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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अपर्णा को जीतूजी का लण्ड अपनी चूतमें लेकर जो भाव होरहा था वह अवर्णीयथा। एक तो जीतू जी उसके गुरु और मार्ग दर्शक थे। उसके अलावा वह उसको बहुत चाहते थे। जीतूजी अपर्णा पर अपनी जान छिड़कते थे। यह तो साबित हो ही गया था। ऊपर से उनके मन में अपर्णा के लिए बड़ी सम्मान की भावना थी। जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में पहले कभी ना हुआ था ऐसा अनोखा प्यार भरा उन्माद पैदा कर रहाथा। इसके कारण अपर्णा की चूत में भी एक ऐसी फड़फ-ड़ाहट और कम्पन हो रहा था जिसे जीतूजी स्वयं भी अनुभव कर रहे थे। अपर्णा की चूत में इतना उन्माद हो रहा था की जीतूजी के हर एक धक्के से वह अपने आपको गदगद महसूस कर रही थी। अपर्णा के पुरे बदन में रोमांच की उत्कट लहर दौड़ जाती थी। अपर्णा ने जीतूजी का मुंह अपने स्तनों पर रखा और उन्हें स्तनोँ को चूमने और चूसने का आग्रह किया। वह रात अपर्णाकी सबसे ज्यादा यादगार रात थी। जीतूजी महसूस कर रहे थे की अपर्णा की चूत की दीवारें कभी एकदम उनके लण्ड को सिकुड़ कर जकड लेतीं तो कभी ढीला छोड़ देतीं। जैसे जैसे चूत सिकुड़कर जकड़ लेतीं तो जीतूजी के लण्ड और पुरे बदनमें अजीब सा रोमांच और उत्तेजक सिहरन फ़ैल जाती। अपर्णा चाहती थी की जीतूजी उसके पुरे बदन का आनंद उठायें। वह बार बार कभी जीतूजी के हाथ अपनी गाँड़ पर तो कभी अपने स्तनोँ पर तो कभी अपनी चूत पर रख कर जीतूजी को उसे सहलाने के लिए बाध्य करती। अपर्णा की चूत में फड़कन इतनी तेज हो रही थी की उसके लिए अब अपने आप पर नियत्रण रखना नामुमकिन सा हो रहा था। अपर्णा के नंगे बदन पर जीतूजी का हाथ फिराना ही अपर्णा को बेकाबू कर रहा था। अपर्णा को यकीनथा की उसकी बहुत बढ़िया अच्छीखासी चुदाई होने वाली थी और वह दर्द के डर के बावजूद भी अपने प्रियतम जीतूजी से ऐसी घमासान और भद्दी चुदाई के लिए बेकरार थी। पर जीतूजी के नंगे बदन का, उनके लण्ड का और उनकी मांसल बाँहों का स्पर्श मात्र से ही अपर्णा का अंग अंग फड़क उठा था। जब पहली बार जीतूजी के लण्ड ने अपर्णा की चूत में प्रवेश किया तो अपर्णा को ऐसा लगा जैसे वह मर ही गयी। उसके पुरे बदन में उन्माद और रोमांच की एक अजीब सी लहर दौड़ने लगी। उसे लगा की उसका पानी छूटने वाला ही था।

अगर जीतूजी को यह पता लग गया की अपर्णा अपना पानी छोड़ने वाली है तो शायद जीतूजी अपनी चोदनेकी रफ़्तार कमकरदें या कहीं अपना लण्ड बाहर ही ना निकाल लें इस डर से अपर्णा अपनी उंचाई पर पहुंचें के बावजूद अपने आप पर कण्ट्रोल कर रहीथी। पर जैसे जैसे जीतूजीने एक एक बाद एक धक्के मारने शुरू किया तो अपर्णा नियत्रण से बाहर हो गयी और जीतूजी की बाँहें अपने हाथों में जकड कर बोल पड़ी, "आहहह ... ओह्ह्ह... उफ्फ्फ..." जीतूजी प्लीज मुझे और जोरसे चोदिये, मेरा छूटने वाला है। पर आप मत रुकिए।" एक बड़ी हलकी सी "आह... की सिसकारी दे कर अपर्णा ढेर हो गयी। जीतूजी ने देखा की अपर्णा झड़ चुकी है तो वह अपना फुला हुआ लण्ड अपर्णा की चूत में से बाहर निकालने लगे। अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थाम कर उन्हें अपना लण्ड उसकी चूत में से बाहर निकाल ने से रोका। अपर्णा ने जीतूजी को चुदाई जारी रखने को कहा। पर जीतूजी ने कहा, "अपर्णा, तुम चिंता मत करो। मैं तैयार ही हूँ। मैं ढीला नहीं पड़ने वाला। तुम कुछ पल आराम करलो।"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:19 PM



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