26-12-2019, 05:37 PM
वहभी अपर्णा के पीछे उसके और करीब आये और रोहित के आंसूं पोंछते हुए बोले, "रोहित आप ने देश की और अपनी सुरक्षा की है और वास्तव में आप शाबाशी के पात्र हो। एक साधारण नागरिक के लिए इस तरह अपनी रक्षा करना आसान नहीं है। आपने अपने देश की भी रक्षा की है। वह ऐसे की, अगर आप पकडे जाते तो आपको यह दुश्मन बंधक बना देते और फिर अपनी सरकार से कुछ आतंकवादी छुड़वाने के लिए फिरौती के रूप में सौदेबाजी करते। हो सकता है मज़बूरी में सरकार मान भी जाती। इस नजरिये से देखा जाये तो आपने अपने आपकी सुरक्षा कर के देश सेवा की है।" रोहित जी ने जीतूजी को अपनी पत्नी अपर्णा के पीछे देखा तो अपना हाथ बढ़ा कर उनका हाथ अपने हाथों में लिया। रोहित ने जीतूजी से कहा, "जीतूजी, मैं बता नहीं सकता की अपर्णा को बचाकर आपने मुझ पर कितना बड़ा एहसान किया है। जो काम करने की मेरी हिम्मत और काबिलियत नहीं थी वह आपने कर दिखाया। मैं और अपर्णा आपके सदा ऋणी रहेंगे।"
अपनी पत्नी और जिगरी दोस्त के सांत्वना और उत्साह से भरे वाक्य सुनकर रोहित का मूड़ बिलकुल बदल चुका था। अब वह अपने पुराने शरारती अंदाज में आ गए थे। उन्होंने अपर्णा को पकड़ा और जबरदस्ती करवट लेने को बाध्य किया। अपर्णा अब जीतूजी के मुंह से मुंह मिलाने के करीब थी। रोहित ने अपर्णा की गाँड़ में अपने पेंडू से धक्का माते हुए कहा, "अपर्णा अब तो तुम्हारा प्रण पूरा हुआ की नहीं? अब तो तुम अपनी माँ को दिए हुए वचन का पालन करोगी ना? जीतूजी ने अपनी जान जोखिम में डाल कर तुम्हारी जान बचायी। अब तो तुम मेरी ख्वाहिश पूरी करोगी ना?" अपर्णा ने अपने पति को चूँटी भरते हुए पर काफी शर्म से गालों पर लाली दिखाते हुए उसी अंदाज में कहा, "अब आपको जीतूजी का ऋणी होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने किसी और को नहीं बचाया उन्होंने अपनी अपर्णा को ही बचाया है। जहां तक आपकी ख्वाहिश पूरी करने का सवाल है तो मैं क्या कहूं? आप दोनों मर्द हैं। मैं तो आपकी ही मिलकियत हूँ। अब आप जैसा चाहेंगे, मैं वैसा ही करुँगी।" अपर्णा ने धीरे से सारी जिम्मेवारी का टोकरा अपने पति के सर पर ही रख दिया। वैसे भी पत्नियां ऐसे नाजुक मामले में हमेशा वह जो करेगी वह पति के ख़ुशी के लिए ही करती है यह दिखावा जरूर करती है। रोहित ने अपनी पत्नी को और धक्का देते हुए जीतू जी से बिलकुल चिपकने को बाध्य किया और अपने पेंडू से और कड़क लण्डसे अपर्णा की गाँड़ पर एक धक्का मारकर जीतूजी के होँठों से अपर्णा के होँठ चिपका दिए। उन्होंने अपर्णा का एक हाथ उठाया और जीतूजी के बदन के ऊपर रख दिया जिससे अपर्णा जीतूजी को अपनी बाँहों में ले सके।
