26-12-2019, 04:44 PM
पत्नी की अदला-बदली - 08
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पता नहीं कितना समय बीत चुका था। रोहित को गहरी नींद में अजीब सा सपना देख रहे थे। सपने में उन्होंने देखा की जिस कमरे में उन्हें बंद किया गया था, उसमें उनके और जीतूजी के हाथ पाँव बंधे हुए थे और रोहित और जीतूजी दोनों को एक रस्सी से कस कर पलंग के साथ बाँध दिया गया था। उन्होंने देखा की कालिये ने अपर्णा के भी हाथ बाँध दिए थे और उसके मुंह पर पट्टी बांध दी थी। कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को रोहित और जीतूजी की और तान कर अपर्णा से बोल रहा था, "अब मैं तुम्हें चोदुँगा। तुमने ज़रा भी आवाज निकाली या मेरा विरोध किया तो मैं तुम्हारे पति और इस आशिक को गोली मारकर यहीं ख़त्म कर दूंगा। तुम नहीं जानती मैं कितना खतरनाक हूँ। मैंने कई लोगों को मार दिया है और इन सब को मारने में मुझे मारने में मुझे कोई तकलीफ या दुःख नहीं होगा। कालिया ने अपने सारे कपडे एक के बाद निकाल दिए और अपर्णा के सामने नंगा खड़ा था। उसका बड़ा मोटा लण्ड कड़क खड़ा था और कालिया उसे अपर्णा के मुंह के सामने हिला रहा था। वह चाहता था की अपर्णा उसके लण्ड को चूसे। अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया। जैसे ही अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया तो कालिये ने कस के एक थप्पड़ अपर्णा के कोमल गाल पर जड़ दिया। अपर्णा दर्द के मारे कराहने लगी। अपर्णा ने जब मुँह फेर लिया तो कालिया चिल्लाया, "साली रण्डी! नखरे करती है? जानती नहीं मैं कौन हूँ? मैं यहाँ का खूंखार छुरेबाज और हत्यारा हूँ। मुझे यहां के लोग कसाई कहते हैं। मैंने आजतक कमसे कम दस को जरूर मार दिया होगा। अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो तुम ग्यारविंह होगी। तुम्हारे दो साथीदार मिलकर तेरह होंगे। तुम्हारे रिश्तेदारों को तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी।"
कालिया ने एक के बाद एक अपर्णा के कपडे निकाल दिए और उसकी जाँघों को चौड़ा किया। अपना मोटा तगड़ा हाथ कालिया ने अपर्णा की दो जाँघों के बिच में डाल दिया और अपर्णा की चूत में उंगली डाल कर उसका रस निकाल कर उस उंगली को कालिये ने अपने मुंह में डाली और उसे चाटने लगा। कालिये की यह हरकत देख कर जीतूजी पलंग पर ही तड़फड़ा रहे थे। उनके देखने की परवाह ना करते हुए कालिये ने अपर्णा का ब्लाउज एक ही झटके में फाड़ डाला। अपर्णा की ब्रा को भी एक झटका लगा कर खोल दिया और अपर्णा की चूँचियों को अपने दोनों हाथों से कालिया मसलने लगा। वह बार बार अपर्णा की निप्पलोँ पर अपना मुंह लगा कर उन्हें काटता था। अपर्णा बेहाल हालात में पलंग पर लेटी हुई थी। अपर्णा का फटा हुआ स्कर्ट उसकी जाँघोंसे काफी ऊपर था। उसकी पैंटी गायब थी। कालियेने पहले ही अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा फाड़ के फेंक दी होगी, क्यों की अपर्णा के उन्मादक बूब्स अपर्णा की छाती पर छोटे टीले के सामान फूली निप्पलोँ से सुशोभित दिख रहे थे। जल्द ही कालिया अपने लण्ड को उसकी चूत में डालेगा इस डर से अपर्णा बिस्तर पर मचल कर जोर से हिल रही थी और डर से काँप रही थी। वह इसी फिराक में थी की कैसे ना कैसे उस भैंसे जैसे राक्षस के भयानक लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाना ना पड़े।
