह ऐसे हालत पैदा करदें की जीतूजी खुल्लम-खुल्ला जाहिर करने के लिए मजबूर हो जाएँ की वह उठ गए हैं। रोहित ने अपर्णा की चूत में अपनी उँगलियों से चोदने की फुर्ती एकदम तेज करदी। उनकी उँगलियाँ अपर्णा की चूत से इतनी फुर्ती से अंदर बाहर होने लगीं जैसे कोई इंजन में पिस्टन सिलिंडर के अंदर बाहर होता हो। अपर्णाके लिए यह आक्रमण झेलना असंभव था। वह अपनी सिसकारियोंको रोकनेमें अब पूरी तरह से नाकाम होरही थी। अब उसे परवाह नहींथी की उसके साथमें ही सोयेहुए जीतूजी उसकी कराहट सुनकर उठ जाएंगे। वास्तव में तो कहीं ना कहीं उसके मन में भी छिपी हुई इच्छा थी की जीतूजी उठ जाएँ और अपर्णा को उसके पति के साथ दोनों मिलकर चोदें। सारी कुशंका और चिंताओं के बावजूद अपर्णाके मनमें भी पति की यह इच्छा पूरी करने का बड़ा मनतो थाही। जैसे जैसे रोहित जी ने उंगलयों से चोदने की गति तेज कर दी तो अपर्णा की सिसकारियों ने कराहट का रूप ले लिया। अपर्णा अब जोर शोर से रोहित को, "डार्लिंग, यह क्या कर रहे हो? अरे... भाई तुम थोड़ा रुको तो...अरे यह कोई तरिका है आह्ह... ओह... अह्ह्ह्हह." इत्यादि आवाजें निकालने लगी। पीछे से रोहित अपना लण्ड भी अपर्णा की गांड के गालों पर घुसेड़ रहे थे।
रोहित इस बात का ध्यान रख रहेथे की उनका लण्ड अभी जब तक उपयुक्त समय ना आये तब तक अपर्णा की चूत या गाँड़ में ना घुसेड़ें। अपर्णा अपने पति के उसकी गाँड़ में मारे जा रहे धक्कों और उनकी उँगलियों की चुदाई से इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी की उसने जीतूजी की बाहें पकड़ीं और अपने साथ साथ जीतूजी को भी हिलाने लगी। जब थोड़ी देर तक ऐसा चलता रहा तो मज़बूरी में जीतूजीने अपनी आँखें खोलीं और अपर्णा की और देखा। अपर्णा आँखें बंद किये हुए अपने पति की उंगल चुदाई और फ़ालतू के गाँड़ पर उनका कडा और खड़ा लण्ड धक्के मार रहा था उसे एन्जॉय कर रही थी। जीतूजी ने एक हाथ अपर्णा की नंगी कमर पर रखातो अपर्णाने अपनी आँखें खोलीं। जब अपर्णा की जीतूजी से आँखें मिलीं तो वह शर्मके मारे फिर झुक गयीं और फिर अपर्णा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। पर अपर्णा की कराहटें रुक नहीं पा रहीं थीं क्यूंकि उसके पति अपनी उँगलियों से अपर्णा की चूत में बड़े जोरसे चुदाई कर रहे थे। अपर्णा ने अब तय किया की जब जीतूजी ने उसे अपने पति से चुदते हुए देख ही लिया था तो अब फ़ालतू का पर्दा रखने का कोई फ़ायदा नहीं था। अपर्णा तब जीतूजी की और खिसकी और जीतूजी से चिपक गयी। अपर्णा के स्तन पर रोहितका हाथभी जीतूजी की छाती का स्पर्श कर रहा था। रोहित समझ गए की जीतूजी जग गए हैं और अपर्णा की उंगली चुदाई देख रहे हैं। रोहित ने अपर्णा की चूँचियों से अपना हाथ हटाकर जीतूजी के कन्धों पर रख दिया। रोहित ने तब अपनी बीबी की उँगलियों से चुदाई रोक दी। उन्होंने अपने हाथों से जीतूजी का कंधा थोड़े जोर से दबाया और बोले, "जीतूजी, उठो। मैं और अपर्णा आपसे प्रार्थना करते हैं की आप अपनी प्रिया और मेरी बीबी का आत्मसमर्पण स्वीकार करो।"
अपर्णा की चूँचियों को दबाते हुए रोहित बोले, "मैं जानता हूँ आप इन स्तनोँ को सहलाने के लिए कितने ज्यादा उत्सुक हो। मैं अपर्णा का पति आपसे कहता हूँ की आजसे अपर्णा के प्यार और बदन पर सिर्फ मेरे अकेले का ही हक़ नहीं होगा। अपर्णा के प्यार और बदन पर हम दोनों का साँझा हक़ होगा अगर अपर्णा इसके लिए राजी हो तो।" फिर वह अपनी बीबी की और देखते हुए बोले, "अपर्णा डार्लिंग तुम क्या कहती हो?"
