26-12-2019, 05:31 PM
रोहित ने कहा, "जीतूजी, मैंने आज तक मेरी जिंदगी में पटाखा फोड़ने वाली बन्दुक भी नहीं चलायीथी। पर आज रातको नासिर्फ मैंने आपका असली फौजी रूप देखा जिसमें आपने एक हट्टेकट्टे आदमी को गोली से भून दिया पर मैंने अपने हाथों से दुश्मन के एक फौजी को एक कटार से मौत के घाट भी उतार दिया। उतना ही नहीं, कुछ ही देर के बाद मैंने एक आतंकवादी को भी मेरी बन्दुक से मार गिराया। मेरे सामने मैंने मेरी ही करीबी महिला साथीदार को दुश्मन की गोलियों से छलनी होते हुए देखा। रोहित की बात सुन जीतूजी और अपर्णा दोंनो चकमें में आ गए। रोहित की महिला साथीदार? वह कौन थी? जीतूजी और अपर्णा पहले रोहित की और फिर एक दूसरे की और प्रश्नात्मक नजर से देखने लगे।
रोहित ने बताया की कैसे वह उस रात को जीतू जी से अलग होने के बाद अँधेरे में चलते चलते नदी किनारे एक गॉंव से कुछ दूर पहुंचे और वहाँ उन्होंने कुछ बन्दुक की फायरिंग की आवाज सुनी। उसके बाद उन्होंने अपनी सारी कहानी बताई जिसमें की उन्होंने एक दुशमन के मुल्क की लड़की की जान कैसे बचाई और काफी रात तक गुफा में छुपे रहने के बाद जब उस लड़की ने उनसे वादा किया की वह उन्हें सरहद पार करा देगी तब वह दोनों छुपते छुपाते गुफा से बाहर निकले। अचानक ही दुश्मन की और से आये हुए दहशतखोरों ने जब उन्हें देखा तो गोलियां दागनी शुरू कर दीं। रोहित जी ने भी जवाबी कारवाई करते हुए अपनी बन्दुक से एक आतंक वादी को ठार मार दिया, पर उस फायरिंग में उस लड़की जिसका नाम आयेशा था उसे गोली लगी। वह लड़की ने मरते हुए भी रोहित को डॉक्टर के घर का रास्ता बताया जहां रोहित को सुरक्षा मिलेगी और घाव का इलाज भी होगा।
रोहित थकान से चूर हो गए थे। उनमें बोलने की भी ताकत नहीं थी। उन्होंने देखा की उनकी पत्नी अपर्णा जीतूजी के बिस्तर में नंगी सोई हुई थी। उन्हें समझने में देर नहीं लगी की क्या हुआ होगा। आखिर वह जो चाहते थे वह हुआ। पर उनमें हिम्मत नहीं थी की वह कुछ बोले। उन्होंने हड़बड़ाहट में कपडे पहने हुए जीतूजी को देखा और चद्दर में लिपटी हुई अपनी पत्नी अपर्णा को भी देखा। पर आगे कुछ बोले उसके पहले वह बिस्तर पर ढेर हो कर गिर पड़े और फ़ौरन खर्राटे मारने लगे।
अपर्णा और जीतूजी एक दूसरे की और देखने लगे। अपर्णा ने तुरंत आपने पति के पाँव से गीले जूते निकाले। फिर उनका शर्ट और पतलून भी निकाला। रोहित के सारे कपडे ना सिर्फ भीगे हुए थे पर खून के लाल धब्बों से रंगे हुए और गंदे थे। अपर्णा ने अपने पति के सारे कपडे एक के बाद एक निकाले और गरम पानी से कपड़ा भिगो कर अपने पति के पुरे शरीर को स्पंज किया। इस दरम्यान रोहित गहरी नींद में सोये हुए ही थे। अपर्णा ने उन्हें पूरी तरह प्यार से निर्वस्त्र कर दिया और अपर्णा और जीतूजी ने बिस्तर में ठीक तरह से सुला कर और ऊपर से कम्बल बगैरह ओढ़ा दिया।
