26-12-2019, 04:54 PM
यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक बिना रुके चलता रहा। दोनों प्रेमियों में से कोई भी जल्दी से झड़ने के लिए तैयार न था। शायद वह तो पूरी रात ही चुदाई जारी रखना चाहते थे। पर आयेशा ने एक वाक्य कहा जिसे सुनकर उसके परदेसी के लण्ड में अद्भुत सी मचलन होने लगी। आयेशा ने कहा, "परदेसी, मैं तुम्हारी बीबी बनकर इस तुम्हारे मोटे और तगड़े लण्ड से तुमसे हररोज दिन हो या रात कई बार चुदवाना चाहती हूँ। पर यह कैसे होगा? क्या तुम मुझे चोद कर छोड़ दोगे? क्या तुम मुझे जिंदगी भर चोदना नहीं चाहते?" आयेशा की बात सुनकर रोहित काफी भावुक हो गए। उनके लण्ड में वीर्य की मौंजें तेज हो गयी। वीर्य की धमनियों में उनका वीर्य तेजी से दौड़ने लगा। रोहित को लगा की अब झड़ने का समय आ गया है। उन्होंने आनन् फानन में अपनी माशूक़ा आयेशा से कहा, "आयेशा, वह सब बाद में बात करेंगे, अभी तो मैं अपना माल छोड़ने वाला हूँ। बोलो अंदर छोडूं या बाहर? क्या तुम सचमुच में मेरे बच्चों की माँ बनना चाहती हो? क्या तुम मेरे बगैर मेरे बच्चों को पाल सकोगी? कहीं लोग तुम्हें बिनब्याही माँ कहके परेशान तो नहीं करेंगे?" आयेशा ने बेझिझक कहा, "मैं ऐसे छोटे मोटे अनाड़ियों से आसानी से निपट लुंगी, पर हाँ, अगर हो सके तो मुझे जरूर तुम्हारे बच्चों की माँ बनना है। तुम अपना सारा माल मेरी चूत में उंडेल दो। मैं भी तो देखूं की हिंदुस्तानी वीर्य में कितना दम है?" आयेशा की बेबाक बात सुन कर रोहित अचरज में पड़ गए। वह सोचने लगे "क्या कोई औरत सिर्फ एक दिन की मुलाक़ात में किसी मर्द के लिए इतना सहने के लिए तैयार हो सकती है?"
रोहित ने बड़े प्यारसे आयेशा को दुबारा चूमते हुए आयेशा को चोदने की गति तेज कर दी। आयेशा भी अब पूरी तरह अपनी चुदाई में अपना ध्यान लगा रही थी। परदेसी के अंदर बाहर होते हुए मोटे लण्ड से वह चुदवाने का अनोखा आनंद ले रही थी। उसके लिए उस रात का हर एक पल सालों जैसा था। उसका उन्माद भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच रहा था। आयेशा चाहती थी की उसका झड़ना भी अपने परदेसी आशिक़ के साथ ही हो। आयेशा ने भी अपनी उत्तेजना और उन्माद और बढ़ाने के लिए अपने पेंडू से अपनी कमर को ऊपर कर अपने आशिक़ का लण्ड और गहराई तक पहुंचे और उसमें और ज्यादा हवस का जोश पैदा हो ताकि दोनों का झड़ना एक साथ ही हो। चंद पलों में आयेशा कराह उठी, "ओह...... परदेसी, तुम गज़ब की चुदाई कर रहे हो! आह..... बापरे...... ओह.... मैं झड़ रही हूँ...... मुझे पकड़ो यार......आह..... कमाल हो गया....." रोहित भी, "आयेशा, मेरा यकीन करो, मेरी इतनी लम्बी जिंदगी में मुझे इस कदर महसूस नहीं हुआ। पता नहीं मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?" आयेशा ने पट से जवाब दिया, "प्यार में शुक्रिया नहीं कहते। यह तो हम अपने और अपनों के लिए करते हैं। फिर शुक्रिया कैसा? और रुकिए, मैं आज आपको यहां नहीं छोड़ने वाली। आज आपको पूरी रात भर मेरी चुदाई करनी है। मैं तैयार हूँ। कहीं आप ना मुकर जाना।"
