26-12-2019, 04:40 PM
आयेशा की ढूंटी खूबसूरत सी उसके पेट के निचे और चूत के उभार के ऊपर बड़ी ही खूबसूरत लग रही थी। आयेशा का सलवार फटा हुआ था। आयेशा की जाँघें फ़टे हुए सलवार में से दिख रहीं थीं। आयेशा के सुआकार कूल्हे उसकी सलवार के नियत्रण में नहीं थे। कमीज़ के निकलते ही उनकी खूबसूरती रोहित की आँखों को अपने ऊपर से हटने नहीं दे रहे थे। उस फ़टीसी सलवार में से भी आयेशा के दोनों मस्त कूल्हे और उसके बिच की दरार सलवार के पानी में गीला होने पर आयेशा की गाँड़ के दर्शन करा रहे थे। आयेशा की गाँड़ के बिच की दरार देख कर रोहित का मन विचलित होने लगा था। उनका लण्ड उस दरार के बिच अपनी जगह बनाने के लिए लालायित हो उठा। रोहित की फ़टी हुई आँखों पर ध्यान ना देते हुए आयशा ने झुक कर अपनी कमीज़ झरने के पानी में धोयी और उसे निचोड़ कर एक पत्थर रख दी। फिर बड़ी ही अदा से उसने अपनी सलवार निकालदी। अब आयेशा सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में ही थी। सलवार को भी उसने अच्छी तरह धोया और निचोड़ कर उसी पत्थर पर रख दिया।
रोहित की आँखों के सामने अब आयेशा करीब करीब नंगी खड़ी थी। रोहित आयेशा की जाँघों का कमल की नाल जैसा आकार देख कर देखते ही रह गए। उन्होंने विधाता की एक बड़ी ही खूबसूरत रचना अपने सामने साकार नग्न रूप में देखि। कहीं भी कोई कमी उस रचना में नहीं थी। मन ही मन रोहित सोचने लगे की भगवान् ने औरत को कितना खूबसूरत बनाया है। और उसमें भी उनकी इस रचना एकदम लाजवाब थी। आयेशा की दोनों जाँघों के बिच स्थित उसकी चूत का टीला अब स्पष्ट नजर आ रहा था। पानी में गीली होने के कारण आयेशा की पैंटी भी पारदर्शक हो गयी थी और आयेशा की छिपी हुई प्रेम बिंदु (उसकी खूबसूरत चूत) की झाँकी करा रही थी। आयेशा की झाँटें अगर होंगीं तो हलकी सी ही रही होंगी, क्यूंकि चूत के बाल नजर नहीं आ रहे थे। आयेशा की गाँड़ के दोनों गाल (कूल्हे) अब नंगे थे और पैंटी की पट्टी जो की गाँड़ की दरार में घुस चुकी थी वह ना तो आयेशा की गाँड़ को छुपा सकती थी और ना तो गाँड़ के गालों के बिच की दरार को।
आयेशा रोहित की नज़रों को नजर अंदाज करते हुए रोहित के पास आयी। उसने रोहित जी के दोनों हाथ ऊपर कर उनकी शर्ट और बादमें बनियान भी निकाली और उन्हें धो कर निचोड़ कर अपने कपड़ों के साथ ही रख दी। फिर आयेशा ने धीरे से अपने हाथों से रोहित की पतलून की बेल्ट लूज की और पतलून खोली। आयेशा का हाथ अपनी पतलून पर लगते ही रोहित के पुरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी। बेल्ट खुलते ही पतलून निचे गिर गयी। रोहित का मोटा खड़ा लण्ड उनकी निक्कर में साफ़ साफ़ दिख रहा था। आयेशा ने रोहित के लण्ड को छुआ नहीं था। पर उनका लण्ड एकदम फौजीकी तरह निक्करमें खड़ा होगया था। रोहित जी के लण्ड की और ध्यान ना देते हुए आयेशा ने उनकी पतलून भी पानी में अच्छी तरह धोयी और पहले की ही तरह अच्छी तरह निचोड़ कर पत्थर पर रख दी। आखिर में आयेशा पानी में बैठ गयी अपने बदन को घिस घिस कर पानी को अपने हाथों से अपने पर उछाल कर नहाने लगी। पानी में बैठे बैठे उसने रोहित की और देखा। रोहित