26-12-2019, 05:27 PM
पत्नी की अदला-बदली - 09
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आयेशा ने रोहित का हाथ पकड़ा और साथ में अपनी अपनी बन्दूक सम्हाले दोनों चल पड़े। चलते हुए रास्ता दिखाते आयेशा ने रोहित जी का हाथ पकड़ा और बोली, "ओ परदेसी! आज तुझसे प्यार कर के तूने मुझे सही मायने में एक औरत होने का एहसास दिलाया। एक औरत जब अपने मन पसंद मर्द से चुदवाती है ना, तो वह समझती है की उसका जीवन आबाद हो रहा है। यह तुम मर्द लोग नहीं समझ सकते। एक औरत जब मर्द से चुदवाती है, तो यह मत समझो की वह सिर्फ अपने बदन का एक हिस्सा मर्द से मिलाती है l औरत मर्द को ना सिर्फ अपनी चूत, बल्कि सब कुछ दे देती है। हालांकि मैं मर्द नहीं हूँ पर जो मैंने मर्दों को समझा है उस की बुनियाद पर मैं कह रही हूँ की मर्द को चुदाई के समय औरत की चूत और अपने लण्ड के अलावा कुछ दिखता नहीं है। उन्हें औरत के जज्बात से कोई मतलब नहीं होता l तुम उन मर्दोंमें से नहीं हो। तुमने मेरे लिए अपनी जानको खतरेमें डाल कर और वह बेईमान फौजी के बिलकुल करीब जाकर अपने हाथों से उसका काम तमाम किया। तुमने मेरे जज्बातों की इज्जत की। मैं तुम्हारी उम्रभर की शुक्र गुजार हूँ। जैसा की मैंने कहा था अगर मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बन पायी तो यह मेरे लिए यह बड़े फक्रकी बात होगी, चाहे मुझे इसके लिए हमारे समाज से कितनी ही जिल्लत क्यों ना उठानी पड़े।"
रोहित ने आयेशा की गंवार भाषा में भी एक सच्चा प्यार देखा तो वह गदगद हो उठे। उन्होंने आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और दोनों एक प्यार भरे गहरे चुम्बन में जुट गए। अँधेरा छटने वाला था। समय कम बचा था। सूरज निकलते ही पकडे जाने का डर था। आयेशा उस क्षेत्रको भली भाँती जानती थी। उसने एक शार्ट कट जो पहाड़ी के रास्ते से जाता था उस से हिन्दुस्तान की सरहद में घुसने का फैसला किया। रोहित जी और आयेशा दोनों पहाड़ों की चट्टानों के पीछे अपने को छुपाते हुए जब ऊंचाई पर पहुंचे तो जमीन पर रेंगते हुए धीमी गति से आगे बढ़ रहे थे, ताकि दुश्मनों की नजर में ना आएं। आयेशा को यह लग रहा था की उसे परदेसी से अलग होना पडेगा। इसलिए वह थोड़ी इमोशनल हो रही थी और मौक़ा मिलने पर रोहित के हाथ को ले कर चूमने लगती थी। जब वह दोनों पहाड़ी के ऊपर पहुंचे, तब आयेशा ने रोहित को मुस्कुराते हुए देखा और कहा, "देखो परदेसी, वह जो कुटिया दिख रही है, वह हिन्दुस्तान की सरहद में है।"
वह दोनों को निकले हुए करीब एक घंटा हुआ होगा की अचानक उनके ऊपर फायरिंग शुरू हो गयी। फायरिंग दुश्मनों की दिशा से आ रही थी। लगता था जैसे गोली बारी उनको निशाने में रख कर नहीं चलायी जा रही थी। क्यूंकि गोली बड़ी दूर से आ रही थी और अंधाधुंध फायरिंग हो रही थी। शायद दुश्मन की सेना हिन्दुस्तान की सरहद के अंदर कुछ आतंकियों को भेज रही थी और उनको कवर करने के लिए गोलियां चलाई जा रहीं थीं। आयेशा इतनी भयानक फायरिंग से घबरा कर रोहित की बाँहों में आगयी थी। रोहित की समझ में नहीं आ रहा था की फायरिंग कहाँ से आ रही थी। तभी उन्होंने एक आतंकवादी को कुछ दुरी पर देखा। आतंक वादी वहाँ छुपने की कोशिश कर रहा था। लगता था की उसके पास भारी बारूद और मशीनगन थी। रोहितने बिना कुछ सोचे समझे, इससे पहले की वह उनको मार दे अपनी बन्दुक उठाई और निशाना लगा कर गोली छोड़ी। रोहित को बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह आतंकवादी एकदम झुककर गिर पड़ा और तड़फड़ाने लगा। उनकी गोली ठीक निशाने पर लगी थी। जिंदगी में रोहित ने पहेली ही गोली चलाई थी और ना सिर्फ वह ठीक निशाने पर लगी पर उनकी गोलीसे एक आतंकवादी कोभी उन्होंने मार गिराया।
