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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
रोहित की बाँह का घाव अब दर्द देने लगा था। वह थके हुए थे और उनको ऐसा लग रहा था की कहीं वह पानी में बेहोश ना हो जाएँ। जैसे तैसे हाथ पाँव मारते हुए वह निचे की और तेजी से पानी में बह रहे थे। जिस दिशा में वह जा रहे थे उन्होंने अंदाज लगाया की वह हिन्दुस्तानी सरहद में दाखिल हो चुके हैं। गोलियों की फायरिंग भी बंद हो चुकी थी। रोहित ने अपना सर पानी से बाहर निकाला और देखा की कुछ दूर में वह कुटिया नजर रही थी। रोहित तैरते हुए नदी के किनारे गए। उनके बाँहों में सख्त दर्द हो रहा था। उनको ट्रीटमेंट की जरुरत थी। वह लुढ़कते हुए पानी के बाहर निकले। पर बाहर निकल कर थोड़ा चलने पर ही ढेर होकर गिर पड़े। थोड़ी देर बाद जब वह होश में आये तो पाया की वह तो वहीं नदी के किनारे लेटे हुए थे और कुछ मछवारे उनको ऊपर से देख रहे थे। उनमें से एक मछवारे ने उन्हें हाथ का सहारा देकर उठाया। उस मछवारेने रोहित से कहा, "तुम्हारे घाव से खून निकल रहा है। इस तरफ डॉ. खान का शफाखाना है। वहाँ जाइये और अपना इलाज कराइये। इंशाअल्लाह ठीक हो जाएगा।"

रोहित वहाँ से लड़खड़ाते लुढ़कते हुए डॉ. खान के शफाखाने पर पहुंचे और वहाँ पहुँचते ही उन्होंने दरवाजे की घंटी बजाई। उनके पाँव से जमीन जैसे खिसक गयी जब जीतूजी ने डॉ. खान के शफाखाने का दरवाजा खोला।

***"*

रोहित का हाल देख कर जीतूजी बड़े ही आश्चर्य और आघात से रोहित को देखने लगे। रोहित जी के सारे कपडे एकदम भीगे हुए पर खून के लाल धब्बों से पूरी तरह रंगे हुएथे। उनकी एक बांह से खून निकल रहा था। जीतूजी ने फ़ौरन रोहित को अंदर बुला लिया और दरवाजा बंद करते बुए पूछा, "क्या हुआ रोहित जी? यह क्या है...?" इससे पहले की जीतूजी अपनी बात पूरी करे, रोहित जीतूजी से लिपट गए और फफक फफक कर रोपड़े। उनकी आँखों से आंसूं रुकने का नाम ही नाहीं ले रहे थे। जीतू जी ने उनको अपना कमीज निकाल ने के लिए कहा। यह सब आवाजें सुनकर बिस्तरे पर नंगी सो रही अपर्णा जाग गयी और चद्दर को बदन पर लपेटे बिस्तरे में बैठ गयी। उसने अपने पति का खून में लथपथ हाल देखा तो अपर्णा की तो जान ही निकल गयी।

अपर्णा को होश ही नहीं रहा की उसने बदन पर कोई भी कपड़ा नहीं पहना था। जब अपर्णा बिस्तर से उठ खड़ी हुई तब उसे अपनी नग्न हालात का अंदाजा लगा। फ़ौरन उसने बिस्तर से ही चद्दर उठाई, अपने आपको ढका और भागती हुई आकर जार जार रोते हुए अपने पति से लिपट गयी। रोहित की आँखों से आंसूं की गंगा जमुना बह रही थी। जीतूजी ने उनको गले लगा कर रोहित को काफी सांत्वना देनेका प्रयास किया। अपर्णा और जीतूजी ने पूछा की क्या रोहित को कहीं घाव है? तब रोहित जी ने अपने कमीज की आस्तीन उठाकर बाँह पर लगे हुए घाव को दिखाया। जीतूजी भाग कर डॉ. खान की एक अलमारी में रखे हुए घाव पर पट्टी बगैरह लगाने वाले सामान को उठा लाये और उन्होंने और अपर्णा ने उनकी मरहम पट्टी की। अपर्णा भी अपने पति से गले लग कर उनको ढाढस देने की कोशिश करने लगे। कुछ समय बीतने पर जब रोहित कुछ शांत हुए तो उन्होंने अपनी कहानी जीतूजी और अपर्णा को बतानी शुरू की।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:29 PM



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