आयेशा ने फ़टाफ़ट कपडे से पहले अपने आपको साफ़ किया। अपनी चूत और उसके इर्दगिर्द सफाई की और फिर रोहितके लण्ड को अच्छी तरह से पोंछा और उसे चुम्बन कर के उठ खड़ी हुई। रोहित आयेशा के कोमल और कमसिन नंगे बदन को देखते ही नहीं थकतेथे। रोहित ने कहा, "अभी तो रात जवान है। मैं मुकरने वालों में से नहीं। पर हम अब फिलहाल कपडे पहन लेते हैं। हम यह देखें कहीं कोई उंचनीच ना हो जाए।" आयेशा ने फ़ौरन उठकर परदेसी की नजर के लिए ख़ास नंगी चलती हुई, अपने कूल्हे मटकाती हुई सुखाये हुए कपडे ले आयी। कपडे तब तक सुख चुके थे। रोहित को उनके कपडे दिए। अपने कपडे फुर्ती से पहनते हुए रोहित बोले, "अब दो घंटे तुम आराम करोगी और मैं पहरा दूंगा। हमें प्यार करते हुए भी गाफिल नहीं रहना है।" यह कह कर रोहित गुफा के अंदर दरवाजे के पास बैठ गए और बाहर अँधेरे में कोई हलचल हो तो उसका ख्याल सावधानी से रखने में लग गए।
रोहित ने बड़े प्यारसे आयेशा को दुबारा चूमते हुए आयेशा को चोदने की गति तेज कर दी। आयेशा भी अब पूरी तरह अपनी चुदाई में अपना ध्यान लगा रही थी। परदेसी के अंदर बाहर होते हुए मोटे लण्ड से वह चुदवाने का अनोखा आनंद ले रही थी। उसके लिए उस रात का हर एक पल सालों जैसा था। उसका उन्माद भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच रहा था। आयेशा चाहती थी की उसका झड़ना भी अपने परदेसी आशिक़ के साथ ही हो। आयेशा ने भी अपनी उत्तेजना और उन्माद और बढ़ाने के लिए अपने पेंडू से अपनी कमर को ऊपर कर अपने आशिक़ का लण्ड और गहराई तक पहुंचे और उसमें और ज्यादा हवस का जोश पैदा हो ताकि दोनों का झड़ना एक साथ ही हो। चंद पलों में आयेशा कराह उठी, "ओह...... परदेसी, तुम गज़ब की चुदाई कर रहे हो! आह..... बापरे...... ओह.... मैं झड़ रही हूँ...... मुझे पकड़ो यार......आह..... कमाल हो गया....." रोहित भी, "आयेशा, मेरा यकीन करो, मेरी इतनी लम्बी जिंदगी में मुझे इस कदर महसूस नहीं हुआ। पता नहीं मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?" आयेशा ने पट से जवाब दिया, "प्यार में शुक्रिया नहीं कहते। यह तो हम अपने और अपनों के लिए करते हैं। फिर शुक्रिया कैसा? और रुकिए, मैं आज आपको यहां नहीं छोड़ने वाली। आज आपको पूरी रात भर मेरी चुदाई करनी है। मैं तैयार हूँ। कहीं आप ना मुकर जाना।"
आयेशा ने फ़टाफ़ट कपडे से पहले अपने आपको साफ़ किया। अपनी चूत और उसके इर्दगिर्द सफाई की और फिर रोहितके लण्ड को अच्छी तरह से पोंछा और उसे चुम्बन कर के उठ खड़ी हुई। रोहित आयेशा के कोमल और कमसिन नंगे बदन को देखते ही नहीं थकतेथे। रोहित ने कहा, "अभी तो रात जवान है। मैं मुकरने वालों में से नहीं। पर हम अब फिलहाल कपडे पहन लेते हैं। हम यह देखें कहीं कोई उंचनीच ना हो जाए।" आयेशा ने फ़ौरन उठकर परदेसी की नजर के लिए ख़ास नंगी चलती हुई, अपने कूल्हे मटकाती हुई सुखाये हुए कपडे ले आयी। कपडे तब तक सुख चुके थे। रोहित को उनके कपडे दिए। अपने कपडे फुर्ती से पहनते हुए रोहित बोले, "अब दो घंटे तुम आराम करोगी और मैं पहरा दूंगा। हमें प्यार करते हुए भी गाफिल नहीं रहना है।" यह कह कर रोहित गुफा के अंदर दरवाजे के पास बैठ गए और बाहर अँधेरे में कोई हलचल हो तो उसका ख्याल सावधानी से रखने में लग गए।