26-12-2019, 04:46 PM
अपर्णा को पता था की यदि कालिये ने अपने उस खम्भे जैसे लण्डसे उसे चोदातो उसके लम्बे लण्ड से और दूसरे उसके हिंसक एवं जोरदार धक्कों से अपना लण्ड अपर्णा की चूतमें पेलते हुए कालिया अपर्णा की चूत फाड़ कर रख देगा और क्या पता अपर्णा उसकी चुदाई झेल ना सके और कहीं ज्यादा खून बहनेसे मर ना जाए? अपर्णा की आँखों में उस भय के कारण आतंक छाया हुआ दिख रहा था। अपर्णा की चूत साफ दिख रही थी। पर आश्चर्य की बात यह थी की रोहित ने देखा की उनकी बीबी अपर्णा की चूत में से पानी रिस रहा था जो चुगली खा रहा था की अपर्णा का मन उस डर के बावजूद कालिये से चुदाई के लिए उत्तेजित हो रहा था। रोहित समझ नहीं पाए की ऐसी हालत में भी उनकी पत्नी कालिये से चुदवाने के लिए भला कैसे उत्तेजित हो सकती है? पर खैर, इनको तो मज़बूरी में चुपचाप कालिया क्या करता है वह देखना ही था। अपनी नंगी बीबी को देख कर रोहित का लण्ड भी तो खड़ा हो गया था। वह भी तो अपनी दो टाँगों के बिच में गजब की हलचल महसूस कर रहे थे।
रोहित ने अपने साथीदार जीतूजी की और देखा। जीतूजी का लण्ड जरूर खड़ा हो गया था, क्यूंकि वह इधर उधर खिसक कर अपना खड़ा लण्ड एडजस्ट करनेकी कोशिशकर रहेथे। रोहित जी ने देखा की कालिया ने जब अपर्णा के गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया तो अपर्णा कराह उठी। उसे लगा की कहीं उसके एकाध दांत कालिया की थप्पड़ से टूट ना गया हो। कालिया की आज्ञा पालन करने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। अपना लहराता हुआ लण्ड जब कालिया अपर्णा की मुँह के पास लाया और अपेक्षा के साथ अपर्णा की और देखने लगा तो ना चाहते हुए भी अपर्णा ने कालिया के लण्ड की और देखा। इस बार उसकी हिम्मत नहीं थी की वह अपना मुंह फेर ले।
कालिया फिर चिल्लाया, "चलो चुसो मेरा लण्ड।" कालिये की चिल्लाहट सुनते ही अपर्णा ने अपने मुंह से बोलने की कोशिश की और अपने बंधे हुए हाथोँ को उठाकर कालिया को दिखाए। कालिया समझ गया की उसका लण्ड चूसनेके लिए अपर्णा का मुंह खोलना जरुरी था। और अगर उसने मुंह खोला और चिल्लाई तो जरूर सब जाग जाएंगे। कुछ सोचने के बाद कालिया ने तय किया की अपर्णा के हाथ छोड़ने में कम जोखिम था। उसने आगे बढ़कर अपर्णा के हाथ खोल दिए। हाथ खुलते ही कालिये ने अपर्णा के हाथों में अपना लण्ड पकड़ा दिया। अपर्णा ने अपने हाथ में कालिये का लण्ड पकड़ा और उसे डर के मारे हिलाने लगी। उसके हाथों में कालिया लण्ड ऐसा लग रहा था जैसे अपर्णा ने हाथ में कोई अजगर पकड़ रखा हो। रोहित बार बार अपर्णा के चेहरे की और देख रहे थे पर वह अपर्णा के भावों को समझ नहीं पा रहे थे। कुछ ही देर में कालिया से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हाथोँ से अपर्णा की टाँगें चौड़ी कीं। कालिया झुक कर अपर्णा की चूत देखने लगा।
उसकी चूत का छोटा सा छिद्र देख कर उसने एक भयानक तरीके से ठहाका मार कर हंसा और बोला, "अरे रानी तेरी चूत का होल तो बड़ा छोटा है। मेरा लण्ड इतना मोटा। कैसे डलवायेगी उसको अपने अंदर? मैं तो तुंझे छोडूंगा नहीं।" यह कह कर कालिया अपर्णा के ऊपर चढ़ गया। उसके ऊपर सवार होकर उसने अपना लण्ड अपर्णा की चूत के छिद्र पर रखा और अपर्णा से कहा, "अब मैं तुझे यह मौक़ा देता हूँ की तू मरे लण्ड को सहला कर उसकी चिकनाहट से अपनी चूत गीली करले ताकि तुझे ज्यादा परेशानी ना हो।" जैसे ही अपर्णा ने कालिये का लण्ड पकड़ कर उसे सहलाया और अपनी चूत के होंठों को चिकना किया, कालिये ने एक ही झटके में अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा दिया। रोहित की समझ में यह नहीं आया की कैसे कालिया अपना इतना मोटा लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा पाया। उसके बाद कालिया अपने पेंडू से धक्के मारकर अपर्णाकी चूतमें अपना लण्ड पेलने लगा। अपर्णा की काराहट बढ़ती जा रही थी। पर अपर्णा मुंह पर लगी पट्टी के कारण चिल्ला नहीं पा रही थी। कालिया एक के बाद एक धक्के मार कर अपना लण्ड थोड़ा थोड़ा ज्यादा अंदर घुसेड़ रहा था वैसे वैसे अपर्णा की हलचल बढ़ रही थी।
रोहित ने अपने साथीदार जीतूजी की और देखा। जीतूजी का लण्ड जरूर खड़ा हो गया था, क्यूंकि वह इधर उधर खिसक कर अपना खड़ा लण्ड एडजस्ट करनेकी कोशिशकर रहेथे। रोहित जी ने देखा की कालिया ने जब अपर्णा के गाल पर करारा थप्पड़ मार दिया तो अपर्णा कराह उठी। उसे लगा की कहीं उसके एकाध दांत कालिया की थप्पड़ से टूट ना गया हो। कालिया की आज्ञा पालन करने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था। अपना लहराता हुआ लण्ड जब कालिया अपर्णा की मुँह के पास लाया और अपेक्षा के साथ अपर्णा की और देखने लगा तो ना चाहते हुए भी अपर्णा ने कालिया के लण्ड की और देखा। इस बार उसकी हिम्मत नहीं थी की वह अपना मुंह फेर ले।
कालिया फिर चिल्लाया, "चलो चुसो मेरा लण्ड।" कालिये की चिल्लाहट सुनते ही अपर्णा ने अपने मुंह से बोलने की कोशिश की और अपने बंधे हुए हाथोँ को उठाकर कालिया को दिखाए। कालिया समझ गया की उसका लण्ड चूसनेके लिए अपर्णा का मुंह खोलना जरुरी था। और अगर उसने मुंह खोला और चिल्लाई तो जरूर सब जाग जाएंगे। कुछ सोचने के बाद कालिया ने तय किया की अपर्णा के हाथ छोड़ने में कम जोखिम था। उसने आगे बढ़कर अपर्णा के हाथ खोल दिए। हाथ खुलते ही कालिये ने अपर्णा के हाथों में अपना लण्ड पकड़ा दिया। अपर्णा ने अपने हाथ में कालिये का लण्ड पकड़ा और उसे डर के मारे हिलाने लगी। उसके हाथों में कालिया लण्ड ऐसा लग रहा था जैसे अपर्णा ने हाथ में कोई अजगर पकड़ रखा हो। रोहित बार बार अपर्णा के चेहरे की और देख रहे थे पर वह अपर्णा के भावों को समझ नहीं पा रहे थे। कुछ ही देर में कालिया से रहा नहीं गया और उसने अपने दोनों हाथोँ से अपर्णा की टाँगें चौड़ी कीं। कालिया झुक कर अपर्णा की चूत देखने लगा।
उसकी चूत का छोटा सा छिद्र देख कर उसने एक भयानक तरीके से ठहाका मार कर हंसा और बोला, "अरे रानी तेरी चूत का होल तो बड़ा छोटा है। मेरा लण्ड इतना मोटा। कैसे डलवायेगी उसको अपने अंदर? मैं तो तुंझे छोडूंगा नहीं।" यह कह कर कालिया अपर्णा के ऊपर चढ़ गया। उसके ऊपर सवार होकर उसने अपना लण्ड अपर्णा की चूत के छिद्र पर रखा और अपर्णा से कहा, "अब मैं तुझे यह मौक़ा देता हूँ की तू मरे लण्ड को सहला कर उसकी चिकनाहट से अपनी चूत गीली करले ताकि तुझे ज्यादा परेशानी ना हो।" जैसे ही अपर्णा ने कालिये का लण्ड पकड़ कर उसे सहलाया और अपनी चूत के होंठों को चिकना किया, कालिये ने एक ही झटके में अपना लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा दिया। रोहित की समझ में यह नहीं आया की कैसे कालिया अपना इतना मोटा लण्ड अपर्णा की चूत में घुसा पाया। उसके बाद कालिया अपने पेंडू से धक्के मारकर अपर्णाकी चूतमें अपना लण्ड पेलने लगा। अपर्णा की काराहट बढ़ती जा रही थी। पर अपर्णा मुंह पर लगी पट्टी के कारण चिल्ला नहीं पा रही थी। कालिया एक के बाद एक धक्के मार कर अपना लण्ड थोड़ा थोड़ा ज्यादा अंदर घुसेड़ रहा था वैसे वैसे अपर्णा की हलचल बढ़ रही थी।