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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अपर्णा ने जीतूजी को चूमते हुए कहा "मेरे राजा, आज हम और कोई बात नहीं करेंगे। हम ने बहुत बातें की, बहुत प्यार भरी हरकतें की, पर चुदाई का मौका तो अब मिला है। जीतूजी आप को पता नहीं, मैं इस लम्हे के लिए कितनी बेबस थी। आप शायद नहीं समझ पाएंगे एक स्त्री की भावनाओं को। हम औरतों की चूत हमारी आँखों के साथ साथ हमारे दिल से जुडी है। आप मर्दों का लण्ड सिर्फ आपकी आँखों से जुड़ा है। यही फर्क है मर्द और औरतों की सेक्स करने की उत्तेजना को भड़काने वाली चाभी में। आप मर्द लोग शायद सुन्दर औरत का कमसिन बदन देख कर उसे चोदने के लिए आमादा हो जाते हो। हम औरत लोग ज्यादातर मर्द के बदन से जरूर आकर्षित होते हैं, पर उससे भी ज्यादा हम मर्द के प्यार और हमारे लिए उसके मन में त्याग या निछावर होने की भावना से ज्यादा उत्तेजित होते हैं। पहली बार शायद हम जरूर आँखों की बात मानते हैं। पर आखिर में आँखों से भी ज्यादा हम दिल की बात मानते हैं। आप से तो मैं उसी दिन मानसिक रूप से चुदवाने के लिए तैयार हो गयी थी जब आप ने पहेली बार उस सिनेमा हॉल में अपना लण्ड मेरे हाथों में दे दिया था। मेरे पति के लण्ड को छोड़ आप का लण्ड मेरे लिए पहला मरदाना लण्ड था जिसे मैने अपने हाथों में लिया था। उसी समय मेरी चूत से मेरा पानी निकल ने लगा था। आपका लण्ड मेरे पति से कहीं भारी, मोटा और लंबा है। पता नहीं कितनी रातें मैंने आपके लण्ड को मेरी चूत में डलवाने के सपने देखते हुए गुजारी है। कितनी रातें मैंने अपने पति चुदवाते हुए भी यह समझ कर गुजारीं थीं की मैं मेरे पति से नहीं आपसे चुदवा रही हूँ। उसके बाद जब आपने मेरी पढ़ाई के लिए इतना ज्यादा बलिदान किया की मुझे अव्वल दर्जा दिला कर ही छोड़ा। इसके कारण मेरे मन में आपके लिए वह भाव उमड़ पड़ा जिसे मैं कह नहीं सकती। जब मैं उस झरने में आपके सामने आधी नंगी हाजिर हुई और आपका बदन जब मेरे बदन को छुआ तो मेरे धैर्य ने जवाब दे दिया। अगर उस दिन आपने मुझे रोका नहीं होता तो मैं माँ को दिया हुआ वचन तोड़कर भी आपसे चुदवाने के लिए बिलकुल तैयार थी। मैंने अपने आप पर नियत्रण बिलकुल खो दिया था। पर आपने अपना मरदाना धैर्य का ज्वलंत प्रदर्शन दिया और मुझे माँ का वचन तोड़ने से बचाया। पर अगर आपने मुझे उस दिन चोदा होता तो आपके लिए मेरे मन में आज जो भाव है वह शायद नहीं रहता। आखिर मैं आपने अपनी जान का लगभग बलिदान देकर मुझे बचाया तो माँ को दिया हुआ वचन भी पूरा हुआ और आपने मुझे बिना मोल खरीद भी लिया। अब सिर्फ मेरा यह बदन, मेरा स्त्रीत्व, मेरा प्यार यहां तक की मेरी जान भी आप पर न्योछावर है। आखिर में आज घर से कितनी दूर, कुदरत की इन वादियों के बिच नदिओं, पहाड़ और झरनों के सान्निध्य में आज आप से चुदवाने की मेरी मनोकामना पूरी करने का अवसर मुझे मिला है। आज तक आपके और मेरे इतनी उत्कटता से एक दूसरे को चोदने की गाढ़ इच्छा और अवसर मिलने के बावजूद भी माँ की आज्ञा के कारण मैं आपकी शय्या भागिनी नहीं बन सकी। आज मुझे अवसर मिला है की मैं अपने तन, मन और माँ की इच्छा पूरी करूँ और मेरे सारे अस्तित्व को आपको समर्पित करूँ।"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:20 PM



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