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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
जीतूजीने अपर्णाको अपनी बाँहोंमें लेते हुए कहा, "नहीं खोलूंगा, तुम निश्चिन्त रहो।" पर कालिया दरवाजे पर जोर से लात और घूंसे मार रहा था। देखते देखते कालियाने दरवाजा तोड़ दिया। दरवाजा तोड़ कर उसने लपक कर अपर्णा को जीतूजी के पास से छीन लिया और अपर्णा की साडी खिंच कर उसे निर्वस्त्र करने लगा। देखते ही देखते अपर्णा सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। कालिया ने बीभत्स हँसते हुए अपर्णा का ब्लाउज एक ही झटके में फाड़ डाला, उसकी ब्रा खिंच कर उसके स्ट्रैप्स तोड़ डाले और अपर्णा का पेटीकोट और पैंटीभी फाड़कर उसको नंगा कर दिया।


अचानक अपर्णा ने झुक कर कालिया के हाथ को अपने दांतों से काट दिया। दांत से चमड़े काटने पर कालिया दर्द से कराहने लगा। कालियाके हाथ से अपर्णा छूट गयी और वैसी ही नंगी हालत में वह जीतू जी की और भागी। जीतूजी ने नंगी अपर्णा को अपनी बाँहों में लिया और उसको अपनी जाँघों के बिच कस कर हड़प लिया। जीतू जी ने दूसरे हाथ से अपना पिस्तौल निकाला और उसका निशाना कालिया पर दाग कर उसे कई गोलियां मारीं। कालिया अपने खून में ही लथपथ होकर गिर पड़ा। जीतूजी ने पिस्तौल एक तरफ रख कर नंगी अपर्णा के बदन पर हाथ फेरते हुए उसे दिलासा देने लगे। अपर्णा की चिकनी चमड़ी पर जीतूजी की उँगलियाँ सैर करने लगीं। जीतू जी को पहली बार अपर्णा ने बेझिझक अपना बदन सौंपा था। जीतूजी की छाती से अपर्णा चिपकी हुई थी। अपर्णाकी मोटी और नंगी चूँचियाँ जीतूजी की चौड़ी छाती पर दबी हुई चारों और फील गयी थीं। जीतूजीका एक हाथ अपर्णा की पीठ पर ऊपर निचे हो रहा था। जीतूजी का हाथ जब अपर्णा की नंगी गाँड़ पर पहुंचा तो रुक गया।

शायद वह अपर्णा की गाँड़ को अच्छी तरह सहलाना चाहते थे। जीतूजी नींद में ही अपर्णा की गाँड़ सहला रहे थे। वह जानते थे की वह नींद में थे।

पर यह क्या? उन्हें लगा जैसे वाकई में वह अपर्णा की गाँड़ ही सहला रहे थे। वह अपर्णा की खुशबु से वाकिफ थे। क्या अपर्णा उनके साथ में सो रही थी? ऐसा कैसे हो सकता था? अपर्णा ने तो कसम खायी थी की वह उनके साथ सोयेगी नहीं जब तक..... बगैरह बगैरह। पर हकीकत यह थी की उनके आहोश में एक नंगी औरत सोई हुई थी और वह अपर्णा ही हो सकती थी। जीतूजी यह तो समझ गए की अपर्णा को सोना तो उनके साथ ही था क्यूंकि एक ही बेड था। डॉ. खान भी उनको मियाँ बीबी ही समझ रहे थे। जीतूजी एकदम बैठ गए। उन्होंने तय किया था की वह अपर्णा के साथ नहीं सोयेंगे। और नंगी अपर्णा के साथ तो कतई नहीं। कहीं उनसे अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रहा तो गजब हो जाएगा। सोचते ही उनका लण्ड उठ खड़ा हुआ। जीतूजी अपने आप पर बड़ा गुस्सा हुए। साला थोड़ी सी अपर्णा की भनक लग गयी की उठ खड़ा हो जाता है। अपर्णा किसी और की बीबी है। तुम्हारे बाप की नहीं जो तुम उसका नाम सुनते ही खड़े हो जाते हो। ऐसे अपने लण्ड को कोसने लगे। पर लण्ड एक ऐसी चीज़ है जो किसीकी नहीं सुनता। जीतू जी का लण्ड अपर्णा के बदनकी खुशबु पहचानते ही उठ खड़ा हो गया। जीतूजी झुंझलाये। वह आधी नींद में ही उठ खड़े हुए और अपने लण्ड को एडजस्ट करते हुए वाश रूम की और बढे। हलचल से अपर्णा भी उठ गयी थी पर सोने का नाटक कर पड़ी रही।

जीतूजी को बड़ी नींद रही थी। पर वह नंगी अपर्णा के साथ में सोने के कारण झल्ला उठे। वाशरूमसे वापस आकर वे कुर्सी पर बैठे। उनका पयजामा उनकी कमर से बार बार फिसला जाता था। वह खिंच खिंच कर उसे ऊपर करते रहते थे। जब कुछ देर तक जीतूजी वापस पलंग पर नहीं लौट आये तो अपर्णा ने करवट ली और उठ बैठी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:09 PM



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