26-12-2019, 04:48 PM
रोहित ने देखा की अपर्णा भी कालिये के साथ साथ चुदाई का मजा ले रही थी। रोहित की झल्लाहट का ठिकाना ना रहा? वह मन ही मन सोच रहे थे, "यह कैसी औरत है जो ऐसे भयानक आदमी से चुदवा कर मजे ले रही है?" अपर्णा को काफी देर तक कालिये ने चोदा। अपर्णा की चूत में से खून निकल रहा था। रोहित से देखा नहीं गया। उन्होंने अपनी आँखें मूँद लीं। अचानक उन्हें महसूस हुआ की कमरे में श्रेया जी दाखिल हुई। वह अचम्भे से देखते रहे की देखते ही देखते वहाँ से अपर्णा, कालिया, जीतूजी सब पता नहीं कहाँ चले गए। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके हाथ और पाँव खुले थे। श्रेया जी के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था। बापरे! रोहित ने महसूस किया की श्रेया वैसी ही नग्नावस्था में उनके पास आकर सो गयीं और एक हाथ से उनके खड़े हुए लण्ड को सहलाने लगीं। उन्होंने यह भी महसूस किया की उनके बदन पर भी कोई कपड़ा नहीं था। श्रेया का नंगा बदन अब उनके नंगे बदन से सटकर लेटा था। श्रेया उनके ऊपर अपने स्तनोँ को रगड़ती हुई बोली, "परदेसी, मैं जानती हूँ तुम जल्दी ही चले जाओगे। तुम मेरे नहीं होने वाले, पर मैं कुछ देर के लिए ही सही तुम्हारी बनना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ की इस बिरावान जंगल में तुम आज मुझे अपनी बनालो।"
रोहित का माथा ठनक गया, उन्हें समझ नहीं आया की श्रेया उन्हें "परदेसी" क्यों कह रही थी।
वह चौंक कर अपनी नींद में से जग गए तो उन्होंने पाया की आयेशा नंगा रेशमी बदन उनसे सट कर लेटा हुआ था और आयेशा उनका लण्ड हलके से सहला रही थी। गुफा में पूरा अन्धेरा छाया हुआ था। लगता था शाम ढल चुकी थी। आयेशा के घने बाल रोहित के चेहरे पर बिखरे हुए थे। रोहित ने आयेशा के नंगे बदन पर हाथ फेरा। उनके हाथ में आयेशा के पके हुए आम से आयेशा के भरे हुए स्तन महसूस हुए। आयेशा ने रोहित के कानों में कहा, "परदेसी, अब सारे दुश्मन सिपाही भाग गए हैं। एक सिपाही भागते हुए चिल्ला रहा था। "भागो और जान बचाओ। हिंदुस्तानी फौजवाले आ पहुंचे हैं। लगता है, तुम्हारे सिपाहियों ने उनको खदेड़ दिया है। यहां उसके बाद पुरे दिन कोई नजर नहीं आया। अब सारी रात हमारी है।"
रोहित का सर चकरा रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की क्या सच था और क्या सपना। कालिया तो मर गया था फिर वह कैसे अपर्णा को चोदने आया और अचानक श्रेया की जगह आयेशा कहाँसे आगयी, उनकी समझ में नहीं आ रहा था। कई दिनों की थकान और तनाव के कारण उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि दिन भर की नींद और आराम के बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे थे। आयेशा का रेशमी बदन उनके नंगे बदन से रगड़ रहा था। आयेशा के घने मुलायम बाल उनके चेहरे और छाती पर बिखरे हुए थे। उनके हाथों में आयेशा के मस्त स्तनोँ और उनकी फूली हुई निप्पलेँ थीं। आयेशा के स्तन पके हुए फल की तरग पूरी तरह परिपक्व थे पर ज़रा से भी ढीले नहीं थे।
