26-12-2019, 05:41 PM
अपर्णा के बड़े उन्नत वक्ष फूली हुई निप्पलों के साथ गाउन से बाहर निकल पड़े। पीछे से हाथ डाल कर रोहित ने अपनी बीबी दोनों फुले स्तनोँ को अपनी हथेलियों में उठाया और उन जेली के समान डोलते हुए स्तनोँ को हिलाते हुए रोहित ने अपनी बीबी अपर्णा से कहा, "जानेमन यह तुम्हारे दो गोल गुम्बज पर कोई भी मर्द अपनी जान न्योछावर कर सकता है।" यह कर रोहित ने अपर्णा के बॉल अपनी हथली में दबाने और मसलने शुरू किये। अपर्णा के मुंह से फिर से सिसकारी निकल गयी। इस बार कुछ ज्यादा ही ऊँची आवाज थी। अपर्णा को डर था की कहीं उसकी सिसकारी सुनकर जीतूजी जाग ना जाएँ। रोहित तो चाहतेथे की जीतूजी जाग जाएँ और यह सब देखें। वह जितना हो सके अपनी पत्नी को उकसाना चाहते थे ताकि उसकी कराहटें और सिकारियों की आवाज बढे और जीतू जी उठ कर वह नजारा देखें जो वह उन्हें दिखाना चाहते थे। रोहित ने सिर्फ एक धोती जो डॉ. खान की अलमारी में मिली थी वह पहन रक्खी थी। उसकी गाँठ भी बिस्तरे में पलटते हुए छूट गयी थी। वह बिस्तर में नंगे ही सोये हुए थे। अपनी पत्नी के दो मस्त गुम्बजों को अपने हाथों में मसलते हुए और अपर्णा की निप्पलों को पिचकाते और अपनी बीबी की गाँड़ में पीछे से धक्का मारते हुए कहा, "डार्लिंग, जीतूजी हमारे लिए भगवान से भी ज्यादा हैं। वह इस लिए की भगवान को कुछ भी करने के लिए सिर्फ इच्छा करनी पड़ती है। जब की हम इंसानों को अपने प्रियजन के लिए कुछ करने के लिए महेनत और अपना आत्म समर्पण करना पड़ता है।
जीतूजी ने वह तुम्हारे लिए क्यों किया? क्यूंकि वह तुम्हें दिलोजान से चाहते थे। वह तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकते हैं। तो क्या तुम उनके लिए कुछ कर नहीं सकती?" अपर्णा ने अपने पति की बात का कुछ भी जवाब नहीं दिया। वह जानती थी की उसके पति क्या चाहते थे। पर वह क्यों अपना मुंह खोले? वह सिर्फ अपने पति के अपनी गाँड़ पर धक्का मरते हुए लण्ड को मेहसूस कर रही थी। अपने पति का जाना पहचाना मोटा और लंबा लंड एकदम कड़क और जोशीला तैयार लग रहा था। अपर्णा भी एक साथ दो लण्ड से चुदवाने के विचार से ही काफी उत्तेजित हो रही थी। उसने कभी सोचा नहीं था की उसके दोनों प्राणप्रिय मर्द उसे एकसाथ चोदेंगे। उसके पति तो तैयार थे, पर क्या जीतूजी भी तैयार होंगे? यह अपर्णा को पता नहीं था। रोहित ने जब अपनी पत्नी का कोई जवाब नहीं मिला तो वह समझ गए की अपर्णा तैयार तो है पर अपने मुंह से हाँ नहीं कहना चाहती। आखिर में वह मानिनी जो ठहरी? रोहित जी ने फ़ौरन अपर्णा गाउन पूरा खोल कर उसे हटाना चाहा। अपर्णा ने भी कोई विरोध ना करते हुए अपने हाथ और पाँव ऊपर निचे कर के उसे हटाने में रोहित की मदद की। अब रोहित और उनकी पत्नी अपर्णा बिस्तरे में एक़दम नंगे थे। रोहित ने फिर से अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ के गालों पर टिका दिया और हलके धक्के मारने लगे। अपने पति का तगड़ा लण्ड अब उसकी गाँड़ को टोचने लगा तो अपर्णा चंचल हो उठी। उससे रहा नहीं गया। अपर्णा के मुंह से कुछ ज्यादा ही जोर से कराहट निकल पड़ी। अपर्णा समझ गयी की अब वख्त आ पहुंचा था जब उसके पति उसकी पीछे से चुदाई करेंगे। अपर्णा जानती थी की रोहित को पीछे से चोदना बहुत पसंद था।
