Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
जीतूजी ने भी कपड़ों को साफ़ करते हुए कहा, "जहां तक मेरा अनुमान है, हम हिंदुस्तानकी बॉर्डरसे एकदम करीब हैं। हो सकता है हम सरहद पार भी कर गए हों।" अपर्णा ने पूछा, "तो अब हम किस तरफ जाएँ?" जीतूजी ने अपर्णा का हाथ पकड़ कर कहा, "हमें इस नदी के किनारे किनारे ही चलना है। हो सकता है हमें आपके पति रोहित मिल जाएँ। हो सकता है हमें कोई एक रात या दिन गुजारने के लिए आशियाना मिल जाए।" अपर्णा को तब समझ में आया की जीतूजी भी थके हुए थे। जीतूजी लड़खड़ाती अपर्णा का हाथ पकड़ उसे अपने साथ साथ चलातेऔर हौसला देते हुए नदी के किनारे आगे बढ़ रहे थे तब उनको दूर दूर एक बत्ती दिखाई दी। जीतूजी वहीँ रुक गए और अपर्णा की और घूमकर देखा और पूछा, "देखोतो अपर्णा। क्या तुम्हें वहाँकोई बत्ती दिखाई दे रही है या यह मेरे मन का वहम है?" अपर्णा ने ध्यान से देखा तो वाकई दूर दूर टिमटिमाती हुई एक बत्ती जल रही थी। बिना सोचे समझे जीतू जी ने अपर्णा का हाथ पकड़ कर उस दिशा में चल पड़े जिस दिशा में उन्हें वह बत्ती दिखाई दे रही थी। वह घर जिसमें बत्ती जलती दिखाई दे रही थी वह थोड़ी ऊंचाई पर था। चढ़ाई चढ़ते आखिर वहाँ पहुँच ही गए। दरवाजे पर पहुँचते ही उन्होंने एक बोर्ड लगा हुआ देखा। पुराना घिसापिटा हुआ बोर्ड पर लिखा था "डॉ. बादशाह खान यूनानी दवाखाना" जीतूजी ने बेल बजायी। उन्होंने अपर्णा की और देखा और बोले, "पता नहीं इतने बजे हमें इस हाल में देख कर वह दरवाजा खोलेंगे या नहीं?" पर कुछ ही देर में दरवाजा खुला और एक सफ़ेद दाढ़ी वाले बदन से लम्बे हट्टेकट्टे काफी मोटे बड़े पेट वाले बुजुर्ग ने कांपते हुए हाथों से दरवाजा खोला।

जीतूजी ने अपना सर झुका कर कहा, "इतनी रात को आपको जगा ने के लिए मैं माफ़ी माँगता हूँ। मैं हिंदुस्तानी फ़ौज से हूँ। हम लोग नदी के भंवर में फंस गए थे। जैसे तैसे हम अभी बाहर निकल कर आये हैं और थके हुए हम एक रात के लिए आशियाना ढूंढ रहे हैं। अगर आप को दिक्कत ना हो तो क्या आप हमें सहारा दे सकते हैं?" जीतूजी को बड़ा आश्चर्य हुआ जब डॉक्टर खान के चेहरे पर एकदम प्रसन्नताका भाव आया और उन्होंने फ़ौरन दरवाजा खोला और उन दोनों को अंदर बुलाया और फिर दरवाजा बंद किया। उसके बाद वह दोनों के करीब कर बोले, "आप हिन्दुस्तानी सरहद के अंदर तो हैं, पर यहां सरहद थोड़ी कमजोर है। दुश्मन के सिपाही और दहशतगर्द यहाँ अक्सर घुस आते हैं और मातम फैला देते हैं। वह सरहद के उस तरफ भी और इस तरफ भी अपनी मनमानी करते हैं और बिना वजह लोगों को मार देते हैं, लूटते हैं और फिर सरहद पार भाग जाते हैं। इस लिए मैंने यह दवाखाना कुछ ऊंचाई पर रखा है। यहां से जो कोई आता है उस पर नजर राखी जा सकती है। मैं हिन्दुस्तांनी हूँ और हिंदुस्तानी फ़ौज की बहुत इज्जत करता हूँ।" फिर डॉ. खान ने उनको निचे का एक कमरा दिखाया जिसमें एक पलंग था और साथ में गुसल खाना (बाथरूम) था। डॉ. खान ने कहा, "आप और मोहतरमा इस कमरे में रात भर ही नहीं जब तक चाहे रुक सकते हैं। मैं जा कर कुछ खाना और मेरे पास जो मेरे सीधे सादे कपडे हैं वह आप पहन सकते हैं और मेरी बेटी के कपडे मैं लेके आता हूँ, वह आपकी बीबी पहन सकती हैं।"
 
डॉ. खान ने अपर्णा को जब जीतूजी की बीबी बताया तब जीतूजी आगे बढे और डॉ. खान को कहने जा रहे थे की अपर्णा उनकी बीबी नहीं थी, पर अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थामकर उन्हें कुछ भी बोलने नहीं दिया और आगे आकर कहा, "सुनिए जी! डॉ. साहब ठीक ही तो कह रहे हैं।पता नहीं हमें यहां कब तक रुकना पड़े।" फिर डॉ. खान की तरफ मुड़ कर बोली, "डॉ. साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया।" जीतूजी और अपर्णा को कमरे में छोड़ कर बाहर का मैन गेट बंद कर डॉ. खान ऊपर अपने घर में चले गए और थोड़ी ही देर में कुछ खाना जैसे ब्रेड, जाम, दूध, कुछ गरम की हुई सब्जी लेकर आये और खुदके और अपनी बेटी के कपडे भी साथमें लेकर आए। खाना और कपडे मेज पर रख कर अल्लाह हाफ़िज़ कह कर डॉ. खान सोने चले गए।
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:02 PM



Users browsing this thread: 15 Guest(s)