26-12-2019, 05:36 PM
अपर्णा ने अपने पति की और इशारा करते हुए कहा, "तो फिर इनका क्या करें?" जीतूजी ने कहा, "यह तो आपका सामान है। इसे तो आपको सम्हालना ही पडेगा।" अपर्णा ने कहा, "ठीक है, मेरा जो भी सामान है उन्हें मैं ही सम्हालूँगी।" यह कह कर अपर्णा करवट बदल कर अपने पति रोहित के पास जा उनके शरीर से लिपट गयी। अपर्णा ने अपनी एक टाँग उठायी और अपने पति की जाँघ पर रख दी और रोहित को अपनी बाँहों में घेर लिया। फिर अपर्णा ने एक हाथ पीछे कर जीतूजी को अपनी और करीब खींचा। जीतू जी को खिसक कर अपर्णा के पीछे उस की गाँड़ से अपना लण्ड सटा कर लेटना पड़ा। अपर्णा ने जीतूजी की एक बाँह पकड़ कर अपने एक बाजू को ऊपर कर जीतूजी का हाथ अपने बाजू के निचे बगल में से अपने मस्त स्तनोँ पर रख दिया। अपर्णा चाहती थी की जीतूजी उसके स्तनोँ को सहलाते रहें। तीनों गरम बदन एक दूसरेसे चिपके हुए लेट गए। कुछ देर तक कमरे में एकदम शान्ति छा गयी। कुछ ही देर में तीनों खर्राटे मारने लगे। प्रचुर थकान की वजह से ना चाहते हुए भी तीनों गहरी नींद सो गए। चारों और सन्नाटा छाया हुआ था। खिड़की में से दूर दूर तक कोई इंसान जानवर नजर नहीं आता था। ऐसे ही कुछ घंटे बीत गए।
अचानक अपर्णा के गाल पर कुछ पानी की बूंदड़ें टपकने लगी। अपर्णा ने आँखें खोलीं तो पाया की उसके पति रोहित अपर्णा की आँखों में करीब से एकटक देख रहे थे। उनकी आँखों से आँसुंओं की धारा बह रही थी। अपर्णा अपने पति के और करीब खिसकी और और उनसे और कस के चिपक गयी और बोली, "मेरी जान! क्या बात है? इतने दुखी क्यों हो?" रोहित ने अपर्णा के होंठों पर हलके से चुम्बन किया और बोले, "डार्लिंग, आजतक मैंने किसी पर हाथ तक नहीं उठाया। आज इन्हीं हाथों से मैंने दो इंसानों को मौतके घाट उतार दिया। आज तक मैंने किसी डेड बॉडी को करीब से नहीं देखा था। आज और कलमें मैंने चार चार मृत शरीर को मेरे हाथों में उठाया। मैं खुनी हूँ, मैंने खून किया है। मुझे माफ़ कर दो।" अपर्णा ने अपने पति के सर को अपनी छाती से चिपका दिया और बोली, "जानू, तुम कोई खुनी नहीं हो। तुमने कोई खून नहीं किया। तुमने अपनी जानकी रक्षा की है और आत्मा रक्षा करना हम सब का कर्तव्य है। भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद भगवत गीता में अर्जुन को यही उपदेश दिया था की आत्मरक्षा से पीछे हटना कायरता का निशान है। जानू, तुम कायर नहीं और तुम खुनी भी नहीं हो। अगर तुमने उनको नहीं मारा होता तो वह तुमको मार डालते।" ऐसा कह कर अपर्णा ने अपने पति रोहित के ऊपर उठकर उनके होँठों से अपने होंठ चिपका दिए। अपने पति को क़िस करते हुए अपर्णा उनको दिलासा दिलाती हुई बार बार यही बोले जा रही थी की "मेरा जानू कतई खुनी नहीं है। वह किसीका खून कर ही नहीं सकता।" जैसे माँ अपने बच्चे को दिलासा देती रहती है ऐसे ही अपर्णा अपने पति को यह भरोसा दिला रही थी की उन्होंने कोई खून नहीं किया। साथ ही साथ में अपने स्तनों पर रोहित का मुंह रगड़ कर अपर्णा अपने स्तनों का अस्वादन भी अपने पति को करवा रही थी। अपर्णा चाहती थी की रोहित का मूड़ जो नकारात्मक भावों में डूबा हुआ था वह कुछ रोमांटिक दिशा में घूमे।
जीतूजी नींद से जाग गए और पति पत्नीकी चर्चा ध्यान से सुन रहे थे।
अचानक अपर्णा के गाल पर कुछ पानी की बूंदड़ें टपकने लगी। अपर्णा ने आँखें खोलीं तो पाया की उसके पति रोहित अपर्णा की आँखों में करीब से एकटक देख रहे थे। उनकी आँखों से आँसुंओं की धारा बह रही थी। अपर्णा अपने पति के और करीब खिसकी और और उनसे और कस के चिपक गयी और बोली, "मेरी जान! क्या बात है? इतने दुखी क्यों हो?" रोहित ने अपर्णा के होंठों पर हलके से चुम्बन किया और बोले, "डार्लिंग, आजतक मैंने किसी पर हाथ तक नहीं उठाया। आज इन्हीं हाथों से मैंने दो इंसानों को मौतके घाट उतार दिया। आज तक मैंने किसी डेड बॉडी को करीब से नहीं देखा था। आज और कलमें मैंने चार चार मृत शरीर को मेरे हाथों में उठाया। मैं खुनी हूँ, मैंने खून किया है। मुझे माफ़ कर दो।" अपर्णा ने अपने पति के सर को अपनी छाती से चिपका दिया और बोली, "जानू, तुम कोई खुनी नहीं हो। तुमने कोई खून नहीं किया। तुमने अपनी जानकी रक्षा की है और आत्मा रक्षा करना हम सब का कर्तव्य है। भगवान श्री कृष्ण ने भी श्रीमद भगवत गीता में अर्जुन को यही उपदेश दिया था की आत्मरक्षा से पीछे हटना कायरता का निशान है। जानू, तुम कायर नहीं और तुम खुनी भी नहीं हो। अगर तुमने उनको नहीं मारा होता तो वह तुमको मार डालते।" ऐसा कह कर अपर्णा ने अपने पति रोहित के ऊपर उठकर उनके होँठों से अपने होंठ चिपका दिए। अपने पति को क़िस करते हुए अपर्णा उनको दिलासा दिलाती हुई बार बार यही बोले जा रही थी की "मेरा जानू कतई खुनी नहीं है। वह किसीका खून कर ही नहीं सकता।" जैसे माँ अपने बच्चे को दिलासा देती रहती है ऐसे ही अपर्णा अपने पति को यह भरोसा दिला रही थी की उन्होंने कोई खून नहीं किया। साथ ही साथ में अपने स्तनों पर रोहित का मुंह रगड़ कर अपर्णा अपने स्तनों का अस्वादन भी अपने पति को करवा रही थी। अपर्णा चाहती थी की रोहित का मूड़ जो नकारात्मक भावों में डूबा हुआ था वह कुछ रोमांटिक दिशा में घूमे।
जीतूजी नींद से जाग गए और पति पत्नीकी चर्चा ध्यान से सुन रहे थे।