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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
फिर अपर्णाने वापस जीतूजी की ओर घूम का देखा और बोली, "जीतूजी, आप ने हम सब पर इतने एहसान किये हैं की हम कुछ भी करें, हम आप का ऋण नहीं चुका सकते।" ऐसा कह कर अपर्णा ने जीतूजी का सर अपनी छाती पर अपने उन्मत्त स्तनोँ पर रख दिया और उनके सर को अपने स्तनोँ पर रगड़ने लगी। अपर्णा जीतूजी के घुंघराले बालों को संवारने लगी। पुरे कमरे में एक अत्यंत जज्बाती भावुक वातावरण हो गया। रोहित और अपर्णा की आँखों में प्यार भरे आंसूं बहने लगे। रोहित ने पीछे से अपर्णा को धक्का देते हुए अपर्णा को जीतूजी के आगोश में जाने को मजबूर कर दिया। जीतूजी ने अपर्णा को अपनी बाँहों में भर लिया और अपने बाजु लंबा करके रोहित को भी अपने आगोश में लेना चाहा। अपर्णा बेचारी दोनों मर्दों के बिच में पीस रही थी। एक तरफ उसके पति रोहित और दूसरी और उसके अतिप्रिय प्रियतम जीतू जी। अपर्णा ने अपने पति रोहित की ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा। वह पूछना चाहती थी की क्या वह जीतूजी के आगोश में जाए और उनको प्यार करे।

रोहित ने अपनी पत्नी की ओर देखा और मुस्कुराते हुए उसे कोहनी मारकर जीतूजी के और करीब धकेला और आँख की पालक झपका कर आगे बढ़ने को प्रोत्साहित किया। अपर्णा फ़ौरन जीतूजी के गले लिपट गयी और बोली, "आपने मुझे मरने से बचाया इसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।" अपर्णा की बात सुनकर जीतूजी कुछ नाराज से हो गए। उन्होंने अपर्णा की पीठ थपथपाते हुए कहा, "अपर्णा यह तुम लोग बार बार शुक्रिया, शुक्रिया कहते हो ना, तो मुझे परायापन महसूस होता है। क्या कोई अपनों के लिए काम करता है तो शुक्रिया कहलवाना चाहता है? यह सभ्यता विदेशी है। हम तो एक दूसरों के लिए जो भी कुछ करते हैं वह तो स्वाभाविक रूप से ही करते हैं। अब तुम दोनों सो जाओ। मैं भी थोड़ी देर सो जाता हूँ।" यह कह कर जीतूजी करवट बदल कर लेट गए। अपर्णा को समझ नहीं आया की क्या वह अपर्णा से प्यार करने से कतरा रहे थे या फिर रोहित की हाजरी के कारण शर्मा रहे थे। कुछ ही देर में जीतूजी की खर्राटें सुनाई देने लगीं।

जीतूजी का रूखापन देख कर अपर्णा को दुःख हुआ। फिर उसने सोचा की शायद रोहित की हाजरी देख कर जीतूजी कुछ असमंजस में पड़ गए थे। अपर्णा ने करवट बदली और अपने पति के सामने घूम गयी। रोहित पूरी तरह जाग चुके थे। अपर्णा ने अपने पति से कहा, " आप कुछ खा लीजिये ? खाना टेबल पर रखा है।" रोहित ने हाँ में सर हिलाया तो अपर्णा फ़ौरन उठ खड़ी हुई और अपने कपड़ों को सम्हालती हुई खाना गरम कर रोहित को परोसा और खुद रोहित जी के करीब की कुर्सी में अपने कूल्हों को टिकाके बैठ गयी। खाते खाते रोहित जी ने अपर्णा से एकदम हलकी आवाज में पूछा ताकि सो रहे जीतूजी सुन ना पाए और जाग ना जाए, "अपर्णा, यह तुमने ठीक नहीं किया। जीतू जी ने तुम्हारे लिए इतना किया और तुमने बस? खाली शुक्रिया? ऐसे? तुम्हें जीतूजी ने मरने से बचाया और तुम कह रही हो, बचाने के लिए शुक्रिया? ऐसा शुक्रिया तो अगर तुम्हारा रुमाल गिर जाये और उसे उठाकर कोई तुम्हें दे दे तो कहते हैं। जान जोखिम में डाल कर बचाने के लिये बस शुक्रिया?" अपर्णा ने मूड कर अपने पति की ओर देखा और बोली, "क्या मतलब? ऐसे नहीं तो कैसे शुक्रिया अदा करूँ?" रोहित ने कहा, "जाने मन, जब मैंने शादी के समय आपके लिए दुनिया का सब कुछ कुर्बान करने की सौगंध खायी थी तो बादमें आपने मुझे क्या तोहफा दिया था?" 
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:38 PM



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