26-12-2019, 05:34 PM
कुछ ही देर में गद्दा और रजाई चटाई बगैरह लेकर डॉ. खान हाजिर हुए। डॉ. खान ने जीतूजी से रोहित की कहानी सुनी। कैसे आतंकवादियों से उनका पाला पड़ा था, बगैरा। आखिर में गहरी साँस लेते हुए डॉ. खान बोले, "अल्लाह, ना जाने कब ये मातमका माहौल थमेगा और चमन फिर इन वादियों में लौटेगा? पर बच्चों, यहां दुश्मनों को गोलीबारी का ज्यादा असर नहीं होता क्यूंकि यहां से सरहद दुरी पर है।" कर्नल साहब ने डॉ. खान से कहा, "डॉक्टर साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया। पर हमें हिंदुस्तानी सेना बड़ी शिद्दत से खोज रही होगी। हमें चाहिए की हम फ़ौरन हमारी सेना को इत्तला करदें की हम यहां है ताकि वह हमें यहां से ले जाने की व्यवस्था करें।"
डॉ. खान ने अपना सर हिलाते हुए कहा, "पिछले दो दिन से यहां दहशत गर्दों के कारण इंटरनेट और टेलीफोन सेवा ठप्प पड़ी हुई है। वैसे भी टेलीफोन मुश्किल से चलता है। पर हाँ अगर मेरी मुलाकात कोई हिंदुस्तानी फ़ौज के जवान से हुई तो मैं उसे बताऊंगा की आप लोग यहाँ रुके हुए हैं। आप अपना नाम और पता एक कागज़ में लिख कर मुझे दीजिये। जब तक सेना का बुलावा नहीं आता, आप निश्चिन्त यहाँ विश्राम कीजिये। तब तक इन जनाब का घाव भी कुछ ठीक होगा। आपके खाने पिने का सारा इंतजाम यहां है।"
जीतूजी इस भले आदमी को आभार से देखते रहे। उन्होंने अपना, अपर्णा का और रोहित का नाम एक कागज़ पर लिख कर दे दिया। फिर डॉ. खान ने अपर्णा को सही कपडे भी ला दिए और सब के नाश्ते का सामान दे कर वह ऊपर नमाज पढ़ने चले गए। सुबह के करीब दस बज रहे थे। जीतूजी ने अपर्णा की और देखा। वह डॉ. खान की बड़ी लड़की के दिए हुए ड्रेस में कुछ खिली खिली सी लग रही थी। दरवाजा बंद होते ही अपर्णा जीतूजी की गोदमें आ बैठी और जीतूजी की चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ कर अपने पति की और इशारा कर के बोली, "मेरे राजा, यह क्या होगया? रोहित की मानसिक हालत ठीक नहीं लग रही। अब बताओ हम क्या करें?" जीतू जी ने अपर्णा को अपनी बाँहों में भर कर कहा, "जानेमन, पहले तो हम इन्हें उठायें और कुछ् खाना खिलाएं। टेबल पर गरमागरम खाने की खुशबु आ रही है और मैं भूखा हूँ। " अपर्णा ने मजाक में हंसकर कहा, "जीतूजी आप तो हरबार भूखे ही होते हो।" जीतूजी ने फिर अपर्णा को अपनी बाँहिं में भरकर उसे चूमते हुए कहा, तुम्हारे लिए तो मैं हरदम भूखा होता हूँ। पर मैं अभी खाने की बात कर रहा हूँ।" अपर्णा ने अपने पति की और इशारा करते हुए कहा, "इनका क्या करें?" जीतूजी ने कहा, "रोहित बहुत ज्यादा थके हुए हैं। वह ना सिर्फ शारीरिक घावसे परेशान है, बल्कि उनके मन पर काफी गहरा घाव है। लगता है, उस विदेशी लड़की से उनका लगाव कुछ ज्यादा ही करीब का हो गया था। देखो यह थोड़ी गंभीर बात है पर मुझे लगता है एक ही रात में उस लड़की से रोहित का शारीरिक सम्बन्ध भी हुआ लगता है।" अपर्णा थोडा कटाक्ष करते हुए थोड़ा टेढ़ा मुंह कर बोली, "जीतूजी साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते की मेरे पति किसी अनजान औरत को चोद कर आए हैं?"