रोहित इस बात का ध्यान रख रहेथे की उनका लण्ड अभी जब तक उपयुक्त समय ना आये तब तक अपर्णा की चूत या गाँड़ में ना घुसेड़ें। अपर्णा अपने पति के उसकी गाँड़ में मारे जा रहे धक्कों और उनकी उँगलियों की चुदाई से इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी की उसने जीतूजी की बाहें पकड़ीं और अपने साथ साथ जीतूजी को भी हिलाने लगी। जब थोड़ी देर तक ऐसा चलता रहा तो मज़बूरी में जीतूजीने अपनी आँखें खोलीं और अपर्णा की और देखा। अपर्णा आँखें बंद किये हुए अपने पति की उंगल चुदाई और फ़ालतू के गाँड़ पर उनका कडा और खड़ा लण्ड धक्के मार रहा था उसे एन्जॉय कर रही थी। जीतूजी ने एक हाथ अपर्णा की नंगी कमर पर रखातो अपर्णाने अपनी आँखें खोलीं। जब अपर्णा की जीतूजी से आँखें मिलीं तो वह शर्मके मारे फिर झुक गयीं और फिर अपर्णा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। पर अपर्णा की कराहटें रुक नहीं पा रहीं थीं क्यूंकि उसके पति अपनी उँगलियों से अपर्णा की चूत में बड़े जोरसे चुदाई कर रहे थे। अपर्णा ने अब तय किया की जब जीतूजी ने उसे अपने पति से चुदते हुए देख ही लिया था तो अब फ़ालतू का पर्दा रखने का कोई फ़ायदा नहीं था। अपर्णा तब जीतूजी की और खिसकी और जीतूजी से चिपक गयी। अपर्णा के स्तन पर रोहितका हाथभी जीतूजी की छाती का स्पर्श कर रहा था। रोहित समझ गए की जीतूजी जग गए हैं और अपर्णा की उंगली चुदाई देख रहे हैं। रोहित ने अपर्णा की चूँचियों से अपना हाथ हटाकर जीतूजी के कन्धों पर रख दिया। रोहित ने तब अपनी बीबी की उँगलियों से चुदाई रोक दी। उन्होंने अपने हाथों से जीतूजी का कंधा थोड़े जोर से दबाया और बोले, "जीतूजी, उठो। मैं और अपर्णा आपसे प्रार्थना करते हैं की आप अपनी प्रिया और मेरी बीबी का आत्मसमर्पण स्वीकार करो।"
अपर्णा की चूँचियों को दबाते हुए रोहित बोले, "मैं जानता हूँ आप इन स्तनोँ को सहलाने के लिए कितने ज्यादा उत्सुक हो। मैं अपर्णा का पति आपसे कहता हूँ की आजसे अपर्णा के प्यार और बदन पर सिर्फ मेरे अकेले का ही हक़ नहीं होगा। अपर्णा के प्यार और बदन पर हम दोनों का साँझा हक़ होगा अगर अपर्णा इसके लिए राजी हो तो।" फिर वह अपनी बीबी की और देखते हुए बोले, "अपर्णा डार्लिंग तुम क्या कहती हो?"