जी बेचारे एक बूत की तरह आयेशा की गति-विधियां अचम्भे से देख रहे थे। आयेशा ने रोहित जी के पाँव को पकड़ उन्हें झकझोरा और कहा, "कमाल है! तुम कैसे मर्द हो? एक औरत तुम्हारे कपडे इतने प्यार से निकाल रही है और तुम हो की बूत की तरह खड़े हो और हिल ही नहीं रहे हो। अब मैं तुम्हारी निक्कर भी निकाल दू क्या? या फिर तुम ही निकाल कर मुझे धोने के लिए दोगे?" आयेशा का ताना सुनकर रोहित चौके और आयेशा के पास ही खड़े खड़े उन्होंने अपनी निक्कर अपने पाँव के निचे की और सरका दी।
रोहित की आँखों के सामने अब आयेशा करीब करीब नंगी खड़ी थी। रोहित आयेशा की जाँघों का कमल की नाल जैसा आकार देख कर देखते ही रह गए। उन्होंने विधाता की एक बड़ी ही खूबसूरत रचना अपने सामने साकार नग्न रूप में देखि। कहीं भी कोई कमी उस रचना में नहीं थी। मन ही मन रोहित सोचने लगे की भगवान् ने औरत को कितना खूबसूरत बनाया है। और उसमें भी उनकी इस रचना एकदम लाजवाब थी। आयेशा की दोनों जाँघों के बिच स्थित उसकी चूत का टीला अब स्पष्ट नजर आ रहा था। पानी में गीली होने के कारण आयेशा की पैंटी भी पारदर्शक हो गयी थी और आयेशा की छिपी हुई प्रेम बिंदु (उसकी खूबसूरत चूत) की झाँकी करा रही थी। आयेशा की झाँटें अगर होंगीं तो हलकी सी ही रही होंगी, क्यूंकि चूत के बाल नजर नहीं आ रहे थे। आयेशा की गाँड़ के दोनों गाल (कूल्हे) अब नंगे थे और पैंटी की पट्टी जो की गाँड़ की दरार में घुस चुकी थी वह ना तो आयेशा की गाँड़ को छुपा सकती थी और ना तो गाँड़ के गालों के बिच की दरार को।
आयेशा रोहित की नज़रों को नजर अंदाज करते हुए रोहित के पास आयी। उसने रोहित जी के दोनों हाथ ऊपर कर उनकी शर्ट और बादमें बनियान भी निकाली और उन्हें धो कर निचोड़ कर अपने कपड़ों के साथ ही रख दी। फिर आयेशा ने धीरे से अपने हाथों से रोहित की पतलून की बेल्ट लूज की और पतलून खोली। आयेशा का हाथ अपनी पतलून पर लगते ही रोहित के पुरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी। बेल्ट खुलते ही पतलून निचे गिर गयी। रोहित का मोटा खड़ा लण्ड उनकी निक्कर में साफ़ साफ़ दिख रहा था। आयेशा ने रोहित के लण्ड को छुआ नहीं था। पर उनका लण्ड एकदम फौजीकी तरह निक्करमें खड़ा होगया था। रोहित जी के लण्ड की और ध्यान ना देते हुए आयेशा ने उनकी पतलून भी पानी में अच्छी तरह धोयी और पहले की ही तरह अच्छी तरह निचोड़ कर पत्थर पर रख दी। आखिर में आयेशा पानी में बैठ गयी अपने बदन को घिस घिस कर पानी को अपने हाथों से अपने पर उछाल कर नहाने लगी। पानी में बैठे बैठे उसने रोहित की और देखा। रोहित जी बेचारे एक बूत की तरह आयेशा की गति-विधियां अचम्भे से देख रहे थे। आयेशा ने रोहित जी के पाँव को पकड़ उन्हें झकझोरा और कहा, "कमाल है! तुम कैसे मर्द हो? एक औरत तुम्हारे कपडे इतने प्यार से निकाल रही है और तुम हो की बूत की तरह खड़े हो और हिल ही नहीं रहे हो। अब मैं तुम्हारी निक्कर भी निकाल दू क्या? या फिर तुम ही निकाल कर मुझे धोने के लिए दोगे?" आयेशा का ताना सुनकर रोहित चौके और आयेशा के पास ही खड़े खड़े उन्होंने अपनी निक्कर अपने पाँव के निचे की और सरका दी।