26-12-2019, 05:42 PM
एक जीतूजी के इतने करीबसे देखते हुए की अपर्णा अपने पति से कैसे चुदाई करवा रही है यह सोच कर रोमांच का भाव, दुसरा चिंता का भाव की जीतूजी कहीं ईर्ष्या या दुःख से परेशान तो नहीं हो जाएंगे की अपर्णा किसी और से चुद रही थी? तीसरा डर का भाव की कहीं उसी समय अगर जीतूजी का अपर्णा को चोदने का मन किया तो कहीं वह रोहित से अपर्णा को चोदने के लिए बहस तो नहीं करेंगे? चौथा भावकी कहीं दोनों मर्द मिलकर अपर्णा को एक साथ चोदने के लिए अगर तैयार हो गए तो क्या एक अपर्णा की चूत में तो दुसरा उसकी गाँड़में तो अपना लण्ड नहीं घुसाना चाहेंगे? अपर्णा डर चिंता और रोमांच से एकदम अभिभूत हो रही थी। अपर्णा ने महसूस किया की जीतूजी थोड़ा हिल रहे थे। उसका मतलब वह जाग गए थे। अपर्णाने देखा की जीतूजीने अपनी आँखें नहीं खोलीं थी। यह अच्छा था। क्यूंकि भले ही जीतूजी ने महसूस किया हो की अपर्णा अपने पति से चुदाई करवा रहीथी। पर नादेखते हुए कुछ हद तक अपर्णा की लज्जा कम हो सकती थी। पर रोहित ने कोई कोशिश नहीं की वह अपर्णा की गरम चूतमें अपना लण्ड डालें। वह तो अपर्णा को इतना गरम करना चाहते थे की अपर्णा आगे चलकर अपनी सारी लज्जा और शर्म छोड़ कर, अगर जीतूजी उठ जाएँ तो भी अपने पति से बिनती करे की "प्लीज आप मुझे चोदिये।"
रोहित ने फुर्तीसे पलंगसे निचे उतर कर अपर्णा की जाँघें फैलायीं। अपना मुंह अपर्णा की जाँघों के बिच में रख कर वह अपर्णा का रिस्ता हुआ स्त्री रस चाटने लगे और अपनी जीभ डाल कर अपर्णा की चूत को जीभ से कुरेदने लगे। रोहित जी की जीभ के अंदर घुसते ही अपर्णा अपनी आँखें कस के मूंद के रखती हुई एकदम पलंग पर चौक कर उछल पड़ी। उसके तन के ऊपर से कम्बल हट गया। वह नंगी दिखने लगी। शायद जीतूजी ने भी एक आँख खोल कर अपर्णा का कामातुर खूबसूरत कमसिन नंगा बदन देख लिया था। जीतूजी ने यह भी देखा की अपर्णा के पति जीतूजी के उठने की परवाह ना करते हुए अपर्णा की चूत में अपनी जीभ डाल कर अपनी बीबी को "जिह्वा मैथुन" करा रहे थे।
अपर्णा पलंगके ऊपर उछल उछल कर उसे झेलने की कोशिश कर रही थी। थोड़ी देर अपर्णा का जिह्वा मैथुन करने के बाद रोहित वापस पलंग पर आ गए। रोहित फिर वही अपर्णा की गाँड़ पर अपना लण्ड टिकाकर अपर्णाको अपनी जाँघों के बिच में जकड कर उसके मद मस्त स्तनोँ को अपनी हथलियों में दबाने लगे और अपर्णा की फूली हुई निप्पलों को पिचकाने में फिर व्यस्त हो गए। रोहित ने अपना हाथ अपर्णा की पतली कमर और नाभि को सहलाते हुए धीरे से निचे ले जाकर उसकी चूत के ऊपर वाले टीले से सरका कर अपर्णा की चूत पर रक्खा। अपने पति का हाथ जब अपनी चूत के पास महसूस किया तो अपर्णा बोल पड़ी, "डार्लिंग यह क्या कर रहे हो?" रोहित ने कुछ ना बोलते हुए अपर्णा की पानी झरती चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दीं और उसे प्यार से अंदर बाहर करने लगे। अपर्णा की (और शायद सब स्त्रियों की) यह बड़ी कमजोरी होती है की जब पुरुष उनकी चूत में उँगलियाँ डालकर उनको हस्तमैथुन करते हैं तब वह उसे झेलनेमें नाकाम रहतीं हैं। रोहित कभी उँगलियों से अपर्णा की चूतके पंखुड़ियों को खोल कर प्यारसे उसे ऐसे रगड़ने लगे की अपर्णा मचल उठी और उसके रोंगटे खड़े हो गए। बड़ी मुश्किल से वह अपने पति को चुदाई करने के लिए आग्रह करने से अपने आप