अपर्णा की दोनों चूँचियों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें दबोचते हुए अपर्णा की गाँड़ की दरार में से होते हुए अपर्णा की रसीली चूत में अपना लण्ड पेलने के लिए उसके पति हमेशा व्याकुल रहते थे। जब वह अपर्णा को पीछे से चोदते थे तो अपना मुंह अपर्णा के घने बालों में मलते हुए अपर्णा की गर्दन, पीठ और कन्धों को बार बार चूमते रहते जिससे अपर्णा का उन्माद सातवें आसमान पर पहुंच जाता था। अपर्णा को महसूस हुआ की जीतूजी अपर्णा की कराहट सुनकर शायद उठ चुके थे। अपर्णा के मन में उस समय एकसाथ कई भाव जाग्रत हो रहे थे।
जीतूजी ने वह तुम्हारे लिए क्यों किया? क्यूंकि वह तुम्हें दिलोजान से चाहते थे। वह तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकते हैं। तो क्या तुम उनके लिए कुछ कर नहीं सकती?" अपर्णा ने अपने पति की बात का कुछ भी जवाब नहीं दिया। वह जानती थी की उसके पति क्या चाहते थे। पर वह क्यों अपना मुंह खोले? वह सिर्फ अपने पति के अपनी गाँड़ पर धक्का मरते हुए लण्ड को मेहसूस कर रही थी। अपने पति का जाना पहचाना मोटा और लंबा लंड एकदम कड़क और जोशीला तैयार लग रहा था। अपर्णा भी एक साथ दो लण्ड से चुदवाने के विचार से ही काफी उत्तेजित हो रही थी। उसने कभी सोचा नहीं था की उसके दोनों प्राणप्रिय मर्द उसे एकसाथ चोदेंगे। उसके पति तो तैयार थे, पर क्या जीतूजी भी तैयार होंगे? यह अपर्णा को पता नहीं था। रोहित ने जब अपनी पत्नी का कोई जवाब नहीं मिला तो वह समझ गए की अपर्णा तैयार तो है पर अपने मुंह से हाँ नहीं कहना चाहती। आखिर में वह मानिनी जो ठहरी? रोहित जी ने फ़ौरन अपर्णा गाउन पूरा खोल कर उसे हटाना चाहा। अपर्णा ने भी कोई विरोध ना करते हुए अपने हाथ और पाँव ऊपर निचे कर के उसे हटाने में रोहित की मदद की। अब रोहित और उनकी पत्नी अपर्णा बिस्तरे में एक़दम नंगे थे। रोहित ने फिर से अपना लण्ड अपर्णा की गाँड़ के गालों पर टिका दिया और हलके धक्के मारने लगे। अपने पति का तगड़ा लण्ड अब उसकी गाँड़ को टोचने लगा तो अपर्णा चंचल हो उठी। उससे रहा नहीं गया। अपर्णा के मुंह से कुछ ज्यादा ही जोर से कराहट निकल पड़ी। अपर्णा समझ गयी की अब वख्त आ पहुंचा था जब उसके पति उसकी पीछे से चुदाई करेंगे। अपर्णा जानती थी की रोहित को पीछे से चोदना बहुत पसंद था।
अपर्णा की दोनों चूँचियों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हें दबोचते हुए अपर्णा की गाँड़ की दरार में से होते हुए अपर्णा की रसीली चूत में अपना लण्ड पेलने के लिए उसके पति हमेशा व्याकुल रहते थे। जब वह अपर्णा को पीछे से चोदते थे तो अपना मुंह अपर्णा के घने बालों में मलते हुए अपर्णा की गर्दन, पीठ और कन्धों को बार बार चूमते रहते जिससे अपर्णा का उन्माद सातवें आसमान पर पहुंच जाता था। अपर्णा को महसूस हुआ की जीतूजी अपर्णा की कराहट सुनकर शायद उठ चुके थे। अपर्णा के मन में उस समय एकसाथ कई भाव जाग्रत हो रहे थे।