रोहित जी ने खुद महसूस किया की उन्हें शायद आयेशा से प्यार सा हो गया था। आयेशा भी बिना बोले रोहित के पुरे बदन को सहला रही थी, प्यार कर रहीथी। काफी समय वह चुप रहकर रोहित जी के सारे अंगों को प्यार से सहलाती तो कभी कभी वह रोहित के पुरे बदन को बार बार चुम कर "ओह! परदेसी, तुम कितने प्यारे हो। आज मैं पूरी तरहसे तुम्हारी बनना चाहती हूँ। आज तुम मुझे जैसे चाहो जी भरके प्यार करो। तुम मुझसे जो चाहे करो। मुझे एक रात में ही जनम जनम तक याद रहे ऐसा प्यार करो।" कभी यह बोलती तो कभी बस प्यार से रोहित के पुरे बदन को चुपचाप बिना बोले चूमती रहती। रोहित आयेशा का प्यार देख कर दंग रह गए। एक दुश्मन देश की लड़की उन्हें कितना प्यार करती थी। वह दोनों जानते थे की उनका प्यार थोड़ी ही देर के लिए था। कुछ ही देर में रोहित अपने रास्ते और आयेशा अपने रास्ते जुदा हो जाने वाले थे। आयेशा का पूरा बदन रोमांच से काँप रहा था। आयेशा के रोंगटे खड़े होगये थे जो उसकी मानसिक उत्तेजना दर्शाता था।
रोहित का माथा ठनक गया, उन्हें समझ नहीं आया की श्रेया उन्हें "परदेसी" क्यों कह रही थी।
वह चौंक कर अपनी नींद में से जग गए तो उन्होंने पाया की आयेशा नंगा रेशमी बदन उनसे सट कर लेटा हुआ था और आयेशा उनका लण्ड हलके से सहला रही थी। गुफा में पूरा अन्धेरा छाया हुआ था। लगता था शाम ढल चुकी थी। आयेशा के घने बाल रोहित के चेहरे पर बिखरे हुए थे। रोहित ने आयेशा के नंगे बदन पर हाथ फेरा। उनके हाथ में आयेशा के पके हुए आम से आयेशा के भरे हुए स्तन महसूस हुए। आयेशा ने रोहित के कानों में कहा, "परदेसी, अब सारे दुश्मन सिपाही भाग गए हैं। एक सिपाही भागते हुए चिल्ला रहा था। "भागो और जान बचाओ। हिंदुस्तानी फौजवाले आ पहुंचे हैं। लगता है, तुम्हारे सिपाहियों ने उनको खदेड़ दिया है। यहां उसके बाद पुरे दिन कोई नजर नहीं आया। अब सारी रात हमारी है।"
रोहित का सर चकरा रहा था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की क्या सच था और क्या सपना। कालिया तो मर गया था फिर वह कैसे अपर्णा को चोदने आया और अचानक श्रेया की जगह आयेशा कहाँसे आगयी, उनकी समझ में नहीं आ रहा था। कई दिनों की थकान और तनाव के कारण उनका दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था। हालांकि दिन भर की नींद और आराम के बाद वह काफी राहत महसूस कर रहे थे। आयेशा का रेशमी बदन उनके नंगे बदन से रगड़ रहा था। आयेशा के घने मुलायम बाल उनके चेहरे और छाती पर बिखरे हुए थे। उनके हाथों में आयेशा के मस्त स्तनोँ और उनकी फूली हुई निप्पलेँ थीं। आयेशा के स्तन पके हुए फल की तरग पूरी तरह परिपक्व थे पर ज़रा से भी ढीले नहीं थे।
रोहित जी ने खुद महसूस किया की उन्हें शायद आयेशा से प्यार सा हो गया था। आयेशा भी बिना बोले रोहित के पुरे बदन को सहला रही थी, प्यार कर रहीथी। काफी समय वह चुप रहकर रोहित जी के सारे अंगों को प्यार से सहलाती तो कभी कभी वह रोहित के पुरे बदन को बार बार चुम कर "ओह! परदेसी, तुम कितने प्यारे हो। आज मैं पूरी तरहसे तुम्हारी बनना चाहती हूँ। आज तुम मुझे जैसे चाहो जी भरके प्यार करो। तुम मुझसे जो चाहे करो। मुझे एक रात में ही जनम जनम तक याद रहे ऐसा प्यार करो।" कभी यह बोलती तो कभी बस प्यार से रोहित के पुरे बदन को चुपचाप बिना बोले चूमती रहती। रोहित आयेशा का प्यार देख कर दंग रह गए। एक दुश्मन देश की लड़की उन्हें कितना प्यार करती थी। वह दोनों जानते थे की उनका प्यार थोड़ी ही देर के लिए था। कुछ ही देर में रोहित अपने रास्ते और आयेशा अपने रास्ते जुदा हो जाने वाले थे। आयेशा का पूरा बदन रोमांच से काँप रहा था। आयेशा के रोंगटे खड़े होगये थे जो उसकी मानसिक उत्तेजना दर्शाता था।