को रोक पायी। जैसे जैसे रोहित की उँगलियाँ फुर्ती से अपर्णा की चूत में अंदर बाहर होने लगीं, अपर्णा की मचलन बढ़ने लगी। साथ साथ में अपर्णा की चूत की फड़कन भी बढ़ने लगी। अपर्णा अपनी सिसकारियां रोकने में नाकाम हो गयी। उसके मुंहसे बार बार "आहह ओफ्फफ्फ्फ़... हाय... उम्फ..." आवाजों वाली सिकारियाँ बढ़तीही गयीं। जाहिर है की ऐसे माहौल में एक मर्द कैसे सो सकता है जब एक जवान औरत उसके बगल में एक ही पलंग पर उसके साथ नंगी सोई हुई जोर शोर से सिकारियाँ मार रही हो? जीतूजी उठ तो गए पर अपनी आँखें मूंद कर पड़े रहे और उम्मीद करते रहे की उनको भी कभी कुछ मौक़ा मिलेगा।
रोहित ने फुर्तीसे पलंगसे निचे उतर कर अपर्णा की जाँघें फैलायीं। अपना मुंह अपर्णा की जाँघों के बिच में रख कर वह अपर्णा का रिस्ता हुआ स्त्री रस चाटने लगे और अपनी जीभ डाल कर अपर्णा की चूत को जीभ से कुरेदने लगे। रोहित जी की जीभ के अंदर घुसते ही अपर्णा अपनी आँखें कस के मूंद के रखती हुई एकदम पलंग पर चौक कर उछल पड़ी। उसके तन के ऊपर से कम्बल हट गया। वह नंगी दिखने लगी। शायद जीतूजी ने भी एक आँख खोल कर अपर्णा का कामातुर खूबसूरत कमसिन नंगा बदन देख लिया था। जीतूजी ने यह भी देखा की अपर्णा के पति जीतूजी के उठने की परवाह ना करते हुए अपर्णा की चूत में अपनी जीभ डाल कर अपनी बीबी को "जिह्वा मैथुन" करा रहे थे।
अपर्णा पलंगके ऊपर उछल उछल कर उसे झेलने की कोशिश कर रही थी। थोड़ी देर अपर्णा का जिह्वा मैथुन करने के बाद रोहित वापस पलंग पर आ गए। रोहित फिर वही अपर्णा की गाँड़ पर अपना लण्ड टिकाकर अपर्णाको अपनी जाँघों के बिच में जकड कर उसके मद मस्त स्तनोँ को अपनी हथलियों में दबाने लगे और अपर्णा की फूली हुई निप्पलों को पिचकाने में फिर व्यस्त हो गए। रोहित ने अपना हाथ अपर्णा की पतली कमर और नाभि को सहलाते हुए धीरे से निचे ले जाकर उसकी चूत के ऊपर वाले टीले से सरका कर अपर्णा की चूत पर रक्खा। अपने पति का हाथ जब अपनी चूत के पास महसूस किया तो अपर्णा बोल पड़ी, "डार्लिंग यह क्या कर रहे हो?" रोहित ने कुछ ना बोलते हुए अपर्णा की पानी झरती चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दीं और उसे प्यार से अंदर बाहर करने लगे। अपर्णा की (और शायद सब स्त्रियों की) यह बड़ी कमजोरी होती है की जब पुरुष उनकी चूत में उँगलियाँ डालकर उनको हस्तमैथुन करते हैं तब वह उसे झेलनेमें नाकाम रहतीं हैं। रोहित कभी उँगलियों से अपर्णा की चूतके पंखुड़ियों को खोल कर प्यारसे उसे ऐसे रगड़ने लगे की अपर्णा मचल उठी और उसके रोंगटे खड़े हो गए। बड़ी मुश्किल से वह अपने पति को चुदाई करने के लिए आग्रह करने से अपने आप को रोक पायी। जैसे जैसे रोहित की उँगलियाँ फुर्ती से अपर्णा की चूत में अंदर बाहर होने लगीं, अपर्णा की मचलन बढ़ने लगी। साथ साथ में अपर्णा की चूत की फड़कन भी बढ़ने लगी। अपर्णा अपनी सिसकारियां रोकने में नाकाम हो गयी। उसके मुंहसे बार बार "आहह ओफ्फफ्फ्फ़... हाय... उम्फ..." आवाजों वाली सिकारियाँ बढ़तीही गयीं। जाहिर है की ऐसे माहौल में एक मर्द कैसे सो सकता है जब एक जवान औरत उसके बगल में एक ही पलंग पर उसके साथ नंगी सोई हुई जोर शोर से सिकारियाँ मार रही हो? जीतूजी उठ तो गए पर अपनी आँखें मूंद कर पड़े रहे और उम्मीद करते रहे की उनको भी कभी कुछ मौक़ा मिलेगा।