जीतूजी ने बड़ी गंभीरता से रोहित की और देखते हुए कहा, "अपर्णा, चुदाई को इतने हलके में मत लो। यह प्यार का अपमान है। चुदाई दो तरह की होती है। एक तो कहते हैं ना, "मारा धक्का, माल निकाला, तुम कौन और हम कौन?" यह एक रीती है। भरी जवानी के पुर जोश में कई बार कुछ लोग ऐसे चुदाई करते हैं। ख़ास कर आजकल कॉलेज में कुछ सिर्फ चंद युवा युवती। पर तुम्हारे पति ऐसे नहीं। मैं जानता हूँ की आज तक वह कितनी लड़कियों को चोद चुके हैं। पर अब वह बदल गए हैं।
डॉ. खान ने अपना सर हिलाते हुए कहा, "पिछले दो दिन से यहां दहशत गर्दों के कारण इंटरनेट और टेलीफोन सेवा ठप्प पड़ी हुई है। वैसे भी टेलीफोन मुश्किल से चलता है। पर हाँ अगर मेरी मुलाकात कोई हिंदुस्तानी फ़ौज के जवान से हुई तो मैं उसे बताऊंगा की आप लोग यहाँ रुके हुए हैं। आप अपना नाम और पता एक कागज़ में लिख कर मुझे दीजिये। जब तक सेना का बुलावा नहीं आता, आप निश्चिन्त यहाँ विश्राम कीजिये। तब तक इन जनाब का घाव भी कुछ ठीक होगा। आपके खाने पिने का सारा इंतजाम यहां है।"
जीतूजी इस भले आदमी को आभार से देखते रहे। उन्होंने अपना, अपर्णा का और रोहित का नाम एक कागज़ पर लिख कर दे दिया। फिर डॉ. खान ने अपर्णा को सही कपडे भी ला दिए और सब के नाश्ते का सामान दे कर वह ऊपर नमाज पढ़ने चले गए। सुबह के करीब दस बज रहे थे। जीतूजी ने अपर्णा की और देखा। वह डॉ. खान की बड़ी लड़की के दिए हुए ड्रेस में कुछ खिली खिली सी लग रही थी। दरवाजा बंद होते ही अपर्णा जीतूजी की गोदमें आ बैठी और जीतूजी की चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ कर अपने पति की और इशारा कर के बोली, "मेरे राजा, यह क्या होगया? रोहित की मानसिक हालत ठीक नहीं लग रही। अब बताओ हम क्या करें?" जीतू जी ने अपर्णा को अपनी बाँहों में भर कर कहा, "जानेमन, पहले तो हम इन्हें उठायें और कुछ् खाना खिलाएं। टेबल पर गरमागरम खाने की खुशबु आ रही है और मैं भूखा हूँ। " अपर्णा ने मजाक में हंसकर कहा, "जीतूजी आप तो हरबार भूखे ही होते हो।" जीतूजी ने फिर अपर्णा को अपनी बाँहिं में भरकर उसे चूमते हुए कहा, तुम्हारे लिए तो मैं हरदम भूखा होता हूँ। पर मैं अभी खाने की बात कर रहा हूँ।" अपर्णा ने अपने पति की और इशारा करते हुए कहा, "इनका क्या करें?" जीतूजी ने कहा, "रोहित बहुत ज्यादा थके हुए हैं। वह ना सिर्फ शारीरिक घावसे परेशान है, बल्कि उनके मन पर काफी गहरा घाव है। लगता है, उस विदेशी लड़की से उनका लगाव कुछ ज्यादा ही करीब का हो गया था। देखो यह थोड़ी गंभीर बात है पर मुझे लगता है एक ही रात में उस लड़की से रोहित का शारीरिक सम्बन्ध भी हुआ लगता है।" अपर्णा थोडा कटाक्ष करते हुए थोड़ा टेढ़ा मुंह कर बोली, "जीतूजी साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते की मेरे पति किसी अनजान औरत को चोद कर आए हैं?"
जीतूजी ने बड़ी गंभीरता से रोहित की और देखते हुए कहा, "अपर्णा, चुदाई को इतने हलके में मत लो। यह प्यार का अपमान है। चुदाई दो तरह की होती है। एक तो कहते हैं ना, "मारा धक्का, माल निकाला, तुम कौन और हम कौन?" यह एक रीती है। भरी जवानी के पुर जोश में कई बार कुछ लोग ऐसे चुदाई करते हैं। ख़ास कर आजकल कॉलेज में कुछ सिर्फ चंद युवा युवती। पर तुम्हारे पति ऐसे नहीं। मैं जानता हूँ की आज तक वह कितनी लड़कियों को चोद चुके हैं। पर अब वह बदल गए हैं।