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पता नहीं कितना समय बीत चुका था। रोहित को गहरी नींद में अजीब सा सपना देख रहे थे। सपने में उन्होंने देखा की जिस कमरे में उन्हें बंद किया गया था, उसमें उनके और जीतूजी के हाथ पाँव बंधे हुए थे और रोहित और जीतूजी दोनों को एक रस्सी से कस कर पलंग के साथ बाँध दिया गया था। उन्होंने देखा की कालिये ने अपर्णा के भी हाथ बाँध दिए थे और उसके मुंह पर पट्टी बांध दी थी। कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को रोहित और जीतूजी की और तान कर अपर्णा से बोल रहा था, "अब मैं तुम्हें चोदुँगा। तुमने ज़रा भी आवाज निकाली या मेरा विरोध किया तो मैं तुम्हारे पति और इस आशिक को गोली मारकर यहीं ख़त्म कर दूंगा। तुम नहीं जानती मैं कितना खतरनाक हूँ। मैंने कई लोगों को मार दिया है और इन सब को मारने में मुझे मारने में मुझे कोई तकलीफ या दुःख नहीं होगा। कालिया ने अपने सारे कपडे एक के बाद निकाल दिए और अपर्णा के सामने नंगा खड़ा था। उसका बड़ा मोटा लण्ड कड़क खड़ा था और कालिया उसे अपर्णा के मुंह के सामने हिला रहा था। वह चाहता था की अपर्णा उसके लण्ड को चूसे। अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया। जैसे ही अपर्णा ने अपना मुंह फेर लिया तो कालिये ने कस के एक थप्पड़ अपर्णा के कोमल गाल पर जड़ दिया। अपर्णा दर्द के मारे कराहने लगी। अपर्णा ने जब मुँह फेर लिया तो कालिया चिल्लाया, "साली रण्डी! नखरे करती है? जानती नहीं मैं कौन हूँ? मैं यहाँ का खूंखार छुरेबाज और हत्यारा हूँ। मुझे यहां के लोग कसाई कहते हैं। मैंने आजतक कमसे कम दस को जरूर मार दिया होगा। अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो तुम ग्यारविंह होगी। तुम्हारे दो साथीदार मिलकर तेरह होंगे। तुम्हारे रिश्तेदारों को तुम्हारी लाश भी नहीं मिलेगी।"
कालिया ने एक के बाद एक अपर्णा के कपडे निकाल दिए और उसकी जाँघों को चौड़ा किया। अपना मोटा तगड़ा हाथ कालिया ने अपर्णा की दो जाँघों के बिच में डाल दिया और अपर्णा की चूत में उंगली डाल कर उसका रस निकाल कर उस उंगली को कालिये ने अपने मुंह में डाली और उसे चाटने लगा। कालिये की यह हरकत देख कर जीतूजी पलंग पर ही तड़फड़ा रहे थे। उनके देखने की परवाह ना करते हुए कालिये ने अपर्णा का ब्लाउज एक ही झटके में फाड़ डाला। अपर्णा की ब्रा को भी एक झटका लगा कर खोल दिया और अपर्णा की चूँचियों को अपने दोनों हाथों से कालिया मसलने लगा। वह बार बार अपर्णा की निप्पलोँ पर अपना मुंह लगा कर उन्हें काटता था। अपर्णा बेहाल हालात में पलंग पर लेटी हुई थी। अपर्णा का फटा हुआ स्कर्ट उसकी जाँघोंसे काफी ऊपर था। उसकी पैंटी गायब थी। कालियेने पहले ही अपर्णा का ब्लाउज और ब्रा फाड़ के फेंक दी होगी, क्यों की अपर्णा के उन्मादक बूब्स अपर्णा की छाती पर छोटे टीले के सामान फूली निप्पलोँ से सुशोभित दिख रहे थे। जल्द ही कालिया अपने लण्ड को उसकी चूत में डालेगा इस डर से अपर्णा बिस्तर पर मचल कर जोर से हिल रही थी और डर से काँप रही थी। वह इसी फिराक में थी की कैसे ना कैसे उस भैंसे जैसे राक्षस के भयानक लम्बे और मोटे लण्ड से चुदवाना ना पड़े।