26-12-2019, 04:55 PM
आयेशा पुरे दिन की उत्तेजना और रात के रोमाँच के कारण काफी थकी हुई थी। पुरे दिन भर चौकन्ना रह कर पहरा देने के बाद रातको परदेसी के तगड़े लण्ड से अच्छी तरह से और जोशो-खरोश से चुदाई करवाने के कारण आयेशा पूरी तरह थक चुकी थी। रोहित के कहने पर वह जैसे ही लेटी की निढाल हो कर बेहोश सी गहरी नींद की गोद में पहुँच गयी। जो कपडे आयेशा ने पहन रक्खे थे वह भी कई जगह से फ़टे हुए और छोटे से थे। अच्छी तरह से और बड़े प्यार से चुदने के बाद एक औरत के चेहरे पर जैसे संतुष्टि होती है वैसी संतुष्टि आयेशा के चेहरे पर दिखाई दे रही थी। नींदमें भी वह कभी कभार मुस्कुरा देती थी। शायद उसे अपने आशिक़ परदेसी के लण्ड का उसकी चूत में जो एहसास हुआ था वह उसे सपने में दुबारा अनुभव रहा था।
रोहित ने खड़े खड़े ही लंबा फ़ैल कर लेटी हुई आयेशाको देखा। जन्नतसे उतरीहूर जैसी आयेशा के कपडे इधर उधर बिखरे हुएथे। आयेशाके स्तन ब्लाउज और ब्रा की परवाह ना करते हुए सर उठा कर खड़े हों ऐसे दिख रहेथे। आयेशाकी सुआकार जाँघें खुली हुई थीं और बिच के प्रेम भरी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहीं थीं। आयेशा को इतना नंगा देखने और अपने लण्ड से चोदने के बाद भी आयेशा का ढका हुआ बदन देख करही रोहित का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। वह चाहते थे की आयेशा कम से कम दोघंटे आरामकरे। रोहित जी ने देखा की बेफाम गद्दे पर लेटी हुई आयेशा गजब की सुंदर लग रही थी। उसकी टांगें उसके बाजू, उसके बिखरे बाल, उसकी पतली कमर सब रोहित को फिर से उत्तेजित कर रहेथे। विधाता का विधानभी कैसा होता है? वह आयेशा जिनको वह चंद घंटों पहले जानते तक नहीं थे वह उनकी सिर्फ हमसफ़र और हमराजही नहीं बल्कि उनकी शय्याभागिनी (हम बिस्तर) बन गयी थी। रोहित जी को गर्व हुआ की ऐसी महिला जो उनके धर्म और देश की नहीं थी वह भी उनपर आज अपनों से ज्यादा भरोसा कर रही थी। यहां तक की वह रोहित का नाजायज कहे जाने वाले बच्चे को जनम देने के लिए आमादा थी।
रोहित तीन घंटे तक बड़े ध्यान और बारीकी से गुफाके बाहर देख कर पहरेदारी कर रहेथे। उन्होंने कहींभी कोईभी तरह की हलचल नहीं देखि। चारों तरफ कदम शान्ति का माहौल था। उन्हें तसल्ली हुई की दुश्मनों की फ़ौज वापस अपने मुकाम पर चली गयी थी। आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। रोहित का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा। एक परायी औरत से कितनी आत्मीयता उतने कम समय में कैसे हो जाती है? उनके पास शायद आज रात का ही समय था जो शायद उनके जीवनका सबसे यादगार समय बन सकता था। वह धीरे धीरे आयेशा के पास पहुंचे और उसके पास जाकर गद्दे पर आयेशा के साथ लेट गए। गहरी नींदमें भी आयेशा के चेहरे पर हलकी मुस्कान दिखरही थी। शायद वह उस रात के पहले प्रहरके प्यार भरे घंटों को याद कर रहीथी। रोहित ने लेटतेही आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और उसके कपाल पर एक हल्का सा चुम्बन करके बोले, "उठो रानी, तुमने मुझे दो घंटे में ही जगाने के लिए कहा था, पर अब तीन घंटे के बाद मैं आप को जगाने के लिए आया हूँ। आयेशा "ऊँ........ सोने दो ना... ......." कह कर पलट कर रोहित को बाँहों में आगयी और उनसे लिपट कर सो गयी। रोहित की बाँहों में आयेशा के मरमरा बदन का एहसास होते ही रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा की चूत बिलकुल रोहित की लण्ड को सट कर लगी हुई थी। आयेशाके चुचुक रोहितकी छाती पर दबे हुए थे। रोहित ने कहा, "मेरी जानू, सुबह हो जायेगी तो फिर तुम्हारा पूरी रात भर प्यार करने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाएगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।"