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आयेशा ने रोहित का हाथ पकड़ा और साथ में अपनी अपनी बन्दूक सम्हाले दोनों चल पड़े। चलते हुए रास्ता दिखाते आयेशा ने रोहित जी का हाथ पकड़ा और बोली, "ओ परदेसी! आज तुझसे प्यार कर के तूने मुझे सही मायने में एक औरत होने का एहसास दिलाया। एक औरत जब अपने मन पसंद मर्द से चुदवाती है ना, तो वह समझती है की उसका जीवन आबाद हो रहा है। यह तुम मर्द लोग नहीं समझ सकते। एक औरत जब मर्द से चुदवाती है, तो यह मत समझो की वह सिर्फ अपने बदन का एक हिस्सा मर्द से मिलाती है l औरत मर्द को ना सिर्फ अपनी चूत, बल्कि सब कुछ दे देती है। हालांकि मैं मर्द नहीं हूँ पर जो मैंने मर्दों को समझा है उस की बुनियाद पर मैं कह रही हूँ की मर्द को चुदाई के समय औरत की चूत और अपने लण्ड के अलावा कुछ दिखता नहीं है। उन्हें औरत के जज्बात से कोई मतलब नहीं होता l तुम उन मर्दोंमें से नहीं हो। तुमने मेरे लिए अपनी जानको खतरेमें डाल कर और वह बेईमान फौजी के बिलकुल करीब जाकर अपने हाथों से उसका काम तमाम किया। तुमने मेरे जज्बातों की इज्जत की। मैं तुम्हारी उम्रभर की शुक्र गुजार हूँ। जैसा की मैंने कहा था अगर मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बन पायी तो यह मेरे लिए यह बड़े फक्रकी बात होगी, चाहे मुझे इसके लिए हमारे समाज से कितनी ही जिल्लत क्यों ना उठानी पड़े।"
रोहित ने आयेशा की गंवार भाषा में भी एक सच्चा प्यार देखा तो वह गदगद हो उठे। उन्होंने आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और दोनों एक प्यार भरे गहरे चुम्बन में जुट गए। अँधेरा छटने वाला था। समय कम बचा था। सूरज निकलते ही पकडे जाने का डर था। आयेशा उस क्षेत्रको भली भाँती जानती थी। उसने एक शार्ट कट जो पहाड़ी के रास्ते से जाता था उस से हिन्दुस्तान की सरहद में घुसने का फैसला किया। रोहित जी और आयेशा दोनों पहाड़ों की चट्टानों के पीछे अपने को छुपाते हुए जब ऊंचाई पर पहुंचे तो जमीन पर रेंगते हुए धीमी गति से आगे बढ़ रहे थे, ताकि दुश्मनों की नजर में ना आएं। आयेशा को यह लग रहा था की उसे परदेसी से अलग होना पडेगा। इसलिए वह थोड़ी इमोशनल हो रही थी और मौक़ा मिलने पर रोहित के हाथ को ले कर चूमने लगती थी। जब वह दोनों पहाड़ी के ऊपर पहुंचे, तब आयेशा ने रोहित को मुस्कुराते हुए देखा और कहा, "देखो परदेसी, वह जो कुटिया दिख रही है, वह हिन्दुस्तान की सरहद में है।"
वह दोनों को निकले हुए करीब एक घंटा हुआ होगा की अचानक उनके ऊपर फायरिंग शुरू हो गयी। फायरिंग दुश्मनों की दिशा से आ रही थी। लगता था जैसे गोली बारी उनको निशाने में रख कर नहीं चलायी जा रही थी। क्यूंकि गोली बड़ी दूर से आ रही थी और अंधाधुंध फायरिंग हो रही थी। शायद दुश्मन की सेना हिन्दुस्तान की सरहद के अंदर कुछ आतंकियों को भेज रही थी और उनको कवर करने के लिए गोलियां चलाई जा रहीं थीं। आयेशा इतनी भयानक फायरिंग से घबरा कर रोहित की बाँहों में आगयी थी। रोहित की समझ में नहीं आ रहा था की फायरिंग कहाँ से आ रही थी। तभी उन्होंने एक आतंकवादी को कुछ दुरी पर देखा। आतंक वादी वहाँ छुपने की कोशिश कर रहा था। लगता था की उसके पास भारी बारूद और मशीनगन थी। रोहितने बिना कुछ सोचे समझे, इससे पहले की वह उनको मार दे अपनी बन्दुक उठाई और निशाना लगा कर गोली छोड़ी। रोहित को बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह आतंकवादी एकदम झुककर गिर पड़ा और तड़फड़ाने लगा। उनकी गोली ठीक निशाने पर लगी थी। जिंदगी में रोहित ने पहेली ही गोली चलाई थी और ना सिर्फ वह ठीक निशाने पर लगी पर उनकी गोलीसे एक आतंकवादी कोभी उन्होंने मार गिराया।