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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
शायद डॉ. खान अपनी पोती की सलवार कमीज गलती से उठा लाये होंगे ऐसा अपर्णा को लगा। वह अपने सर पर हाथ लगा कर सोचने लगी की अब क्या होगा? यह कपडे वह पहन नहीं सकती थी। उसके अपने कपडे धोने के लिए रखे थे और गीले थे। अभी ऊपर जा कर डॉ. खान चाचा को बुलाना भी ठीक नहीं लगा। अब करेतो क्या करे? अपना सर हाथमें पकड़ कर बैठ गयी अपर्णा।बस एक ही इलाज था या तो वह तौलिया पहने सोये या फिर बिना कपडे के ही सोये। तौलिया गीला होगा तो वह चद्दर भी गीली करेगा। वैसे ही डॉ. खान को तो उन्होंने आधी रातको जगा कर काफी परेशान किया था। ऊपर से फिर जगाना ठीक नहीं होगा। दूसरी बात, अगर अपर्णा ने तय किया की वह डॉ. खान चाचा को उठाएगी, तो वह जायेगी कौनसे कपडे पहनकर? अब तो अपर्णा के लिए बस एक ही रास्ता बचा था की उसे बिना कपडे के ही सोना पड़ेगा। बिना कपडे के जीतू जी के साथ सोना मतलब साफ़ था। जीतूजी का हाथ अगर अपर्णा के नंगे बादन को छू लिया और अगर उन्हें पता चला की अपर्णा बिना कपडे सोई है तो ना चाहते हुएभी वह अपने आपपर कण्ट्रोल रख नहीं पाएंगे। वह कितनी भी कोशिश करे, उनका लण्ड ही उनकी बात नहीं मानेगा।

अपर्णा ने सोचा, "बेटा, आज तेरी चुदाई पक्की है। अब तक तो जीतूजी के मोटे लण्ड से बची रही, पर अब ना तो तेरे पास कोई वजह है नाही तेरे पास कोई चारा है। तू जब उनके साथ नंगी सोयेगी तो जीतूजी की बात तो छोड़, क्या तू अपने आप को रोक पाएगी?" यह सवाल बार बार अपर्णाके मनमें उठ रहा था। 

जब तक अपर्णा नहा कर आयी तब तक जीतूजी के खर्राटे शुरू हो चुके थे। डरी, कांपती हुई अपर्णा डॉ. चाचा ने दिए हुए कपडे लेकर उन्हें अपनी छाती पर लगा कर चुपचाप बिना आवाज किये बिस्तरे में जाकर जीतूजीकी बगलमें ही सोगयी। अपर्णाको उम्मीद थी की शायद हो सकता है की जीतूजी का हाथ अपर्णा के बदन को छुए ही नहीं। हालांकि यह नामुमकिन था। भला एक ही पलंग पर सो रहे दो बदन कैसे दूसरे को छुए बगैर रह सकते हैं?

रात के दो बजने वाले थे। अपर्णा पूरी तरह से वस्त्रहीन बिस्तर में जीतूजी के साथ घुस गयी। बिस्तर में एक ही कम्बल के निचे उसने जीतूजी ले बॉय को महसूस क्या। जीतूजी गहरी नींद में सो रहे थे। अपर्णा थोड़ी देर सोचती रही की वह बगैर कपड़ों के कैसे जीतूजी के साथ सोयेगी। पर अब तो सोना ही था। और अगर बीचमें जीतूजी ने उस दबौच लिया तो अपर्णा का चुदना तय था।

बिस्तर में घुसने के बाद अपर्णा दूसरी और करवट बदल कर लेट गयी। अपर्णा की गाँड़ जीतूजी की पीठ कीऔर थी। अपर्णा काफी थकी हुई थी। देखते ही देखते उसकी आँख लग गयी और अपर्णा भी गहरी नींद में सो गयी। 

दोनों करीब दो घंटे तक तो वैसे ही मुर्दे की तरह सोते रहे। करीब दो घंटे बाद जीतूजी ने महसूस किया की कोई उनके साथ सोया हुआ था। 

नींद में जीतूजी को अपर्णा के ही सपने आरहे थे। जो जीतूजी के मन में छिपे हुए विचार और आशंका थीं वह उनके सपने में उजागर हो रही थीं। जीतूजी ने देखा की कालिया दरवाजा खटखटा रहा था और "अपर्णा अपर्णा......" दरवाजा खटखटा ने की आवाज सुनकर अपर्णा भगति हुई जीतूजी की ओर आयी। जीतूजी के गले लग कर अपर्णा बोली, "जीतूजी, मुझे बचाओ, मुझे बचाओ। यह राक्षस मुझे चोद चोद कर मार देगा। इसका लण्ड गेंडे के जैसा भयानक है। अगर उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाला तो मैं तो मर ही जाउंगी। दरवाजा मत खोलना प्लीज।"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:04 PM



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