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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
वह रोहित से कहने लगी, "चलो, अभी अन्धेरा है और कोई हलचल भी नहीं है। अगर हम अभी निकल पड़े तो सुबह के पहले ही मैं तुम्हें सरहद पार करा दूँगी। फिर तुम्हें आगे अपने आप आगे जाना पड़ेगा। मैं वहाँ से वापस चली आउंगी। अगर देर हो गयी तो कहीं हम पकडे नाजाएँ।" रोहित ने फिर अपनी बाँहें फैला कर आयेशा को अपने आगोश में ले लिया। आयेशाका नंग्न बदन रोहित जी के नंग बदन के साथ जैसे एक हो गया। दो पड़ेसी अनजाने जीव एक दिन के लिए मिले और एक रात के बाद फिर अलग होने को तैयार हो गए। रोहित ने आयेशा के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और उतना लमबा और प्यार भरा चुम्बन किया की शायद पहले उन्होंने किसी औरत को इतना लंबा चुम्बन नहीं किया होगा।

आयेशा कूद कर रोहित की कमर में अपनी टाँगे लपेट कर उनसे चुम्बन में मस्त हो गयी। उनके आलिंगन से एक बार फिर रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा हंस कर जल्दी गद्दे पर लेट गयी और बोली, "परदेसी एक आखरी बार मुझे चोदो। जल्दी करो समय ज्यादा नहीं है।" आखरी बार रोहित ने आयेशाकी चूतमें अपना लण्ड डाला और करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वह दोनों झड़ गए। जल्दी से उठ कर खड़े होकर दोनों ने अपने आप को सम्हाला और गुफा के बाहर निकल कर चल दिए।



ईधर...


जीतूजी और अपर्णा नदी के किनारे गीली मिटटी में पड़े पड़े ही एक दूसरे की आँखों में झाँक कर देख रहे थे। अपर्णा ने अपने बाजू ऊपर किये और जीतूजी का सर अपने हाथोंमें लेलिया और उनके होँठ अपने होँठोंसे चिपका दिए। अपर्णाने जीतू जी के पुरे बदनको अपने बदनसे सटानेपर मजबूर किया। अपर्णा के साथ ऐसे लेटने से जीतूजी का इन मुश्किल परिस्थितियों में भी लण्ड खड़ा हो गया। उन्होंने अपर्णा से कहा, "यह क्या कर रही हो?" और कह कर अपर्णासे दूर हटनेकी कोशिश की तो अपर्णा ने कहा, "अब आप देखते जाओ, मैं क्या क्या कर सकती हूँ?" जीतूजी हैरानी से अपर्णा को देखते रहे। अपर्णा ने फिर से जीतूजी का सर पकड़ा और दोनों गहरे चुम्बन लेने लें एक दूसरे से चिपक गए। अपर्णा की जान जीतूजी ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बचाई थी। यह बात अपर्णा के लिए बहुत बड़ा मायना रखती थी। उसकी नज़रों में जीतूजी ने वह कर दिखाया जो उसके पति भी नहीं कर सके। थकान और दर्द के मारे अपर्णा की जान निकली जारही थी।जीतूजी से अपना आधा नंगा बदन चिपका कर अपर्णा को जरूर जोश आया था। अपर्णा सोच रही थी की जीतूजी में पता नहीं कितनी छिपी हुई ताकत थी की इतने झंझट, परिश्रम और नींद नहींहो पाने पर भी वह काफी फुर्तीले लग रहे थे। अपर्णा को मन में गर्व हुआ की जीतूजी ने अपर्णाके प्रियतम जैसा काम कर दिखाया था। आज जीतूजी ने एक राजपूत जैसा काम कर दिखाया था। अब वह अपर्णा के पुरे प्यार के लायक थे।

अपर्णा के रसीले होँठोंका रस चूसते हुएभी जीतू जी के दिमाग में बचाव की रणनीति पुरे समय घूम रही थी। उन्होंने अपर्णा को कहा, "अपर्णा, अब हमें यहाँ से जल्दी भाग निकलना है। पता नहीं दुश्मनो के सिपाही यहां कहीं गश्त ना लगा रहे हों। हमें यह भी पता नहीं की इस वक्त हम कहाँ हैं?" अपर्णा ने उठते हुए अपने कपड़ों के ऊपर से लगी मिटटी साफ़ करतेहुए कहा, "आपतो खगोल शाश्त्र के निष्णात हो। सितारों को देख कर भी बता सकते हो ना की हम कहाँ हैं?"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 05:01 PM



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