जीतूजी ने बड़े ही संङ्कोच से रोहित की ओर देखा। रोहित ने आँख मारकर जीतूजी को चुप रहने का इशारा किया और अपना हाथ भी अपनी बीबी के हाथ पर रख कर अपर्णा को जीतूजी को बाहुपाश में बाँधने को बाध्य किया। अपर्णा ने अपने पति रोहित की ओर अपना सर घुमा कर देखा और कहा, "देखिये आज आपने दो दुश्मन के फौजी और आतंकवादी को मार दिए इससे आप को इतनी ज्यादा रंजिश हुई और आप इतना दुखी हुए। हमारे फौजी नवजवानों को देखिये। लड़ाई में वह ना सिर्फ दुश्मनों को मौत के घाट उतारते हैं, वह खुद दुश्मनों की गोली पर बलिदान होते हैं। देश के लिए वह कितना बड़ा बलिदान है? जीतूजी ने उस कालिये को मारने में एक सेकंड का भी समय जाया नहीं किया। अगर उस कालिये को चंद सेकंड ही मिल जाते तो वह हम सब को मार देता।"
अपनी पत्नी और जिगरी दोस्त के सांत्वना और उत्साह से भरे वाक्य सुनकर रोहित का मूड़ बिलकुल बदल चुका था। अब वह अपने पुराने शरारती अंदाज में आ गए थे। उन्होंने अपर्णा को पकड़ा और जबरदस्ती करवट लेने को बाध्य किया। अपर्णा अब जीतूजी के मुंह से मुंह मिलाने के करीब थी। रोहित ने अपर्णा की गाँड़ में अपने पेंडू से धक्का माते हुए कहा, "अपर्णा अब तो तुम्हारा प्रण पूरा हुआ की नहीं? अब तो तुम अपनी माँ को दिए हुए वचन का पालन करोगी ना? जीतूजी ने अपनी जान जोखिम में डाल कर तुम्हारी जान बचायी। अब तो तुम मेरी ख्वाहिश पूरी करोगी ना?" अपर्णा ने अपने पति को चूँटी भरते हुए पर काफी शर्म से गालों पर लाली दिखाते हुए उसी अंदाज में कहा, "अब आपको जीतूजी का ऋणी होने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने किसी और को नहीं बचाया उन्होंने अपनी अपर्णा को ही बचाया है। जहां तक आपकी ख्वाहिश पूरी करने का सवाल है तो मैं क्या कहूं? आप दोनों मर्द हैं। मैं तो आपकी ही मिलकियत हूँ। अब आप जैसा चाहेंगे, मैं वैसा ही करुँगी।" अपर्णा ने धीरे से सारी जिम्मेवारी का टोकरा अपने पति के सर पर ही रख दिया। वैसे भी पत्नियां ऐसे नाजुक मामले में हमेशा वह जो करेगी वह पति के ख़ुशी के लिए ही करती है यह दिखावा जरूर करती है। रोहित ने अपनी पत्नी को और धक्का देते हुए जीतू जी से बिलकुल चिपकने को बाध्य किया और अपने पेंडू से और कड़क लण्डसे अपर्णा की गाँड़ पर एक धक्का मारकर जीतूजी के होँठों से अपर्णा के होँठ चिपका दिए। उन्होंने अपर्णा का एक हाथ उठाया और जीतूजी के बदन के ऊपर रख दिया जिससे अपर्णा जीतूजी को अपनी बाँहों में ले सके।
जीतूजी ने बड़े ही संङ्कोच से रोहित की ओर देखा। रोहित ने आँख मारकर जीतूजी को चुप रहने का इशारा किया और अपना हाथ भी अपनी बीबी के हाथ पर रख कर अपर्णा को जीतूजी को बाहुपाश में बाँधने को बाध्य किया। अपर्णा ने अपने पति रोहित की ओर अपना सर घुमा कर देखा और कहा, "देखिये आज आपने दो दुश्मन के फौजी और आतंकवादी को मार दिए इससे आप को इतनी ज्यादा रंजिश हुई और आप इतना दुखी हुए। हमारे फौजी नवजवानों को देखिये। लड़ाई में वह ना सिर्फ दुश्मनों को मौत के घाट उतारते हैं, वह खुद दुश्मनों की गोली पर बलिदान होते हैं। देश के लिए वह कितना बड़ा बलिदान है? जीतूजी ने उस कालिये को मारने में एक सेकंड का भी समय जाया नहीं किया। अगर उस कालिये को चंद सेकंड ही मिल जाते तो वह हम सब को मार देता।"