26-12-2019, 05:15 PM
"मेरे परम प्रिय, मेरे पति के सामान मेरे सर्वस्व से चुदाई करवाके उनके जहनमें आनंद देकर मेरा जीवन आज धन्य हो गया।" ऐसे विचार बार बार अपर्णा के मन में आते रहे। अपने प्रियतम का लण्ड अपनी चूत में महसूस करके वह अपने आपको धन्य अनुभव कर रही थी। अपर्णा ने अपनी जिंदगी में पहले कभी ऐसा सोचा भी नहीं था की किसी पराये मर्द से चुदवा कर वह कभी इस तरह अपने आपको धन्य महसूस करेगी।
जीतूजी के लण्ड का एक एक धक्का दर्दके साथ अपर्णा को एक गजब आनंद का अनुभव करा रहा था। साथ साथ में जीतूजी के हाथों में अपने स्तनों को दबवा कर वह आनंद को कई गुना बढ़ा रही थी। अपर्णा को चोदने की ख्वाहिश दिल में लिए हुए जीतूजी पता नहीं शायद सदियों से अपर्णा की चूत के दर्शन चाहते रहे होंगे। शायद कई जन्मों से ही उनके मन में अपर्णा को चोदने कामना रही होगी। क्यूंकि उन्होंने इससे पहले किसी भी औरत को चोदने के बारे में इतनी उत्कटता और बेचैनी नहीं महसूस की थी। जब जब भी अपर्णा ने उन्हें चोदने से रोका तो उन्हें अपने दिल के कई हजार टुकड़े हो गए हों ऐसा लगता था। उनके जहन में इतनी जलन और बेरुखी होती थी जैसे उनके जीवन में कोई रस रहा ही नहीं हो। जब अपर्णाने सामने चलकर उन्हें चोदने के लिए आमंत्रित किया तो उन्हें लगा जैसे कोई अकल्पनीय घटना घट रही हो। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था की अपर्णा इस जनममें उनसे कभी चुदवायेगी। उन्होंने तो यह अपने मन से मान ही लिया था की शायद उन्हें अपर्णा को चोदने का मौक़ा अब अगले जनम में ही मिलेगा। इस लिए जीतूजी के लिए तो यह मौक़ा जैसे पुनर्जन्म जैसा था।
उनको यकीन ही नहीं हो रहा था की वाकई में यह सब हो रहा था। उन्हें यह सारी घटना एक सपने के सामान ही लग रही थी। और क्यों ना लगे भी? जिस तरह सारी घटनाएं एक के बाद एक हो रहीं थीं, ऐसा ज़रा भी लगता नहीं था की क्या सच था और क्या सपना? हर एक पल, हर एक लम्हा उत्तेजना और रोमांच के साथ साथ रहस्य से लबालब भरा हुआ था। अगले पल क्या होगा किसीको भी कल्पना नहीं थी। जब सो रहे थे तब सपना भी वास्तविक लगता था और जब जागते हुए कुछ होता था तो ऐसा लगता था जैसे सपना देख रहे हों। जीतूजी के लिए अपर्णा का उनसे चुदाई के लिए तैयार होना भी एक ऐसी ही घटना थी।
जीतूजी के लण्ड का एक एक धक्का दर्दके साथ अपर्णा को एक गजब आनंद का अनुभव करा रहा था। साथ साथ में जीतूजी के हाथों में अपने स्तनों को दबवा कर वह आनंद को कई गुना बढ़ा रही थी। अपर्णा को चोदने की ख्वाहिश दिल में लिए हुए जीतूजी पता नहीं शायद सदियों से अपर्णा की चूत के दर्शन चाहते रहे होंगे। शायद कई जन्मों से ही उनके मन में अपर्णा को चोदने कामना रही होगी। क्यूंकि उन्होंने इससे पहले किसी भी औरत को चोदने के बारे में इतनी उत्कटता और बेचैनी नहीं महसूस की थी। जब जब भी अपर्णा ने उन्हें चोदने से रोका तो उन्हें अपने दिल के कई हजार टुकड़े हो गए हों ऐसा लगता था। उनके जहन में इतनी जलन और बेरुखी होती थी जैसे उनके जीवन में कोई रस रहा ही नहीं हो। जब अपर्णाने सामने चलकर उन्हें चोदने के लिए आमंत्रित किया तो उन्हें लगा जैसे कोई अकल्पनीय घटना घट रही हो। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था की अपर्णा इस जनममें उनसे कभी चुदवायेगी। उन्होंने तो यह अपने मन से मान ही लिया था की शायद उन्हें अपर्णा को चोदने का मौक़ा अब अगले जनम में ही मिलेगा। इस लिए जीतूजी के लिए तो यह मौक़ा जैसे पुनर्जन्म जैसा था।
उनको यकीन ही नहीं हो रहा था की वाकई में यह सब हो रहा था। उन्हें यह सारी घटना एक सपने के सामान ही लग रही थी। और क्यों ना लगे भी? जिस तरह सारी घटनाएं एक के बाद एक हो रहीं थीं, ऐसा ज़रा भी लगता नहीं था की क्या सच था और क्या सपना? हर एक पल, हर एक लम्हा उत्तेजना और रोमांच के साथ साथ रहस्य से लबालब भरा हुआ था। अगले पल क्या होगा किसीको भी कल्पना नहीं थी। जब सो रहे थे तब सपना भी वास्तविक लगता था और जब जागते हुए कुछ होता था तो ऐसा लगता था जैसे सपना देख रहे हों। जीतूजी के लिए अपर्णा का उनसे चुदाई के लिए तैयार होना भी एक ऐसी ही घटना थी।