रोहित ने खड़े खड़े ही लंबा फ़ैल कर लेटी हुई आयेशाको देखा। जन्नतसे उतरीहूर जैसी आयेशा के कपडे इधर उधर बिखरे हुएथे। आयेशाके स्तन ब्लाउज और ब्रा की परवाह ना करते हुए सर उठा कर खड़े हों ऐसे दिख रहेथे। आयेशाकी सुआकार जाँघें खुली हुई थीं और बिच के प्रेम भरी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहीं थीं। आयेशा को इतना नंगा देखने और अपने लण्ड से चोदने के बाद भी आयेशा का ढका हुआ बदन देख करही रोहित का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था। वह चाहते थे की आयेशा कम से कम दोघंटे आरामकरे। रोहित जी ने देखा की बेफाम गद्दे पर लेटी हुई आयेशा गजब की सुंदर लग रही थी। उसकी टांगें उसके बाजू, उसके बिखरे बाल, उसकी पतली कमर सब रोहित को फिर से उत्तेजित कर रहेथे। विधाता का विधानभी कैसा होता है? वह आयेशा जिनको वह चंद घंटों पहले जानते तक नहीं थे वह उनकी सिर्फ हमसफ़र और हमराजही नहीं बल्कि उनकी शय्याभागिनी (हम बिस्तर) बन गयी थी। रोहित जी को गर्व हुआ की ऐसी महिला जो उनके धर्म और देश की नहीं थी वह भी उनपर आज अपनों से ज्यादा भरोसा कर रही थी। यहां तक की वह रोहित का नाजायज कहे जाने वाले बच्चे को जनम देने के लिए आमादा थी।
रोहित तीन घंटे तक बड़े ध्यान और बारीकी से गुफाके बाहर देख कर पहरेदारी कर रहेथे। उन्होंने कहींभी कोईभी तरह की हलचल नहीं देखि। चारों तरफ कदम शान्ति का माहौल था। उन्हें तसल्ली हुई की दुश्मनों की फ़ौज वापस अपने मुकाम पर चली गयी थी। आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। रोहित का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा। एक परायी औरत से कितनी आत्मीयता उतने कम समय में कैसे हो जाती है? उनके पास शायद आज रात का ही समय था जो शायद उनके जीवनका सबसे यादगार समय बन सकता था। वह धीरे धीरे आयेशा के पास पहुंचे और उसके पास जाकर गद्दे पर आयेशा के साथ लेट गए। गहरी नींदमें भी आयेशा के चेहरे पर हलकी मुस्कान दिखरही थी। शायद वह उस रात के पहले प्रहरके प्यार भरे घंटों को याद कर रहीथी। रोहित ने लेटतेही आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और उसके कपाल पर एक हल्का सा चुम्बन करके बोले, "उठो रानी, तुमने मुझे दो घंटे में ही जगाने के लिए कहा था, पर अब तीन घंटे के बाद मैं आप को जगाने के लिए आया हूँ। आयेशा "ऊँ........ सोने दो ना... ......." कह कर पलट कर रोहित को बाँहों में आगयी और उनसे लिपट कर सो गयी। रोहित की बाँहों में आयेशा के मरमरा बदन का एहसास होते ही रोहित का लण्ड खड़ा होगया। आयेशा की चूत बिलकुल रोहित की लण्ड को सट कर लगी हुई थी। आयेशाके चुचुक रोहितकी छाती पर दबे हुए थे। रोहित ने कहा, "मेरी जानू, सुबह हो जायेगी तो फिर तुम्हारा पूरी रात भर प्यार करने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह जाएगा। बाकी तुम्हारी मर्जी।"