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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
पर जीतू जी की तेज रफ़्तार से चुदाई करते देख कर और उसकी चूत में जीतूजी के लण्ड की जो मोटाई और लम्बाई तब भी बरकरार थी उसे महसूस कर के अपर्णा को यकीन हो गया की जीतूजी ने अपना वीर्य नहीं छोड़ा था और जो चिकनाहट वह देख रही थी वह जीतूजी के लण्ड में से निकला हुआ पूर्व स्राव ही था। अपनी चुदाई का साक्षात दृश्य देख कर और जीतूजी का मोटा चिकनाहट से लथपथ लण्ड अपनी फूली हुई चूत के अंदर बाहर निकलते हुए देख कर अपर्णा की उत्तेजना और बढ़ने लगी। उसका स्त्रीत्व और उसका मन का उत्कट भाव उसकी चूत की झनझनाहट को ऐसे छेड़ रहा था जैसे कोई सितार बजाने वाला सितार के तारों को अपनी उँगलियों से झनझ-नाहट करता हुआ छेड़ रहा हो।

जैसे जैसे अपर्णा अपनी चुदाई देखती गयी वैसे वैसे और ज्यादा रोमांचित होती गयी। अपर्णा की चूत में उसका स्त्री रस फव्वारे सा बहने लगा। अपर्णा एक बार फिर अपने चरम पर पहुँचने वाली थी। जीतूजी का लण्ड उसकी चूत पर कहर ढा रहा था। इतनी थकान और कम नींद के बावजूद जीतूजी का लंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था। एक बार फिर अपर्णा ने जीतूजी की कलाई सख्ती से पकड़ी और "आह्ह्ह्हह्ह... अरे... ऑफ़... जीतूजी आपका लण्ड कमाल कर रहा है। मेरा छूट रहा है। पर आप रुकिएगा नहीं। प्लीज चोदिये, चोदते जाइये।" कह कर अपर्णा फिर ढेर सी गिर पड़ी। उसका बदन एकदल ढीला पड़ गया था। वह चुदाई की थकान से हांफने लगी थी। जीतूजी ने अपर्णा के मना करने पर भी अपने आपको रोका और अपनी प्रियतमा को साँस लेने और आराम का मौक़ा दिया। घंटों की थकान और नींद की कमी के कारण अपर्णा और जीतूजी दोनों थके हुए तो थे। पर कुछ घंटों के आराम बाद हालांकि उनकी थकाहट पूरी तरह खत्म तो नहीं हुई थी, फिर भी उनमें इतनी ऊर्जा का संचार चुका था की वह दोनों और ख़ास कर अपर्णा जीतूजी के तगड़े लण्ड को और अपनी प्यासी चूत को ज़रा भी आराम करने देना नहीं चाहती थी। दोनों को एक दूसरे से पहली मुलाक़ात के महीनों के बाद पहली बार ऐसा मौक़ा मिला था जब उनकी महीनों की चाहत पूरी होने जा रही थी। आराम करने का मौक़ा तो आगे चलकर खूब मिलेगा पर क्या पता ऐसे एक दूसरे के नंग्न बदन को इतने प्यार से लिपटने का और एक दूसरे के बदन को इतने एक दूसरे में मिलाने का मौक़ा नाजाने फिर कब मिले? और अगर मिलेगा भी तो इन वादियों और ऐसे खुशनुमा नज़ारे में तो शायद ही मिले। यह सोच कर दोनों प्रेमी एक दूसरे के बदन को छोड़ना ही नहीं चाहते थे। भगवान् ने भी क्या दुनिया बनायी है? जब आप एक दूसरे को इतना चाहते हो तो एक पुरुष और एक स्त्री अपने प्यार का इजहार कैसे करे? भगवान् ने सेक्स याने चुदाई का एक जरिया ऐसा दिया जिससे वह दोनों एक दूसरे के अंदरूनी उत्कट प्यार को अपने शरीर की जुबान से चुदाई द्वारा प्रकट कर सकते हैं।

समाज ने ऐसे प्यार भरी चुदाई पर कई अलग अलग तरह के बंधन और नियम लाद दिए हैं। पर जब प्यार एक हद को पार कर जाता है तो वह इन नियमों और बंधनों को नहीं मानता और दो बदन सारे वस्त्रों के आवरण को छोड़ कर एक दूसरे के बदन की कमी पूरी करने के लिए एक दूसरे के बदन को अंदर तक मिलाकर (एक दूसरे को चोद कर) इस कमी को पूरी करने की कोशिश करते हैं। और उसे ही प्यार भरा मैथुन कहते हैं। जीतूजी और अपर्णा उस रात ऐसा ही प्यार भरा मैथुन का आनंद ले रहे थे। जीतूजी जानते थे की उनके पास अमर्यादित समय नहीं था। इलाका खतरों से खाली नहीं था। हालांकि वह हिन्दुस्तानी सरहद में चुके थे फिर भी सरहद के दूसरी और से दुश्मन की फ़ौज कई बार बिना कारण गोली बारी करती रहती थी। उस समय कई अन-जान नागरिक उन गोलियों का शिकार भी हो जाते थे। कई जगह सरहद अच्छी तरह पक्की और सुरक्षित नहीं थी। वहाँ से दहशत गर्द अक्सर घुस आते थे और कहर फैला कर वापस अपनी सरहद में लौट जाते थे। उन्हें दुश्मनों और हिन्दुस्तानी फ़ौज के क्रॉस फायर से भी बचना था और अपने कैंप में पहुँचना था। कभी भी कोई दुशमन या हिंदुस्तानी फ़ौज का सिपाही भी छानबीन के लिये दरवाजे पर दस्तक दे सकता था। उस समय तक उनको तैयार हो जाना था। पर अपर्णा और उनपर प्यार का बहुत सवार था और ख़ास कर अपर्णा जीतूजी को आसानी से छोड़ने वाली नहीं थी। उसे महीनों से ना हो सकी उस चुदाई की सूद समेत वसूली जो करनी थी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:22 PM



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