रोहित को आराम से बिस्तरे में सुलाकर जीतूजी फारिग हुए ही थे की डॉ. खान की आवाज उनको दरवाजे के बाहर से सुनाई दी।
डॉ. खान कह रहे थे, "कर्नल साहब, आज वैसे ही जुम्मा है। शफाखाना आज बंद है। आप आज के पुरे दिन और रात को आराम करो, दुपहर को और शामको मैं आप तीनों के लिए खाना लेकर आऊंगा। आप कल सुबह तक यहां ही रुकिए। आप तीनों ही थके हुए हैं। मैं एक गद्दा और भिजवा देता हूँ।
रोहित ने बताया की कैसे वह उस रात को जीतू जी से अलग होने के बाद अँधेरे में चलते चलते नदी किनारे एक गॉंव से कुछ दूर पहुंचे और वहाँ उन्होंने कुछ बन्दुक की फायरिंग की आवाज सुनी। उसके बाद उन्होंने अपनी सारी कहानी बताई जिसमें की उन्होंने एक दुशमन के मुल्क की लड़की की जान कैसे बचाई और काफी रात तक गुफा में छुपे रहने के बाद जब उस लड़की ने उनसे वादा किया की वह उन्हें सरहद पार करा देगी तब वह दोनों छुपते छुपाते गुफा से बाहर निकले। अचानक ही दुश्मन की और से आये हुए दहशतखोरों ने जब उन्हें देखा तो गोलियां दागनी शुरू कर दीं। रोहित जी ने भी जवाबी कारवाई करते हुए अपनी बन्दुक से एक आतंक वादी को ठार मार दिया, पर उस फायरिंग में उस लड़की जिसका नाम आयेशा था उसे गोली लगी। वह लड़की ने मरते हुए भी रोहित को डॉक्टर के घर का रास्ता बताया जहां रोहित को सुरक्षा मिलेगी और घाव का इलाज भी होगा।
रोहित थकान से चूर हो गए थे। उनमें बोलने की भी ताकत नहीं थी। उन्होंने देखा की उनकी पत्नी अपर्णा जीतूजी के बिस्तर में नंगी सोई हुई थी। उन्हें समझने में देर नहीं लगी की क्या हुआ होगा। आखिर वह जो चाहते थे वह हुआ। पर उनमें हिम्मत नहीं थी की वह कुछ बोले। उन्होंने हड़बड़ाहट में कपडे पहने हुए जीतूजी को देखा और चद्दर में लिपटी हुई अपनी पत्नी अपर्णा को भी देखा। पर आगे कुछ बोले उसके पहले वह बिस्तर पर ढेर हो कर गिर पड़े और फ़ौरन खर्राटे मारने लगे।
अपर्णा और जीतूजी एक दूसरे की और देखने लगे। अपर्णा ने तुरंत आपने पति के पाँव से गीले जूते निकाले। फिर उनका शर्ट और पतलून भी निकाला। रोहित के सारे कपडे ना सिर्फ भीगे हुए थे पर खून के लाल धब्बों से रंगे हुए और गंदे थे। अपर्णा ने अपने पति के सारे कपडे एक के बाद एक निकाले और गरम पानी से कपड़ा भिगो कर अपने पति के पुरे शरीर को स्पंज किया। इस दरम्यान रोहित गहरी नींद में सोये हुए ही थे। अपर्णा ने उन्हें पूरी तरह प्यार से निर्वस्त्र कर दिया और अपर्णा और जीतूजी ने बिस्तर में ठीक तरह से सुला कर और ऊपर से कम्बल बगैरह ओढ़ा दिया।
रोहित को आराम से बिस्तरे में सुलाकर जीतूजी फारिग हुए ही थे की डॉ. खान की आवाज उनको दरवाजे के बाहर से सुनाई दी।
डॉ. खान कह रहे थे, "कर्नल साहब, आज वैसे ही जुम्मा है। शफाखाना आज बंद है। आप आज के पुरे दिन और रात को आराम करो, दुपहर को और शामको मैं आप तीनों के लिए खाना लेकर आऊंगा। आप कल सुबह तक यहां ही रुकिए। आप तीनों ही थके हुए हैं। मैं एक गद्दा और भिजवा देता हूँ।